जयपुर में मंगलवार देर रात एक अनोखी जगह पर नाटक का मंच बनाया गया और वहां नाटक की प्रस्तुति दी गई। प्रतापनगर स्थित सार्वजनिक श्मशान घाट पर नाटक श्मशान घाट का मंचन हुआ। इस अनोखे नाटक को देखने के लिए जयपुर के अलग—अलग हिस्सों से लोग श्मशान घाट पर पहुंचे। इनमें पुरुषों के साथ महिलाएं भी दर्शकों के रूप में शामिल थी। यहां पर युवा कलाकारों ने अभिनय किया, जिसमें युवा अभिनेत्रियां भी शामिल थी। शुभ विचार संस्था जयपुर की रेपटरी शाखा की ओर से प्रस्तुत इस नाटक की परिकल्पना और निर्देशन शास्त्रीय संगीत और नाट्य के शोधार्थी रंगकर्मी जीतेंद्र शर्मा ने किया। नाटक में श्मशान घाट पर बाॅलीवुड गानों को बजाकर कलाकार प्रस्तुति देते नजर आए। इस पर कई लोगों ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाते नजर आए।
शर्मा ने बताया शमशान घाट रंगमंच के इतिहास का पहला नाटक है जिसका मंचन श्मशान घाट पर हुआ है। नाटक के जरिए यह संदेश दिया गया है कि मनुष्य का छोटा सा जीवन कुविचारों और दुर्वव्यसनो से और छोटा हो जाता है, इसलिए इंसान को चाहिए वह अपने जीवन मे शुभविचार अपना कर शुभ कार्य करे। जिस से उसका छोटा सा जीवन भी बड़ा बन जाए और मनुष्य जीवन सार्थक हो जाए जैसे स्वामी विवेकानंद ने 40 वर्ष से कम का जीवन जिया, लेकिन अपने अच्छे विचारों और कार्यो से आज भी विचारो में जी रहे है ।
नाटक की कहानी : जितेन्द्र ने बताया कि नाटक सच्ची घटनाओं पर आधारित है। 30 वर्षीय युवा फुलचंद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है, जो दिन भर घर में पंखा बिजली के बल्ब ट्यूबलाइट, नल—पानी चलता छोड़कर सब का व्यर्थ उपयोग करता है। पढ़ने के बजाए सारे दिन तेज आवाज में फिल्मी संगीत सुनता है। भोजन की झूठन थाली में छोड़ उसे वाशबेसिन में बहा देता है, गरीब बाप इन सब से दुखी होकर बेटे को ऐसा करने से तो मना करता है, तो बेटा नाराज होकर बुजुर्ग बाप से लड़कर उस पर हाथ उठा देता है और पिता को वृद्धाआश्रम की ओर दखेल देता है। यह करने के बाद वह अपने फूफा नेताजी के पास सफाई देने चला जाता है। नेताजी फूलचंद को लेकर अपने 2 साथी (ठेकेदार और चुल्या) के साथ अपनी पत्नि से चोरी चुपके श्मशान घाट में रात को शराब पार्टी करने चले जाते है। शराब के नशे में सभी एक दूसरे के कुविचारों और दुर्वव्यसनो को बता कर एक दुसरे को अपमानित करते हुए बतलाते है कि ठेकेदार की पत्नी शमशान घाट के पूरे पेड़ काट कर घर ले जाती और स्वयं भी यहां की मिट्टी ट्रॉली से उठाकर घर ले जाता है। चुल्या दिन के 500 रुपए कमाकर पूरे पैसों की शराब पी जाता है और घर पर पत्नी 40 रुपये की सब्जी के लिए कहती है तो उस को मारता है। वहीं फूलचंद पानी और बिजली के व्यर्थ उपयोग पर समझाने पर अपने बुजुर्ग बाप को घर से बाहर निकाल देता है। इसी तरह नेताजी भी शमशान घाट की जमीन पर अतिक्रमण कर के बैठा है।
नाटक में मुकेश कुमार मीना (ठेकेदार), राहुल चौधरी (चूल्या), मनीषा शेखावत(नेताजी की पत्नी), अंकित प्रजापत (कलेक्टर ), ललित कुमार जग्रवाल (फिल्मनिर्माता-निर्देशक), जगदीश खटीक( थानेदार), गौतम मीणा ( समाज सेवी), मनीष जाट (कलेक्टर - सहायक), जीतेन्द्र शर्मा (शमशान-घाट देवता देवता ) ने अभिनय किया।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.