आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान संस्था में प्रधान पद को लेकर नई जंग शुरू हो गई है। एक तरफ किशनलाल गहलोत ने अध्यक्ष पद और जीववर्धन ने मंत्री पद पर दावा ठोकते हुए सीकर सांसद स्वामी सुमेधानन्द सरस्वती की आर्य प्रतिनिधि सभा की सभासदी खत्म करने की घोषणा की है। वहीं सांसद सुमेधानंद का कहना है कि मुझे हटाने वाले शख्स खुद ही इस संस्था में नहीं हैं। किशनलाल गहलोत नाम के शख्स का संस्था से कोई लेना देना नहीं है। वहीं जीववर्धन शास्त्री को पहले ही हटाया जा चुका है।
आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान संस्था के लेटर पैड पर जारी सूचना के अनुसार सुमेधानंद को पद से निष्कासित किया जाता है। सूचना में स्वामी सुमेधानन्द सरस्वती पर आर्य समाज के गुरुकुलों और आश्रमों में सालों तक सेंध मारकर स्वार्थ सिद्ध करने के आरोप लगाए गए हैं। साथ ही उन्हें संस्था विरोधी गतिविधियों में लिप्त मानते हुए उनके खिलाफ निष्कासन की यह सख्त कार्रवाई आर्य प्रतिनिधि सभा की कार्यकारिणी (वर्किंग कमेटी) ने की है। सभा ने गुरुवार को इस एक्शन का लैटर भी सांसद सुमेधानन्द को भेज दिया है।
सीकर सांसद स्वामी सुमेधानंद ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि मुझ पर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं सब गलत हैं। मैंने आर्य समाज में होने वाली शादियों को हाईकोर्ट से बंद करा दिया। समाज का काम सुधार का है, घर से भागे हुए नादान बच्चों की शादियां कराना थोड़ी है। जब आर्य समाज की संस्थाओं में ऐसे गलत काम होने बंद हो गए तो जो गलत लोग थे मेरे खिलाफ माहौल बनाने में लग गए।
सांसद सुमेधानंद ने कहा कि मैं आर्य प्रतिनिधि सभा, राजस्थान का प्रधान हूं। जो व्यक्ति मंत्री बनकर मेरे खिलाफ षड्यंत्र कर रहा है, उसको तो मैं समाज की आमसभा में प्रस्ताव पारित करके बाहर निकाल चुका हूं। उसकी जगह हमने आचार्य रविशंकर को मंत्री बनाया था। इसकी सूचना हमने डिप्टी रजिस्ट्रार ऑफिस में भी दी थी।
दूसरा पक्ष बोला- सुमेधानंद को सुधरने के कई मौके दिए, बाज नहीं आए
आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान पद का दावा करने वाले किशन लाल गहलोत और मंत्री जीव वर्धन शास्त्री ने बताया कि संस्था ने सुमेधानन्द को सुधरने के लिए कई मौके दिए। लेकिन राजनीतिक अहंकार के कारण वह अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे थे। जिसके रिजल्ट में उन्हें 20 नंवबर 2022 को हुई कार्यकारिणी की आकस्मिक बैठक के फैसले के मुताबिक निष्कासित कर दिया गया है। अब उनका आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान और आर्यसमाज से कोई सम्बन्ध नहीं रहा।
उन्होंने कहा- स्वामी सुमेधानंद पिछले 30 साल से सभा से जुड़कर इस संस्था में फूट डालते, धोखा देते और फ़र्ज़ी लेटर पैड़ वगैरह छाप कर संस्था की छवि ख़राब कर रहे थे। इनका आचरण भी संदिग्ध रहा है। राजस्थान में आर्य समाज के नेता सत्यव्रत सामवेदी के निधन के बाद आर्य जगत को लगा कि स्वामी सुमेधानन्द एक जाने पहचाने चेहरे हैं, जिनके नेतृत्व में संस्था की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। संस्था को यह भी उम्मीद थी कि शायद मोदी सरकार के कठोर अनुशासन में रहने पर इनके चाल-चलन और व्यवहार में कुछ सुधार भी आया होगा। लेकिन यह सब केवल एक सपना था।
आदर्श नगर थाने में धोखाधड़ी और फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाने का केस है
उन्होंने कहा स्वामी सुमेधानंद पर पहले भी धोखाधड़ी और षड़यंत्र कर डॉक्युमेंट बनाने के मामले में एक मुक़दमा जयपुर के आदर्श नगर पुलिस थाने में दर्ज है । जिसकी जांच CB-CID कर रही है । उसके बावजूद वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं । इसलिए मजबूर होकर आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान को उन्हें प्राथमिक सदस्यता से भी निष्कासित करना पड़ा है।
उधर, आरोपों को खारिज करते हुए सांसद सुमेधानंद का कहना है कि मैंने 1980 में गृहस्थ जीवन से संन्यास ले लिया था। 42 साल से मैं अपना घर छोड़कर समाज की सेवा कर रहा हूं। 8 साल मुझे राजनीति में हो गए। पहला सांसद हूं जिसके नाम एक रुपए की संपत्ति नहीं है। मुझ पर आरोप लगाने वाले लोग समाज की छवि को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं।
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