2 करोड़ की रिश्वत मांगने के मामले में ACB की गिरफ्त में आई SOG की ASP दिव्या मित्तल का विवादों से गहरा नाता है। प्राेफेशनल ही नहीं, दिव्या की पर्सनल लाइफ भी कॉन्ट्रोवर्सी से जुड़ी हुई है। उसने अपने लिव-इन पार्टनर से मंदिर में शादी की। कुछ समय बाद उससे तलाक हो गया। दिव्या के पिता ने दहेज का मुकदमा भी कराया। इतना ही नहीं, अपनी कारगुजारी से दिव्या एक बार APO भी हो चुकी है।
लग्जरी लाइफ की शौकीन
दिव्या से जुड़े लोगों ने बताया कि उसे हमेशा से लग्जरी लाइफ का शौक है। उदयपुर में एक रिसॉर्ट नेचर हिल पैलेस के बारे में तो ज्यादातर लोगों को पता है, लेकिन इसके अलावा भी कई प्रॉपर्टी हैं, जो दिव्या ने अपने रिश्तेदारों के नाम से खरीदी है। दिव्या के नजदीकियों का कहना है कि वो हर साल प्रॉपर्टी में इंवेस्ट करती है।
बड़ा सवाल ये है कि साधारण परिवार में जन्मी और 1.50 लाख रुपए वेतन पाने वाली दिव्या कैसे करोड़ों की संपत्ति की मालकिन बन कैसे गई?
जवाब जानने के लिए शुरुआत से पढ़िए दिव्या की कहानी…
45 साल पहले हरियाणा से झुंझुनूं आया परिवार
दिव्या मित्तल का परिवार मूलत: हरियाणा में चरखीदादरी के पास गांव का रहने वाला है। करीब 45 साल पहले परिवार हरियाणा से झुंझुनूं के चिड़ावा में शिफ्ट हो गया था। पिता ने ट्रैक्टर की एजेंसी खोली थी। बाद में एजेंसी बंद कर दी थी। दिव्या दो भाई व तीन बहनों में सबसे छोटी है। दिव्या ने चिड़ावा में स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई पूरी की थी। भाई पहले बस और माइनिंग का काम करते थे। एक भाई अभी पिलानी (झुंझुनूं) में बिजनेस कर रहा है। दूसरे भाई का प्रॉपर्टी व माइनिंग का काम है। दिव्या के माता-पिता अभी भी गांव में ही रहते हैं।
शराब कारोबारियों से विवाद, 2 महीने APO
दिव्या मित्तल ने 2010 में RAS परीक्षा पास की थी। दिव्या ने आरपीएस सर्विस चुनी। 12 साल की सर्विस में दिव्या मित्तल करीब 7 साल तक उदयपुर रही। उदयपुर में ही दिव्या आबकारी विभाग में रही थी। वहां दिव्या का शराब कारोबारियों से भी विवाद हुए थे। दिव्या पर लेनदेन के आरोप लगे थे। शिकायत के बाद उन्हें एपीओ भी कर दिया गया था। दो महीने तक एपीओ रहने के बाद बहाल हुई थी।
इसके बाद दिव्या मित्तल को असिस्टेंट कमांडेट उदयपुर खैरवाड़ा में लगा दिया था। करीब एक साल के बाद आरएसी बटालियन टोंक में रही थी। अभी पिछले दो साल से दिव्या मित्तल अजमेर में एसओजी में एडिशनल एएसपी के पद पर थी।
1 साल का रिश्ता, लिव-इन, लव मैरिज और तलाक
दिव्या की पर्सनल लाइफ भी उतार-चढ़ाव भरी रही है। जून 2014 में दिव्या की मुलाकात सोशल मीडिया पर हिसार के CA प्रतीक से हुई। तीन महीने बाद दोनों उदयपुर में मिले। दिव्या के घरवाले शादी के लिए राजी थे। प्रतीक ने दिव्या से कहा कि गुड़गांव में उसकी मां की रजामंदी के बाद ही शादी करेंगे।
दिव्या और उसके पिता विनोद मित्तल दिल्ली गए थे। वे कई दिनों तक वहीं रुके, लेकिन प्रतीक की मां से मुलाकात नहीं हुई। इसके बाद प्रतीक और दिव्या ने गुपचुप मंदिर में शादी कर ली थी। तय किया कि कुछ दिनों के बाद प्रोग्राम में शादी कर लेंगे। इसके बाद दोनों पति-पत्नी के रूप में किराए के मकान में साथ रहने लगे। दोनों भरतपुर, उदयपुर, मथुरा में भी साथ रहे थे।
दिव्या के पिता विनोद मित्तल ने 2015 में हिसार पुलिस को दहेज प्रताड़ना की शिकायत दी थी। विवाद होने के बाद दोनों के बीच में तलाक हो चुका है।
एक साल से दलाल संभाल रहा था रिसॉर्ट
लग्जरी लाइफ की शौकीन दिव्या उदयपुर से बाहर जाना ही नहीं चाहती थी। उसने उदयपुर में एक रिसॉर्ट नेचर हिल पैलेस भी बनाया है। इसमें करीब 50 कमरे हैं। इस रिसॉर्ट को पहले दिव्या के जीजा संभालते थे। बाद में वो अलग हो गए। 2022 में ही दिव्या ने दलाल सुमित कुमार को पार्टनर बना लिया था। तब से सुमित ही इसे संभाल रहा है। रिसॉर्ट के अंदर ही स्विमिंग पूल के साथ लग्जरी कमरे बने हुए हैं। इसे ज्यादातर शादियों के लिए किराए पर दिया जाता है। कुछ पर्सनल प्रोग्राम भी होते हैं।
हर साल खरीदती है प्रॉपर्टी
