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प्रदेश में बच्चों के सबसे बड़े हाॅस्पिटल जेके लोन अस्पताल में पिछले एक महीने से एलर्जी, थैलेेसीमिया, विटामिन-डी जैसी कई महत्वपूर्ण जांचों के नहीं होने से बच्चों को और उनके परिजनों को काफी परेशान होना पड़ रहा है। स्थिति यह कि इन सभी जांचों की मशीनें जेके लोन अस्पताल में होने के बावजूद जांच के लिए एसएमएस भेजा जाता है।
एक से दूसरी जगह और फिर वहां की लंबी वेटिंग से एक दिन में तो जांच ही नहीं हो पाती और बच्चों को अगले दिन आने के लिए कह दिया जाता है। सवाल यह कि जब जेके लोन अस्पताल में जांचाें के लिए करोड़ाें रुपए की मशीनें खरीद ली गई हैं तो उनसे जांच क्यों नहीं की जा रही। सामने आया है कि मशीनें तो खरीद ली गई, लेकिन अस्पताल इनकी किट नहीं ला पा रहा है।
बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल में ये प्रमुख जांचे नहीं हो रही
टी-3, टी-4 : ये दोनों थाइराइड की जांचें हैं और हर सप्ताह 200 से अधिक बच्चों काे इस जांच की जरूरत पड़ती है।
विटामिन डी-3 : यह महत्वपूर्ण जांच है और उन बच्चों के लिए लिखी जाती है, जिनमें विटामिन -डी की संभावित कमी होती है। हर सप्ताह 220 से अधिक बच्चों की यह जांच होती है।
एनसीवी बेरा : एनसीवी किसी भी बच्चे के नर्व सिस्टम के लिए की जाती है और कम सुनाई देने संबंधी जांच है। दोनों एक ही मशीन से होती हैं। मालूम हो कि मशीन को दो साल पहले खरीदा गया था, लेकिन अभी तक एक भी जांच नहीं हुई। जांच के लिए एसएमएस जाना पड़ता है और वहां एक महीने तक की वेटिंग दी जाती है।
फेरेटिन : यह सबसे महत्वपूर्ण जांच है। इसमें थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के हीमोग्लोबिन की जांच होती है। इसके बाद बच्चों में हीमोग्लोबिन चढ़ पाता है।
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