केंद्र स्मार्ट सिटी मिशन समेटने की ओर है। नए कामों पर रोक लग चुकी। ऐसे में रैंकिंग में बुरी तरह पिछड़ने के बाद अब जयपुर ने इसे सुधारने का नया ‘फाॅर्मूला’ निकाला है। ‘जितना काम, उतना भुगतान’ का नियम ताक पर रखकर मिशन ने बकाया प्रोजेक्ट में विभागों को 100 करोड़ से ज्यादा रुपए एडवांस बांट दिए हैं। आईपीडी टावर के लिए जेडीए को 80 तो अभय कमांड में सीसीटीवी कैमराें के लिए 15 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
एडवांस वालों की हालत यह
आईपीडी टावर: 35-40 करोड़ का काम हुआ। कई बार लिखा लेकिन मेडिकल विभाग ने ही पैसे नहीं दिए।
अभय कमांड: प्रोजेक्ट शुरुआत से ही अटका हुआ है। टेंडर ही फाइनल नहीं हुए हैं। फिर भी मिशन ने 15 करोड़ रुपए एडवांस दे दिए हैं।
कारण- एडवांस क्यों बांटे
स्मार्ट सिटी मिशन में पैसे की बुकिंग के साथ रैंकिंग तय होती है। दो प्रोजेक्ट में महीनेभर पहले ही एडवांस राशि दी गई है। फिलहाल जयपुर की रैंकिंग 23 है, जो अब नवंबर में सुधरने के आसार हैं।
हमने बोर्ड चेयरमैन से मंजूरी लेकर एडवांस दिया है। वैसे भी पैसा सरकार से सरकार को ही दे रहे हैं। मंशा यही है कि हमारी बुकिंग हो जाए और काम तेजी से हों। -मनोज कुमार, एफए, स्मार्ट सिटी
6 साल का लेखा-जोखा
डेडलाइन करीब...तो 500 करोड़ की बुकिंग
जून, 2015 मिशन शुरू
जून, 2023 समेटना है
जून, 2020 200 करोड़ खर्च कर पाए
जून, 2021-22 ~500 करोड़ के काम किए
और अब जो आने हैं?
दोनों निगम झगड़ते रहे। स्मार्ट सिटी ने न कोई प्लान बनाया, न कच्ची बस्ती शिफ्ट की।
राजधानी में 752 करोड़ के 132 काम हाथ में लिए गए। 50% काम मिशन ने दूसरे विभागों के जरिए शुरू कराए, इनमें 170 करोड़ के काम फेल होकर बीच में बंद करने पड़े।
चारदीवारी में शुरू किए कामों का यह हश्र
ट्रांसपोर्ट: पार्किंग केवल गैराज बने, स्मार्ट रोड से खुद ही बैकफुट पर, बसें आई नहीं।
हेरिटेज: बाजार-बरामदों और गलियों के काम पूरे नहीं कर पाए। विधायकों के कहने पर गाइड लाइन से अलग राजभवन, विधानसभा, मंदिर-मस्जिद पर खर्च किए।
मेडिकल: 150 करोड़ रु. बिल्डिंगों पर खर्च के प्लान बने, जो बदलते रहे। सबसे बड़े आईपीडी टावर के काम के टेंडर विवादित और डिले।
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