ट्रेन से पैर कटे, ताने सहे, अब जीत से जवाब:सिर्फ हाथों के सहारे प्रैक्टिस, 100KG वेट उठाकर स्टेट पैरा चैंपियनशिप में जीता सिल्वर

जयपुरएक वर्ष पहलेलेखक: विक्रम सिंह सोलंकी
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सचिन तेंदुलकर का 16 साल 205 दिन की उम्र में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू किसे याद नहीं होगा। चौथे टेस्ट मैच में खूंखार तेज बॉलर वकार यूनूस की गेंद सचिन के नाक पर लगी। खून बहने लगा। हर कोई को यही सोच रहा था कि सचिन को स्ट्रेचर पर ले जाया जाएगा, लेकिन तब सचिन ने कहा- “मैं खेलेगा।'

इसके बाद जो हुआ, वो इतिहास बनता गया। सचिन के इसी जुनून ने उन्हें क्रिकेट का महान खिलाड़ी बना दिया। ऐसा जज्बा राजस्थान के 22 साल के पैरा एथलीट सचिन भी दिखा रहे हैं। ट्रेन से दोनों पैर कट गए, लोगों के ताने सहे फिर स्टेट पैरा चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर सबको जवाब दे दिया। सचिन सिर्फ हाथों के सहारे प्रैक्टिस करते हैं। दो साल पहले पैर गंवाने के बाद भी उन्होंने हौसला नहीं खोया। सालभर बेड पर पड़े रहे, इलाज चला, लेकिन अब वह लंबी छलांग लगाने को तैयार हैं।

सचिन वर्मा अपनी मां अंजना देवी के साथ। सचिन बताते हैं- मां उनकी ढाल की तरह हैं। उनके सपोर्ट से मैं आज इस मुकाम पर हूं।
सचिन वर्मा अपनी मां अंजना देवी के साथ। सचिन बताते हैं- मां उनकी ढाल की तरह हैं। उनके सपोर्ट से मैं आज इस मुकाम पर हूं।

हादसे के बाद से सचिन सिर्फ हाथों के सहारे जिम में ऐसी-ऐसी एक्सरसाइज करते हैं कि लाेग दंग रह जाते हैं। फरवरी-2022 में राजस्थान स्टेट पैरा चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता तो उन्हें एक मकसद मिल गया है। अब वह आगे ही देखना चाहते हैं। इस सब के बीच वे कहते हैं, 'मां मेरे लिए ढाल बन गईं, उनके प्यार और सपोर्ट से ही मैं आज किसी मुकाम पर पहुंच सका हूं। सिर उठाकर सम्मान से जी सकता हूं, वरना शायद एक अपाहिज की तरह जिंदगी कट जाती।' अब आगे खुद ही पढ़िए- सचिन वर्मा के जिद, जुनून और संघर्ष की कहानी... जिन्होंने तानों को तालियों में बदल दिया।

सचिन ने बताया कि पिता प्रमोद वर्मा टेलर है। वहीं, मां अंजना देवी ने उनके इस पैशन को हमेशा सपोर्ट किया। मामा गोपी कुमावत ने ही इलाज का पूरा खर्च उठाया। सचिन के इलाज में करीब 10 लाख रुपए खर्च आया था।

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