देश के साथ राजस्थान में रविवार को वैक्सीनेशन शुरू होने का 1 साल पूरा होगा। पिछले 365 दिन में राजस्थान वैक्सीनेशन के कई बुरे दौर से भी गुजरा। दूसरी लहर के दौरान मई, जून और जुलाई में 6 बार ऐसे हालात बने जब ब्लैक फंगस का अटैक भी शुरू हो चुका था और टीके खत्म हो गए। केंद्र ने नहीं भेजे तो 6 जून को 2 बार प्रदेश सरकार ने चार्टर प्लेन से टीके मंगवाए।जहाज से टीके मंगवाने पड़े लेकिन वैक्सीन ड्राइव बंद नहीं होने देना है, ऐसा करने वाला राजस्थान अकेला राज्य है।
इतना ही नहीं ग्लोबल टेंडरिंग तक की, खुद टीके खरीदने के लिए 3200 करोड़ का बजट जारी करने वाला भी राजस्थान अकेला राज्य है।हालांकि बाद में केंद्र ने 18 प्लस पूरी आबादी का टीकाकरण अपने हाथ में ले लिया। पिछले एक साल में अगस्त और दिसंबर में दाे बार ऐसा हुआ, जब राजस्थान ने 1 करोड़ से अधिक टीके 30 दिन में लगाए। पिछली 16 जनवरी से अब तक राजस्थान में 8 करोड़ 83 लाख 23 हजार 575 डोज लग चुकी हैं। यह पूरे देश के 156 करोड़ की 5.66% हैं। राजस्थान के 1 साल की उपलब्धि यह रही कि 60 वर्ष से अधिक आयु के 100% लोगों को दोनों डोज लग चुकी है।
इतना ही नहीं 11.1% बुजुर्गों को तो बूस्टर डोज भी लग चुकी। दूसरी उपलब्धि यह रही कि 5.14 करोड़ की टीका योग्य आबादी के भी 98.70% पहली डोज लग चुकी। 3 दिन में 100% को पहली डोज लग जाएगी। हमारे बच्चों ने सबसे तेज टीके लगवाए और मात्र 12 दिन में 52.5% ने पहली खुराक लगवा ली।
फैक्ट फाइल
जयपुर में सैंपलिंग घटी तो मरीज घटे, लेकिन पॉजिटिव दर सर्वाधिक 42.34% हुई
प्रदेश में शनिवार को 9676 नए केस मिले लेकिन 8 माह बाद एक दिन में 8 लोगों की मौत हुई। नए संक्रमितों की संख्या घटने का मुख्य कारण जयपुर है, क्योंकि यहां 11 जनवरी को 23,118 की सैंपलिंग हुई जो शनिवार को सिर्फ 4659 ही थी। यानी सैंपलिंग एक तिहाई ही रह गई।
इससे जयपुर में में 1973 ही रोगी आए लेकिन पाॅजिटिव दर दुगुनी से भी ज्यादा 18 से 42.34 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह सर्वाधिक है। दूसरी ओर प्रदेश के सभी जिलों में संक्रमण बढ़ रहा है। 10 से ज्यादा राज्यों की पाॅजिटिव दर 15 प्रतिशत से अधिक बनी हुई हैं जबकि 5% से अधिक दर रेड अलर्ट मानी जाती है।
इधर, देश में हिमाचल जैसी हिम्मत गुजरात-दिल्ली दिखाएं तो जल्द पा सकते हैं लक्ष्य
किशोरों को टीके लगाने में पंजाब बहुत पीछे: इस साल 3 जनवरी से 15 से 18 साल वाले किशोरों को टीके लग रहे हैं। अब तक 3,25,28,416 किशोर पहली डोज लगवा चुके हैं। आंध्र 87% तो हिमाचल 80% किशोरों को पहली डोज लगा चुके हैं। पंजाब सबसे पीछे है। वहां 5% किशोरों को ही एक डोज लगी है।
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