कांग्रेस में नेताओं की आपसी खींचतान और धड़ेबंदी की वजह से राजनीतिक नियुक्तियों के इंतजार में बैठे 40 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं का इंतजार लंबा होता जा रहा है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन तीन महीने में तीन बार राजनीतिक नियुक्तियों की तारीखें बता चुके हैं लेकिन उनकी दी गई डेडलाइन पर अभी तक नियुक्तियां नहीं हुईं। माकन ने अब तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनावों के बाद राजनीतिक नियुक्तियां करने की बात कही है।
सरकार बनने के बाद से ही जिला और ब्लॉक स्तर पर कई तरह की समितियों में सदस्यों के पद खाली पड़े हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार यह संख्या 40 हजार के आसपास है। जिला और ब्लॉक स्तर की इन छोटी राजनीतिक नियुक्तियों के लिए कई बार प्रक्रिया पूरी हो चुकी। लेकिन अब तक नियुक्तियां नहीं हो पाई। कांग्रेस के स्थानीय स्तर के कार्यकर्ताओं को इन नियुक्तियों में मौका मिलना है जो बूथ स्तर पर पार्टी के लिए या विधायकों के लिए चुनाव में काम करते हैं। विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों को 3 फरवरी को एक प्रोफार्मा देकर उनके चहेते कार्यकर्ताओं के नाम भी मांगे गए थे।
दो साल में कई बार हो चुकी है यह कवायद
यह कवायद दो साल में कई बार हो चुकी है। इससे पहले पिछली साल मार्च में भी सूची बनीं थी। लेकिन बाद में सचिन पायलट खेमे की बगावत के कारण हालात बदल गए और सब कुछ धरा रह गया। अविनाश पांडे ने प्रदेश प्रभारी रहते सभी विधायकों से राजनीतिक नियुक्तियों के नाम मांगे थे। अगस्त में जब अजय माकन नए प्रभारी बन गए तो पुरानी प्रभारी के समय की गई कवायद को निरस्त कर नए सिरे से नाम मांगे। जिन नेताओं को शहरी निकाय और पंचायत चुनावों में टिकट दिए हैं। उन्हें स्थानीय स्तर की राजनीतिक नियुक्तियों में मौका नहीं देने का फार्मूला तय हुआ है।
राजनीतिक नियुक्तियों के लिए तारीख पर तारीख
माकन ने पहले 31 जनवरी तक राजनीतिक नियुक्तियां कर लेने की बात कही थी। फिर उस बयान से यू-टर्न लेते हुए कहा कि राजनीति में डेडलाइन जैसा कुछ नहीं होता। 3 फरवरी को प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक के बाद माकन ने 15 फरवरी तक जिला- ब्लॉक स्तर की छोटी राजनीतिक नियुक्तियां करने का दावा किया। बाद में यह तारीख भी निकल गई। इससे पहले और शहरी निकाय चुनाव के बाद राजनीतिक नियुक्तियां करने की बात थी। अब उपचुनाव के बाद की तारीख दी गई है।
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