उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ नई दिल्ली के उपराष्ट्रपति भवन में 28 नवंबर को भारत सरकार की ओर से मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल साल 2017, 2018, और 2019 का हैंडीक्राफ्ट अवार्ड देंगे । इस अवार्ड फंक्शन में जयपुर के कालाकरों का भी नाम शामिल है। इसमें जयपुर के ताराखशी आर्टिस्ट मोहनलाल शर्मा और मिनिएचर पेंटिंग में आशाराम मेघवाल को शिल्पगुरु अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। वहीं डिजाइन इनोवेशन अवॉर्ड कैटेगरी में भी जयपुर के दो आर्टिस्ट ने बाजी मारी है। इस अवार्ड के लिए जयपुर की नेहा भाटिया और धर्मेंद्र सिंह भल्ला को चुना गया है। आर्टिस्ट भल्ला और नेहा को एप्रिसिएशन सर्टिफिकेट, अंगवस्त्र समेत छह लाख रुपए की नकद राशि भेंट की जाएगी। आर्टिस्ट भल्ला को उनकी आईना फ्रेम, पर्स और वाकिंग स्टिक कलाकृतियों में खूबसूरत जड़ाई की कारीगरी और नवीनीकरण के लिए डिजाइन इनोवेशन नेशनल अवॉर्ड दिया जा रहा है। आर्टिस्ट भल्ला कला में अपनी क्रिएटिविटी और कुन्दन जड़ाई के बारीकबीनी वर्क में सिद्धहस्तता को लेकर खास पहचान रखते हैं। यूं तो भारत में अनेक हस्तकलाएं हैं, जिनमें भल्ला ने कुंदन कला को शीर्ष श्रेणी का स्थान दिलाकर जयपुर को गौरवान्वित किया है। इस अवॉर्ड के लिए एक्साइटेड भल्ला कहते हैं कि कला में विजन और स्टोरी में रेशनल संयोजन होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा कलर टोंस, टेक्श्चर और टेक्निक किसी भी कलाकृति को संपूर्ण ही नहीं संपुष्ट बनाती है। इतना ही नहीं कला में लयात्मकता व लौच प्राइमरी व आनुषंगिक हिस्सा होते हैं। किसी भी कलाकृति खूबसूरती को उसकी लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई से नहीं नापा जा सकता है। इसे मापने का क्राइटिरिया सिर्फ विजन ही होता है, तभी उस कला में संस्कृति, सभ्यता और प्रकृति का तादात्म्य भाव छलकता है जो किसी भी कलाप्रेमी को नख-शिख रससिक्त कर देता है। एमिनेंट आर्टिस्ट धर्मेन्द्र भल्ला की क्रिएटिविटी और महीन कारीगरी को पर्स कलाकृति, आईना फ्रेम और बुढ़ापे की लाठी कलाकृति (नवीनीकरण) में देखा जा सकता है, जो उन्हें कला की दुनिया का सिरमौर कलाकार बनाता है। उनकी आईना फ्रेम, पर्स और वाकिंग स्टिक कलाकृतियां कला की बेजोड़ मिसाल है। आईना फ्रेम में प्राकृतिक माणक, नीलम, हीरा, पन्ना जैसे रत्नों के अलावा कुन्दन जड़ाई में कला का नया आयाम दिया है। वहीं पौराणिक कथाएं और मुगल व आधुनिकीकरण शैली में पिरोए पर्स कलाकृति में खुली जड़ाई, पच्ची का काम, स्टोन कार्विंग, स्टोन कटिंग, स्टोन के दांते, जाली का काम, चिताई का काम, इंले का काम, बेजल सेटिंग का काम, गंगा-यमुना का काम बेमिसाल है। इसके अलावा लाठी कलाकृति में जड़ाई व मीनाकारी वर्क के साथ उम्र की बंदिशों का बेहतरीन तालमेल पिरोया है।
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