जांच में सामने आया कि दिव्या हर साल प्रॉपर्टी में निवेश करती रही। परिवार के लोगों के नाम से भी अलग-अलग जगह पर प्रॉपर्टी खरीद रखी है। दिव्या के नजदीकियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसने रिश्वत की रकम से हर साल 10 से 12 बीघा जमीन खरीदने का टारगेट बना रहा था।
दिव्या अजमेर में एआरजी सोसायटी स्थित फ्लैट में अकेली रहती है। यह फ्लैट दिव्या के भाई विशाल के नाम से है। एसीबी ने अजमेर, जयपुर में फ्लैट, उदयपुर के चिकलवास में रिसॉर्ट और चिड़ावा में पैतृक गांव स्थित मकान पर भी सर्च किया था। जांच में पता लगा कि भाई के नाम से चिड़ावा में भी कुछ जमीनें खरीदी थीं। भाई विशाल को माइनिंग के काम में दिव्या ने ही लगाया है।
प्रभाव इतना कि तीन अधिकारियों के कराए तबादले
दिव्या मित्तल ने 11 करोड़ रुपए की नशीली दवाओं के मामले की जांच में तीन अधिकारियों के तबादले करवा दिए थे। साथ ही, तीन अन्य फैक्ट्री मालिकों को भी बुलाकर पूछताछ की थी। हालांकि पूछताछ के बाद उन्हें रिपोर्ट में आरोपी नहीं बनाया गया। एसीबी अब तीनों फैक्ट्री मालिकों से भी पूछताछ करेगी। शक है कि इनसे भी रुपए लिए गए थे। नशीली दवाओं की ये खेप मई 2021 में पकड़ी गई थी। एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच पहले क्लॉक टावर थाना प्रभारी दिनेश कुमावत को दी गई। ठीक दो दिन के अंदर फाइल लेकर डीएसपी मुकेश सोनी को दी गई।
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कमजोर धाराओं में केस दर्ज
डीएसपी मुकेश सोनी ने आरोपी श्यामसुंदर मूंदड़ा के खिलाफ कमजोर धाराओं में केस दर्ज किया, जबकि मजदूर, चौकीदार और रिक्शा चालक के खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट पर हंगामा मचा तो पुलिस मुख्यालय ने एसओजी को जांच सौंप दी थी। एसओजी के इंस्पेक्टर भूराराम खिलौरी ने एएसपी दिव्या मित्तल के निर्देशन में जांच की। तस्करों के नेटवर्क पर कार्रवाई की। दवा तस्करी का नेटवर्क मास्टरमाइंड सुशील करनानी को बताया गया। आरोप है कि इन्होंने ही कई जगहों पर फर्जी दवा फर्म रजिस्टर्ड करवा रखी है। दिव्या मित्तल ने रिपोर्ट में मुकेश सोनी, दिनेश कुमावत और भूराराम खिलेरी की काफी कमियां बता दी थीं। इससे तीनों के तबादले कर दिए गए थे।
इतनी शातिर…फैक्ट्री मालिक की लोकेशन ट्रेस कर रही थी
दिव्या मित्तल काफी शातिर और तेज तर्रार है। दिव्या फैक्ट्री मालिक की लोकेशन भी ट्रेस कर रही थी। उसकी झालाना जयपुर में लोकेशन आई तो दिव्या ने उसे बोला कि तुमने एसीबी में सूचना दी है। दिव्या को पहले से ही कुछ शक हो गया था। फैक्ट्री मालिक ने पूरे आत्मविश्वास से दिव्या को बोला कि अगर एसीबी के पास जाता तो आपके पास नहीं आता। तब उसे उदयपुर आने को बोला था। एसीबी ने 10 दिनों से दिव्या मित्तल को रडार पर ले रखा था।
एसीबी की टीम दिव्या को जयपुर से अजमेर कोर्ट लेकर गई, जहां कोर्ट ने 20 जनवरी तक रिमांड पर सौंप दिया है।
एसओजी पर उठ रहे हैं सवाल, कौन हैं ‘ऊपरवाले’
पूरा मामला सामने आने के बाद SOG पर भी सवाल उठ रहे हैं। SOG बड़ी जांच एजेंसी है। SOG में केवल बड़े मामलों को ही ट्रांसफर किया जाता है। दिव्या को रिश्वत के मामले में पकड़ा गया तो उसने ऊपर के अधिकारियों को भी रिश्वत देने की बात कही थी। SOG में अलग से एक ADG रैंक, IG रैंक के अफसर व SP बैठते हैं। जांच एजेंसी को जांच व कार्रवाई के लिए संभाग के हिसाब से बांट रखा है। एडिशनल SP से लेकर अन्य अधिकारी सीधे एडीजी को रिपोर्ट करते हैं। किसी भी मुकदमे में रायशुमारी या फिर चालान अधिकारियों से बातचीत के बाद ही तय होता है। ऊपर तक रिश्वत देने की बात सामने आने के बाद एसओजी पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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उत्तराखंड के हरिद्वार में दवा फैक्ट्री के मालिक से 2 करोड़ की रिश्वत मांगने के मामले में जयपुर ACB टीम ने अजमेर में 16 जनवरी को SOG की एडिशनल SP दिव्या मित्तल को गिरफ्तार किया है। माना जा रहा है कि SOG के किसी अधिकारी का रिश्वत में इतनी बड़ी रकम मांगने का यह पहला मामला है। इतनी बड़ी अधिकारी को ट्रैप करना भी आसान नहीं था। (पूरी खबर पढ़ें)
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