कोरोना मरीजों के वेंटिलेटर पर हालात क्रिटिकल होती है। जयपुर में प्रदेश के सबसे बड़े कोविड अस्पताल आरयूएचएस में ही 20 दिन के भीतर वेंटिलेटर पर 442 जानें चली गईं, लेकिन सच यह भी है कि इनमें से अधिकतर की जान एन्डोट्रेकियल ट्यूब की सफाई न होने की वजह से हुए इन्फेक्शन के कारण हुई। ये सभी कोरोना पॉजिटिव नहीं थे।
क्रिटिकल मरीजों को लगने वाली जिस एन्डोट्रेकियल ट्यूब की सफाई दिन में 5-6 बार होनी चाहिए, यहां उसे दो दिन में 3 बार ही साफ किया जा रहा है। इसकी वजह से ब्लैक फंगस और बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो रहा है और मरीज नहीं बच पा रहे।
हैरानी की बात है कि इन एन्डोट्रेकियल ट्यूब की एक बार की सफाई में मात्र 2-3 मिनट लगते हैं। पूरे दिन में 6 बार सफाई पर 12 मिनट लगेंगे। अस्पताल प्रशासन अपने 12 मिनट बचाने के लिए हजारों जिंदगियां दांव पर लगा रहा है।
रोहिताश जाट ने बताया कि उनके परिजन प्रवीण चौधरी दो दिन से रेस्पिरेटरी वेंटिलेटर पर हैं। डॉक्टर सुबह एक राउंड पर आते हैं। मेरे सामने तो एक भी बार गले की ट्यूब न चेंज की ना सफाई की गई।
दिनभर में सिर्फ एक बार आते हैं डॉक्टर 48 घंटे से तो कोई सफाई के लिए नहीं आया
भास्कर ने 15 मई को आरयूएचएस के आईसीयू में पड़ताल की। सुमंत सिंह ने बताया कि उनके जीजा 48 घंटे से वेंटिलेटर पर हैं। ट्यूब की सफाई एक भी बार नहीं हुई। डॉक्टर भी सुबह एक बार आए।
5 दिन से पिता वेंटिलेटर पर, स्टाफ कहता है- जरूरत हो तो बुला लेना
सत्यप्रकाश ने बताया कि उनके पिता पिछले 5 दिनों से आईसीयू वेंटिलेटर पर हैं। स्टाफ कहता है कि जब भी जरूरत हो तो बुला लिया करो। हम काम में यहां-वहां रहते हैं। कभी-कभी ही दिखते हैं।
एक्सपर्ट बोले- हर आधे घंटे में वेंटिलेटर पर चेकअप करना जरूरी
आरयूएचएस के बोर्ड ऑफ मेंबर रहे डॉ. नागेंद्र शर्मा ने बताया कि ट्यूब नियमित साफ न करने पर एन एरोबिक बैक्टिरियल इन्फेक्शन, ब्लैक फंगस, मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरियल इन्फेक्शन का डर बना रहता है।
इससे ब्लैक फंगस का भी खतरा-
क्या कहती हैं स्टडीज?
अमेरिका की जोहन्स हॉपकिंस मेडिकल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसार सक्शनिंग के जरिए ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब से बलगम को साफ किया जा सकता है, जो उचित श्वास के लिए जरूरी है। ट्यूब में गंदगी के कारण छाती में कई तरह के संक्रमण हो सकते हैं।
कब करें सफाई? : सुबह उठते ही यदि सांस लेने में मेहनत करनी पड़े। खाने और सोने से पहले भी जरूरी है। रोगी को ट्यूब में बलगम की ज्यादा मात्रा महसूस हो।
इन बातों का ख्याल रखना जरूरी
ट्यूब में सक्शन न हो तो यह ब्लॉक हो सकती है। मरीज की जान चली जाती है। यह हर 3 से 4 घंटे में करना होता है। नई तकनीक की ट्यूब में सक्शन सिर्फ नर्सिंग स्टाफ या रेजिडेंट्स ही कर सकते हैं। यह देखना होता है कि टयूब ज्यादा बाहर न आए, ढीली न हो, वेंटिलेटर से डिस्कनेक्ट न हो। ब्लॉक हो तो जानलेवा होती है।
कोविड पेशेंट को प्रोन (उल्टा) करना होता है। ऐसा हर दो घंटे में जरूरी है। 24 घंटे में यूरिन सही होना चाहिए। कैनुला की नियमित सफाई। इसे 4-5 दिन में बदलना जरूरी।
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