'फिल्मों में लॉन्च करने वाले बाप-दादा नहीं थे':एक्टर कुलदीप सरीन बोले- मुंबई में खुद गड्डा खोदना पड़ता है, ऐसे में मेंने हर काम किया

जयपुर4 महीने पहलेलेखक: अनुराग त्रिवेदी
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पिंकसिटी में एक अवॉर्ड फंक्शन में सेलेब्रिटी गेस्ट के तौर शिरकत करने आए सीनियर एक्टर कुलदीप सरीन ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए अपने अनुभवों को शेयर किया। - Dainik Bhaskar
पिंकसिटी में एक अवॉर्ड फंक्शन में सेलेब्रिटी गेस्ट के तौर शिरकत करने आए सीनियर एक्टर कुलदीप सरीन ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए अपने अनुभवों को शेयर किया।

बॉलीवुड एक्टर कुलदीप सरीन एक अवॉर्ट फंक्शन में शामिल होने शनिवार को जयपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने दैनिक भास्कर से खास बातचीत ही। साथ ही बॉलीवुड के अपने अनुभव को शेयर करते हुए बताया कि हमें कोई लॉन्च करने वाले बाप-दादा नहीं था। ऐसे में हमने अपना रास्ता खुद बनाया। उन्होंने बताया कि मुंबई में काम करने के लिए खुद ही गड्डा खोदना पड़ता है।

कुलदीप ने अभी वेब सीरीज रफूचक्कर की शूटिंग पूरी है। इसके अलावा नुसरत भरुचा की फिल्म छोरी के सीजन 2 की भी शूटिंग पूरी कर चुके हैं। इसमें मुख्य विलेन के रूप में नजर आएंगे।

वेबसीरीज दिल्ली क्राइम के एक्टर्स के साथ कुलदीप।
वेबसीरीज दिल्ली क्राइम के एक्टर्स के साथ कुलदीप।

कुलदीप ने बताया- एनएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) के टाइम से जयपुर आ रहा हूं। हर साल जयपुर में हम नाटक लेकर आया करते थे। यहां रवीन्द्र मंच और जवाहर कला केन्द्र में नाटक पेश किया करते थे। पूरा फेस्टिवल यहां लेकर आते थे। 1998 से लेकर 2003 तक खूब नाटक पेश किए। इसके बाद मुंबई चला गया। अब कभी कभी शूटिंग के लिए या इवेंट के लिए आते रहता हूं।

उन्होंने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री शुरू से ही अट्रेक्ट करती थी, एक्टिंग को लेकर खास जुड़ाव सा था। सिनेमाहॉल में फिल्म देख पाना बहुत मुश्किल था। ग्वालियर के पास ही बीएसएफ का कैंप था, वहां वीकेंड पर फिल्में दिखाई जाती थी।
उन्होंने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री शुरू से ही अट्रेक्ट करती थी, एक्टिंग को लेकर खास जुड़ाव सा था। सिनेमाहॉल में फिल्म देख पाना बहुत मुश्किल था। ग्वालियर के पास ही बीएसएफ का कैंप था, वहां वीकेंड पर फिल्में दिखाई जाती थी।

ग्वालियर से मुम्बई का सफर

कुलदीप ने बताया- फिल्म इंडस्ट्री शुरू से ही अट्रैक्ट करती थी। एक्टिंग को लेकर खास जुड़ाव था। ग्वालियर में घर के पास ही बीएसएफ का कैंप था। वहां वीकेंड पर फिल्में दिखाई जाती थीं। देशभक्ति की फिल्मों को देख-देख के फिल्मों के प्रति लगाव हो गया। स्कूल की पढ़ाई करते हुए 8वीं क्लास में मैंने पहला नाटक किया। एप्रिसिएशन मिलना शुरू हुआ। फिर नई एनर्जी के साथ आगे बढ़ता गया। कॉलेज में रहते हुए रंगमंच में काम किया। यहां से एनएसडी के सपने देखने लगा। दिल्ली जाने के बाद पता लगा कि एनएसडी के फॉर्म भरने लायक ही नहीं हूं। यहां आपको प्रोफेशनल छह नाटकों का अनुभव होना जरूरी है। उस समय दो नाटकों में ही काम किया हुआ था। फिर दिल्ली में संभव आर्ट ग्रुप से जुड़ गया। एक साल तक वर्कशॉप किया। फिर इसी ग्रुप के साथ नाटकों का दौर चलता रहा। अलग-अलग ग्रुप के साथ नाटक किए। 17-18 साल काम किया।

