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हो गए स्मार्ट:काम 132 में 57 ही हुए, अब 100 करोड़ बिना काम बांट दिए, स्मार्ट सिटी मिशन समाप्ति की ओर, अब रैंकिंग की चिंता

जयपुर5 महीने पहलेलेखक: महेश शर्मा
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आईपीडी टावर के लिए जेडीए को 80  तो अभय कमांड में सीसीटीवी कैमराें के लिए 15 करोड़ रुपए दिए गए हैं।  - Dainik Bhaskar
आईपीडी टावर के लिए जेडीए को 80  तो अभय कमांड में सीसीटीवी कैमराें के लिए 15 करोड़ रुपए दिए गए हैं। 

केंद्र स्मार्ट सिटी मिशन समेटने की ओर है। नए कामों पर रोक लग चुकी। ऐसे में रैंकिंग में बुरी तरह पिछड़ने के बाद अब जयपुर ने इसे सुधारने का नया ‘फाॅर्मूला’ निकाला है। ‘जितना काम, उतना भुगतान’ का नियम ताक पर रखकर मिशन ने बकाया प्रोजेक्ट में विभागों को 100 करोड़ से ज्यादा रुपए एडवांस बांट दिए हैं। आईपीडी टावर के लिए जेडीए को 80 तो अभय कमांड में सीसीटीवी कैमराें के लिए 15 करोड़ रुपए दिए गए हैं।

एडवांस वालों की हालत यह
आईपीडी टावर: 35-40 करोड़ का काम हुआ। कई बार लिखा लेकिन मेडिकल विभाग ने ही पैसे नहीं दिए।
अभय कमांड: प्रोजेक्ट शुरुआत से ही अटका हुआ है। टेंडर ही फाइनल नहीं हुए हैं। फिर भी मिशन ने 15 करोड़ रुपए एडवांस दे दिए हैं।

कारण- एडवांस क्यों बांटे
स्मार्ट सिटी मिशन में पैसे की बुकिंग के साथ रैंकिंग तय होती है। दो प्रोजेक्ट में महीनेभर पहले ही एडवांस राशि दी गई है। फिलहाल जयपुर की रैंकिंग 23 है, जो अब नवंबर में सुधरने के आसार हैं।

हमने बोर्ड चेयरमैन से मंजूरी लेकर एडवांस दिया है। वैसे भी पैसा सरकार से सरकार को ही दे रहे हैं। मंशा यही है कि हमारी बुकिंग हो जाए और काम तेजी से हों। -मनोज कुमार, एफए, स्मार्ट सिटी

6 साल का लेखा-जोखा

  • 705 करोड़ खर्च, 170 करोड़ के काम बीच में फेल हो गए
  • 1000 करोड़ का प्रोजेक्ट 705 करोड़ खर्च
  • 132 काम हाथ में लिए 57 प्रोजेक्ट ही पूरे हुए
  • 2023 तक 9 माह में 75 प्रोजेक्ट के दावे
  • 15 अधूरे काम जल्द ही पूरे करेंगे
  • 40 काम दिसंबर तक पूरे करने के दावे
  • 20 काम जून-2023 तक निपटाएंगे
  • 1000 करोड़ का गणित ये

डेडलाइन करीब...तो 500 करोड़ की बुकिंग
जून, 2015 मिशन शुरू
जून, 2023 समेटना है
जून, 2020 200 करोड़ खर्च कर पाए
जून, 2021-22 ~500 करोड़ के काम किए

और अब जो आने हैं?

  • केंद्र सरकार 100 करोड़
  • राज्य 100 करोड़
  • 40 करोड़ नगर निगम से

दोनों निगम झगड़ते रहे। स्मार्ट सिटी ने न कोई प्लान बनाया, न कच्ची बस्ती शिफ्ट की।
राजधानी में 752 करोड़ के 132 काम हाथ में लिए गए। 50% काम मिशन ने दूसरे विभागों के जरिए शुरू कराए, इनमें 170 करोड़ के काम फेल होकर बीच में बंद करने पड़े।

  • 85 करोड़ से रामनिवास बाग में अंडरग्राउंड पार्किंग बनवा रहे, लेकिन व्यापारियों को बाजार पार्किंग फ्री कराने के लिए तैयार नहीं कर पाए। इसलिए यह 1500 गाड़ियों का केवल गैराज बनेगा।
  • 50 करोड़ से किशन पोल-चांद पोल में स्मार्ट रोड तैयार की, फिर बैकफुट पर
  • 30 करोड़ से जयपुरिया, चौगान, अनाज मंडी में पार्किंग, पर समस्या यथावत

चारदीवारी में शुरू किए कामों का यह हश्र
ट्रांसपोर्ट:
पार्किंग केवल गैराज बने, स्मार्ट रोड से खुद ही बैकफुट पर, बसें आई नहीं।
हेरिटेज: बाजार-बरामदों और गलियों के काम पूरे नहीं कर पाए। विधायकों के कहने पर गाइड लाइन से अलग राजभवन, विधानसभा, मंदिर-मस्जिद पर खर्च किए।
मेडिकल: 150 करोड़ रु. बिल्डिंगों पर खर्च के प्लान बने, जो बदलते रहे। सबसे बड़े आईपीडी टावर के काम के टेंडर विवादित और डिले।

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