जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) के पहले दिन गुरुवार को 'बॉलीवुड की बुनियाद' सेशन में फिल्म समीक्षक अजीत राय ने कहा- 'शाहरुख खान मुसलमान हैं, सिर्फ इसलिए उनकी फिल्म का विरोध किया जा रहा है। अगर वे मुस्लिम नहीं होते, तो यह विरोध नहीं होता। यह मैन्युफैक्चरर प्रोटेस्ट है, जिसका समर्थन मैं नहीं करता। मैं निजी रूप से, फिल्म क्रिटिक के रूप में फिल्म सेंसरशिप या किसी भी तरह की सेंसरशिप को नहीं मानता। दुनियाभर में क्रिएटिव सेंसरशिप कहीं नहीं है।
हम दुनियाभर में फिल्म बिजनेस की बात करें तो यूरोपियन मार्केट के मुकाबले हमारी जीडीपी 0.5 प्रतिशत है। पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री 5 हजार करोड़ रुपए की है। इससे बड़ी तो टीवी और न्यूज इंडस्ट्री है। लगभग 80 हजार करोड़ रुपए का टीवी मार्केट है।हमारी फिल्मों से ज्यादा जूतों का मार्केट है। यह भी 56 हजार करोड़ का है। बॉलीवुड का कोई क्रिएटिव माइंडसेट नहीं है। यही कारण है कि बॉलीवुड पिछड़ता जा रहा है। यह सही है कि यहां सबसे कम पैसा लेखन और क्रिएटिव माइंडसेट पर खर्च किया जाता है।'
उन्होंने कहा- बॉलीवुड में सिलेक्शन सबसे बड़ी समस्या है। क्या करना चाहिए? इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। पहले की बात करें तो हमारी इंडस्ट्री पूरी दुनिया में दिखाई जाती थी। 'संगम' जैसी फिल्में कई देशों में तीन साल तक चली। इसलिए इसे बॉलीवुड नाम दिया गया। आज यह बॉलीवुड नहीं है। हॉलीवुड में एक फिल्म 2000 करोड़ में बनती है और 5000 करोड़ तक कमाती है। ऐसे में उनकी एक फिल्म हमारी पूरी इंडस्ट्री के बराबर है।
शशि थरूर बोले- अंग्रेजों ने भारत में माफिया राज शुरू किया
JLF के पहले दिन 'लेगेसी ऑफ वायलेंस' सेशन के दौरान सांसद शशि थरूर ने कहा- ब्रिटिश काल के दौरान अंग्रेजों ने भारत में माफिया राज शुरू कर दिया था। उस वक्त अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग जैसे कांड को अंजाम दिया था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। सांसद शशि थरूर ने कहा- ब्रिटेन के राजनीतिज्ञों को समझ आया कि वर्तमान हालात में कोई 'ब्राउन मैन' ही उन्हें आर्थिक संकट से बाहर निकाल सकता है। यही कारण है कि ऋषि वहां प्रधानमंत्री बन गए। लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि ब्रिटेन में नस्लभेद खत्म हो गया है।
'RSS ,अकाली दल और हिंदू महासभा को डेंजर्स मानते थे आंबेडकर'
'बीआर आंबेडकर - लाइफ एंड टाइम्स' में शशि थरूर और एंटी कास्ट स्कॉलर सुमित समोस ने हिंदुत्व के मुद्दे पर चर्चा की। दोनों वक्ताओं ने आंबेडकर की ओर से देश में लाए गए सोशल रिफॉर्म पर अपनी बात रखी। इस दौरान हिंदुत्व का मुद्दा भी उठा। शशि थरूर ने सोशल रिफॉर्म को लेकर खुलकर बात की। साथ ही, आंबेडकर और नेहरू की ओर से लाए गए हिंदू बिल कोड के पीछे उनकी क्या मंशा थी? यह भी बताने का प्रयास किया।
थरूर ने कहा- देश में 'वन पर्सन वन वोट' का अधिकार तो मिल गया, लेकिन नेहरू और आंबेडकर चाहते थे कि 'वन पर्सन वन वैल्यू' की अवधारणा भी मजबूत हो। देश में समानता के अधिकार को मजबूत बनाने के लिए ही जवाहर लाल नेहरू और भीमराव आंबेडकर हिंदू कोड बिल लेकर आए थे। उनका मानना था कि देश में सभी को समान अधिकार मिले।
सेशन में सुमित समोस ने भी आंबेडकर के विचार को रखते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई। समोस ने कहा कि आंबेडकर सिर्फ एक विचार को मानने वाले संगठन को सही नहीं मानते थे। सन 1950 में आंबेडकर ने RSS ,अकाली दल और हिंदू महासभा जैसे संगठनों को लेकर बड़ी बात कही थी। इन संगठनों को आंबेडकर डेजर्स ऑर्गनाइजेशन मानते थे।
हमारे पुराण ज्ञान का विश्वकोष: बिबेक देबरॉय
JLF में हुए 'ब्रह्मपुराण' सत्र में साहित्यकार बिबेक देबरॉय ने कहा- हमारे पुराण ज्ञान का विश्वकोष है। 18 महापुराणों में विश्व का समूचा ज्ञान भरा पड़ा है। इन पुराणों में 4 हजार श्लोक हैं, जिनमें जीवन, मृत्यु, खानपान, रहन-सहन और सत्यतम व रमोगुण की व्याख्या की गई है। इन पुराणों की रचना महाभारत के बाद कृष्णद्रुपद व्यास में की गई थी। बिबेक ने महाभारत, वाल्मीकि रामायण ओर भागवत महापुराण का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। वे इस समय सभी 18 महापुराण पर कार्य कर रहे हैं और अब तक इनमें से 6 पूरी हो गई है।