कुलदीप ने कहा कि मेरे साथ के संगी कलाकार मुम्बई चले गए थे, उनमें मनोज बाजपेयी का नाम शामिल है। हम कई साल तक थिएटर करते रहे। प्रोफेशनल रेपेटरी के चलते मुझे किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई, परिवार बन गया, बच्चे भी हो गए थे।
कुलदीप ने कहा कि मेरे साथ के संगी कलाकार मुम्बई चले गए थे, उनमें मनोज बाजपेयी का नाम शामिल है। हम कई साल तक थिएटर करते रहे। प्रोफेशनल रेपेटरी के चलते मुझे किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई, परिवार बन गया, बच्चे भी हो गए थे।

कुलदीप ने बताया- मेरे साथ के कलाकार मुंबई चले गए थे, उनमें मनोज बाजपेयी का नाम शामिल है। हम कई साल तक थिएटर करते रहे। प्रोफेशनल रिपर्टरी (थिएटर करने वालों का ग्रुप) के चलते मुझे किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई। परिवार बन गया, बच्चे भी हो गए थे।

वेबसीरीज के एक सीन के दौरान कुलदीप अन्य कलाकारों के साथ दिख रहे है।
वेबसीरीज के एक सीन के दौरान कुलदीप अन्य कलाकारों के साथ दिख रहे है।

फ्री में मिलना चाहिए ऑडिटोरियम

उन्होंने कहा- वैसे सही मायने में रंगमंच पर आज भी पैसे नहीं हैं। रिपर्टरी और एनएसडी को छोड़ दिया जाए तो पूरे देश में रंगमंच और कलाकारों की स्थिति सही नहीं है। विभिन्न शहरों में बड़े-बड़े ऑडिटोरियम तो बने हुए हैं। उनको बुक करवाना ही आम कलाकार के लिए भारी हो जाता है। केन्द्र सरकार अरबों रुपए एनएसडी को दे रही है। वह कुछ जगहों पर कार्य भी कर रही है, लेकिन बड़ी संख्या में रंगमंच से जुड़े कलाकार इन सुविधाओं से अछूते रह जाते है। मेरा मानना है कि केन्द्र सरकार या राज्य सरकारें सभी ऑडिटोरियम में रंगमंच करने वाली संस्थाओं को एफिलेटेड कर उन्हें फ्री में जगह उपलब्ध करवाए। इससे कलाकारों को मंच मिल सकेगा।

कुलदीप ने कहा कि जिन्दगी में कोई मलाल नहीं रहे, इसके लिए मुम्बई का रास्ता चुन लिया। मेरे बहुत से मित्र तब तक एक्टिंग में दुनिया में अपनी पहचान मिल सकते थे। छोटे—छोटे रोल मिलते रहे, बड़ों को लेकर आस नहीं लगाई।
कुलदीप ने कहा कि जिन्दगी में कोई मलाल नहीं रहे, इसके लिए मुम्बई का रास्ता चुन लिया। मेरे बहुत से मित्र तब तक एक्टिंग में दुनिया में अपनी पहचान मिल सकते थे। छोटे—छोटे रोल मिलते रहे, बड़ों को लेकर आस नहीं लगाई।

फिल्मों में लॉन्च करने वाले बाप-दादा नहीं थे

कुलदीप ने कहा- जिन्दगी में कोई मलाल नहीं रहे। इसके लिए मुंबई का रास्ता चुन लिया। मेरे बहुत से मित्र तब तक एक्टिंग में दुनिया में अपनी पहचान बना चुके थे। मुझे छोटे-छोटे रोल मिलते रहे। बड़ों को लेकर आस नहीं लगाई। दोस्तों ने कहा- मुंबई में खुद गड्डा खोदना पड़ता है, ऐसे में मेंने हर काम किया। मेरा फिल्मी बैग्राउंड तो था नहीं, फ्रेशर बनकर ही आया था। हमें कोई लॉन्च करने वाले बाप-दादा नहीं थे। ऐसे में हमने अपना रास्ता खुद बनाया।

