बीसलपुर बांध के लबालब होने की वजह से बीते 20 दिन में 9 टीएमसी पानी डाउनस्ट्रीम में निकाल चुके हैं। इसके बावजूद जलदाय विभाग के इंजीनियर शहर में पाइपलाइनों का मिलान व मेंटेनेंस कर पेयजल सप्लाई का प्रेशर सुधारने के बजाय नए ट्यूबवेल खोदने में लगे हुए हैं। इसके साथ ही टैंकरों से पेयजल सप्लाई पर हर महीने 30 लाख रुपए से ज्यादा खर्चा किया जा रहा है।
बीसलपुर बांध का एक गेट खोलकर 600 क्यूसेक पानी डाउनस्ट्रीम में छोड़ा जा रहा है। बांध के गेट 26 अगस्त को खोले गए थे। इसके बाद से अब तक लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। वहीं जलदाय विभाग ने शहर में केवल 20 लाख लीटर पानी बढ़ाया है। जलदाय विभाग ने शनिवार को आनंदपुरी (मोती डूंंगरी पुलिस थाने के पास) विधायक कोटे से नया ट्यूबवेल खोदने के लिए मशीन लगाई है। आसपास के लोगों का कहना है कि यहां भूजल में नाइट्रेट व फ्लोराइड है तथा बिना ट्रीटमेंट के पानी सप्लाई होने से लोगों की सेहत पर खराब असर पड़ेगा।
लोगों की मांग है कि यहां पर भूजल की केमिकल व जीवाणु रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। इसके साथ ही यहां पर बीसलपुर प्रोजेक्ट का पानी सप्लाई किया जाए। वहीं जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता अनिल शर्मा का कहना है कि मोतीडूंगरी थाने के पास ट्यूबवेल विधायक कोटे से बनवाया जा रहा है। जहां पर दिक्कत है, वहां ट्यूबवेल बना रहे हैं।
घटिया पाइपलाइन व रोड़ी के इस्तेमाल के आरोप
लोगों का कहना है कि शहर में एक ट्यूबवेल बनाने पर 5 से 7 लाख रुपए खर्च होता है। इन ट्यूबवेल के लिए दिन में बोर किया जाता है और ग्रेवल, केसिंग पाइप व बड़े पाइप रात के अंधेरे में डाले जाते हैं। स्थानीय लोगों की मांग की है कि आनंदपुरी इलाके में बनाए जा रहे ट्यूबवेल के पाइप व ग्रेवल की जांच हो। यहां पर शनिवार तक ग्रेवल व पाइप नहीं डाले गए थे। अब शनिवार या रविवार रात को ग्रेवल व पाइप डालने की प्लानिंग है।
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