'उत्सव' थीम पर आयोजन
इससे पहले गुरुवार को शास्त्रीय गायिका सुषमा सोम और पुष्कर के नाथू लाल सोलंकी की प्रस्तुति से होटल क्लार्क्स आमेर में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 16वें संस्करण का आगाज (शुभारंभ) हुआ। 19 से 23 जनवरी तक यह कार्यक्रम चलेगा। इन पांच दिनों में कला, साहित्य संगीत के साथ वैश्विक मुद्दों को लेकर चिंतन और मंथन किया जा रहा है। इस बार जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन 'उत्सव' थीम पर किया जा रहा है। ऐसे में होटल क्लार्क्स आमेर को राजस्थानी रंगों और कलाकृतियों से सजाया गया है।
प्रतिरोध का एक तरीका लिखना भी है
उद्घाटन सत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुल रज्जाक गुरनाह ने कहा- नेग्लेट करने का हम पर रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) है। पूरे तरीके से काम करने के लिए रेजिस्टेंस नहीं होनी चाहिए। इसी क्रम में नॉबेलिटी (पवित्रता) और ब्रेवरी (बहादुरी) भी आती है। प्रतिरोध करने का एक तरीका लिखना भी है। ऐसे में हमें लिखते रहना चाहिए।
रोजमर्रा के जो काम, जिन्हें हम भूलते जाते हैं। यानी हमें यह देखना चाहिए जो महत्वपूर्ण है, वही हमें जीवित रखे हुए है। इसलिए लेखन जारी रहना चाहिए। कई बार ऐसी भी चीजें होती हैं, जिनसे हम विचलित होते हैं और कई बार उनसे आकर्षण होता है, लेकिन यह भी एक तरीके का रेजिस्टेंस है।
बारकोड दिखाकर शामिल हो रहे फेस्टिवल में
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के प्रोड्यूसर संजोय रॉय ने बताया कि इस बार ग्रीन कॉन्सेप्ट पर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। इसमें किसी तरह के कार्ड की जरूरत नहीं होगी। फेस्टिवल में शामिल होने वाले लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद सिर्फ अपना बारकोड दिखाकर फेस्टिवल में शामिल हो सकेंगे।
जहां उन्हें साहित्य कला संगीत से जुड़े मुद्दों पर चिंतन और मंथन के साथ ही रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को मिलेंगे। जहां उनके लिए लजीज व्यंजनों की व्यवस्था भी की गई है।
350 स्पीकर हिस्सा लेंगे
फेस्टिवल के 16वें संस्करण में 21 भारतीय और 14 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं से ताल्लुक रखने वाले करीब साढ़े तीन सौ स्पीकर आएंगे। स्पीकर्स और पैनलिस्ट्स में ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के लिए पिछले साल के अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि, बुकर विजेता बर्नार्डिन एवरिस्टो, गुलजार, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, शोभा डे, शबाना आजमी, जावेद अख्तर, शशि थरूर, आंचल मल्होत्रा, अमीष त्रिपाठी, सुधा मूर्ति, अश्विन सांघी, फिल्म निर्माता ओनिर, नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुल रज्जाक गुरनाह और भारतीय खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक अमरजीत सिंह दुलत जैसे जाने-माने चेहरे शामिल हैं।
‘स्कार्स ऑफ 1947: द हीलिंग’
20 जनवरी को राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ‘स्कार्स ऑफ 1947: द हीलिंग’ बुक पर मुगल टेंट में चर्चा करेंगे। नवदीप सूरी और किश्वर देसाई आंचल मल्होत्रा से बातचीत में राजीव शुक्ला विभाजन के बाद प्रेरणादायक कहानियों पर प्रकाश डालेंगे। उनकी ये किताब काफी चर्चित रही है।
सजेगी म्यूजिक स्टेज
5 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में कई संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। लिफाफा, पक्षी, रिदम्स ऑफ इंडिया, कबीर कैफे, शेडो एंड लाइट, पीटर कैट कंपनी जैसे बैंड्स की परफॉर्मेंस होगी। वहीं मॉर्निंग म्यूजिक में सुषमा सोमा, आदित्य प्रकाश, अनिरुद्ध वर्मा, पनेगा और सौरव बत्रा चक्रवर्ती की म्यूजिकल परफॉर्मेंस होगी।
लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान रहेगी यह ट्रैफिक व्यवस्था
फोटो वीडियो क्रेडिट :- ऋषभ सैनी
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