कुलदीप ने बताया कि मेरे बेटे जतिन सीरीन फराज फिल्म से इंडस्ट्री में आ गए है। इस फिल्म के प्रोड्यूसर अनुभव सिंहा है, हंसल मेहता, टी—सीरीज और बाबा फिल्म्स के बैनर तले यह फिल्म बनी है। एक पिता होने के नाते गर्व की बात है।
कुलदीप ने बताया कि मेरे बेटे जतिन सीरीन फराज फिल्म से इंडस्ट्री में आ गए है। इस फिल्म के प्रोड्यूसर अनुभव सिंहा है, हंसल मेहता, टी—सीरीज और बाबा फिल्म्स के बैनर तले यह फिल्म बनी है। एक पिता होने के नाते गर्व की बात है।

उन्होंने कहा- वेब सीरीज एक्टर्स के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यह इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म है। जहां एक्टर्स के काम को दुनियाभर में लोग देख रहे हैं। फिल्मों में अब तक स्टार पावर रहा है। वेब सीरीज हर उस एक्टर के लिए प्रभावशाली साबित हुआ है, जो अब तक अपनी एक्टिंग के प्रयोग को सबके सामने नहीं रख पा रहे थे। वेब सीरीज में काम देखने के बाद ही कई एक्टर्स को इंटरनेशनल लेवल पर प्रोजेक्ट भी मिले है।

कुलदीप ने कहा- यहां से एक्टर का सर्कल काफी बड़ा हो गया। वेब सीरीज में थिएटर वाले एक्टर्स की चांदी हो गई। उन सभी को बड़े काम मिलने लगे। सफल भी रहे। अब तो बड़े-बड़े एक्टर वेब सीरीज, ओटीटी का रुख कर रहे हैं। अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, अजय देवगन सहित वे सभी नाम अब ओटीटी पर भी दिख रहे है। अब राइटर, डायरेक्टर अपनी बात कह पा रहा हैं। संघर्ष तो हमेशा चलता रहता है, लेकिन अब हम उस स्टेज पर आ गए है, जहां डायरेक्ट रोल ऑफर हो रहे है।

उन्होंने कहा कि वेबसीरीज एक्टर्स के लिए एक नई उम्मीद की तरह है, यह इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म है, जहां एक्टर्स के काम को दुनियाभर में लोग देख रहे है। फिल्मों में अब तक स्टार पावर रहा है, वेब सीरीज हर उस एक्टर के लिए प्रभावशाली साबित हुआ है, जो अब तक अपनी एक्टिंग के प्रयोग को सबके सामने नहीं रख पा रहे थे।
उन्होंने कहा कि वेबसीरीज एक्टर्स के लिए एक नई उम्मीद की तरह है, यह इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म है, जहां एक्टर्स के काम को दुनियाभर में लोग देख रहे है। फिल्मों में अब तक स्टार पावर रहा है, वेब सीरीज हर उस एक्टर के लिए प्रभावशाली साबित हुआ है, जो अब तक अपनी एक्टिंग के प्रयोग को सबके सामने नहीं रख पा रहे थे।

टीजर देखकर पता चली बेटे की लॉन्चिंग

कुलदीप ने बताया- मेरा बेटा जतिन सीरीन फराज नाम की फिल्म में आ रहा है। इस फिल्म के प्रोड्यूसर अनुभव सिंहा, हंसल मेहता, टी-सीरीज और बाबा फिल्म के बैनर तले यह फिल्म बनी है। एक पिता होने के नाते गर्व की बात है। बेटा अपना भविष्य तलाश रहा है। सच बताऊं तो जतिन ने मुझे कभी नहीं बताया कि वह एक्टिंग में आना चाह रहा है। वह पढ़ाई करते हुए अपनी एक्टिंग को आगे बढ़ा रहा है। जब पहली बार फराज का टीजर आया तब मुझे उसमें जतिन नजर आए थे, मैंने तब जतिन से इसके बारे में पूछा था। तब उसने कहा था कि वह अपनी राह खुद बनाना चाहता है। इसलिए कुछ बताया नहीं। मैंने भी उसे आशीर्वाद दिया और उस पर गर्व महसूस किया।

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