सरकार की ओर से अस्पतालों के आउटडोर, इनडोर में आने वाले मरीजों की निशुल्क दवा व जांच के दावे फेल साबित हो रहे है। ऐसे में सरकार की संचालित निशुल्क योजना पर सवाल उठने लगे है। एसएमएस अस्पताल में मुंह, बच्चेदानी, प्रोस्टेट, गला, जीभ व गाल जैसे कैंसर से पीड़ित मरीजों को अब बेहोश करके यानी जनरल एनेस्थेसिया के जरिए इलाज की ब्रेकी थैरेपी मशीन दो माह से बंद पड़ी है।
मशीन बंद होने का कारण मरीज को लिटाई जाने वाली टेबल, मॉनिटर और वायरिंग का इश्यू माना जा रहा है। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मरीजों पर खतरा मंडरा रहा है। मरीजों को निजी अस्पतालों की शरण में जाना पड़ रहा है। निजी में एक सीटिंग के लिए 8 से 10 हजार रुपए खर्च करने को मजबूर है।
इसमें साइड इफेक्ट का खतरा नहीं
"ब्रेकी थैरेपी मशीन तकनीकी कारणों से बंद पड़ी हुई है। कुछ इश्यू के कारणों से कंपनी वाले से भी वार्ता जारी है। जल्द ही मरीजों को सुविधा मिलने लगेगी।"
-डॉ.अचल शर्मा, अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल
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