राजस्थान में 100 वर्ष या इससे अधिक आयु के 24,903 वरिष्ठ नागरिक हैं, जिन्होंने संविधान को बनते, लागू होते देखा और पहला गणतंत्र दिवस मनाया। वह भी तब, जब वे 25 वर्ष के युवा थे। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे बजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ी है जो शतायु हैं। यह बेहतर होती औसत आयु का संकेत है। उदयपुरवाटी और पिलानी में क्रमश: 413 व 377 बुजुर्ग 100 से अिधक आयु के हैं।
इसी कारण झुंझुनूं जिला 1990 बुजुर्गों की संख्या के साथ टॉप पर है। सिर्फ उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जहां हमारे यहां से ज्यादा 39,598 शतायु लोग हैं। निर्वाचन विभाग के रिकाॅर्ड में पिछले 11 वर्षों में राजस्थान में 80 पार बुजुर्गों की संख्या ही ढाई गुना बढ़ी है। 2011 की जनसंख्या गणना के दौरान प्रदेश में 80 पार लाेगाें की संख्या 5 लाख 87 हजार 53 थी, जाे अब बढ़कर 13.17 लाख से अधिक है। उत्तर प्रदेश को छोड़ दें तो पड़ोसी राज्याें में एमपी से दोगुने, पंजाब से ढाई गुना और हरियाणा से करीब पाैने चार गुना ज्यादा 80 पार बुजुर्ग राजस्थान में हैं।
सर्वाधिक 100+ के वरिष्ठजन झुंझुनूं, सबसे कम धौलपुर में
राज्य में सर्वाधिक 100 से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग 1990 झुंझुनूं में हैं। इसके बाद जयपुर जिले में 1777 और उदयपुर में 1773 हैं। जाेधपुर में 811 लाेग 100 या इससे अधिक उम्र के हैं। धाैलपुर में सबसे कम 131 बुजुर्ग हैं। टाेंक में 225, जैसलमेर में 249, काेटा में 264, झालावाड़ में 287 हैं। काेटा बड़ा शहर है लेकिन वहां का आंकड़ा छाेटे जिलाें के बराबर है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने इसकी पुष्टि की।
ग्राउंड रिपोर्ट: सर्वाधिक शतायु बुजुर्ग उदयपुरवाटी व पिलानी से,
103 साल की बीजू देवी, आज भी अपने काम खुद करती हैं
पिलानी के 103 साल की बूजी देवी। छापड़ा के बास सरदारपुरा की ढाणी की रहने वाली हैं। बोलीं- 15 साल में शादी हो गई थी। अनाज हाथ से पीसते, कुएं से पानी लाते, खेतों में काम करते थे। आज तक बाजार की चीज नहीं खाई। देसी घी में मिठाई भी घर में ही बनती थी। सर्दियों में भरपूर बाजरा खाते थे। रात को सोते समय राबड़ी पीती हंू ताकि जुकाम न लगे, बढ़िया नींद आए। रोजाना सुबह 5 बजे उठती, पैदल घूमती हंू। अपने सभी काम आज भी खुद ही करती हूं। पति भानाराम सांगवान का निधन हो चुका है।
105 वर्षीय बालूराम, 2 साल पहले तक 10 किमी/दिन पैदल घूमते
उदयपुरवाटी के जैतपुरा निवासी बालूराम सामोता 105 साल के हैं। इस उम्र में भी साफ दिखता, सुनाई देता है। आज तक कोई अंग्रेजी दवा नहीं ली। पौत्र बलवीर कहते हैं- दो साल पहले तक रोजाना 6 से 10 किमी पैदल घूमते थे। आज भी सुबह 5 बजे उठ जाते हैं। उदयपुरवाटी की ही कायमखानियों की गली निवासी 105 वर्षीय जीवण खां उर्फ खांजी और उनकी पत्नी 100 वर्षीय मुमताज बानो आज भी अपने अधिकांश काम खुद करते हैं। जीवण कहते हैं, कभी कोई नशा नहीं किया। जो खाया, शुद्ध खाया। खूब मेहनत करता था।
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