कोरोना वायरस का रूप बदलने के साथ हर लहर में इस महामारी का परिदृश्य भी बदल रहा है। पहली लहर में अस्पताल, ऑक्सीजन, कोविड का उपचार, वैक्सीन की कमी थी। अब संसाधन पर्याप्त हैं। पहले लोगों में डर, तनाव था। दूसरी-तीसरी लहर में यह कम होता गया। कोविड की संक्रमण दर (Ro वैल्यू) पहली लहर में (Ro=2) सबसे कम थी।
दूसरी में यह बढ़कर चार गुना अधिक (Ro=8), तीसरी में सर्वाधिक (Ro=20-25) है। लक्षण लहर के अनुसार बदले हैं। पहली-दूसरी लहर में कोविड के लक्षण होते थे लेकिन तीसरी में मरीज बिना लक्षण के भी पॉजिटिव आ रहे हैं। तब बुखार मुख्य लक्षण था लेकिन अब अधिकतर मरीज सर्दी-जुकाम के साथ आ रहे हैं एवं प्रारम्भिक लक्षणों के तीन से चार दिन बाद बुखार आ रहा है। अब जागरूकता अधिक होने से मरीजों का समय पर इलाज शुरू हो रहा है।
कोविड से बचना, कोविड के उपचार से कई गुना बेहतर है। वैक्सीनशन, मास्किंग, सामाजिक दूरी को जिंदगी का अहम हिस्सा बनाना होगा। वैक्सीन की प्रथम खुराक से 50-60%, द्वितीय से 70-90, तृतीय खुराक से 90% से अधिक सुरक्षा मिल जाती है। बच्चों में को-वैक्सीन की 2 खुराक से भी 90% रोग प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है। प्रिकॉशन डोज सभी के लिए होनी चाहिए। इस डोज व दूसरी डोज के बीच अन्तर 6 महीने करना चाहिए क्योंकि 6 माह बाद एंटीबॉडी लेवल कम होने लगता है। तीसरी लहर में देखा है कि अस्पताल में भर्ती ज्यादातर मरीजों को दूसरी डोज जून 2021 से पहले लगी थी।
गर्भावस्था में भी वैक्सीनेशन पूर्णतः सुरक्षित बताया गया है। अमेरिका में 35000 गर्भवती महिलाओं पर हुए शोध में गर्भवती और नवजातों में कोई अतिरिक्त प्रतिकूल प्रभाव नहीं पाया गया। सामान्य सर्दी-जुकाम के लक्षण पर भी खुद को तुरंत अलग कर कोविड टेस्ट करवाना चाहिए। तीसरी लहर में 90 प्रतिशत संक्रमितों में ओमिक्रॉन पाया जा रहा है। अभी ओमिक्रॉन के कारण कोविड आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या नगण्य है। जिन मरीजों को ऑक्सीजन अथवा वेंटीलेटर की जरूरत पड़ रही है, वे अधिकतर वैक्सीन रहित हैं।
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