राजस्थान विधानसभा में सीट व्यवस्था को लेकर हुए विवाद पर गुरुवार को मुख्य सचेतक महेश जोशी ने सफाई दी। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा कि विधायक रमेश मीणा ने सिटिंग व्यवस्था को लेकर मुझसे कहा था, लेकिन सदन में कोविड के कारण 50 से ज्यादा विधायक बिना माइक वाली सीटों पर बैठे हैं। सदन में बैठने की व्यवस्था में भेदभाव का सवाल ही नहीं उठता। जिन 50 विधायकों को बिना माइक बैठने की व्यवस्था की है उनमें सभी जाति-धर्म के हैं। फिर भी रमेश मीणा से बात करके उनका गुस्सा शांत करने का प्रयास किया जाएगा।
दरअसल, बुधवार को सचिन पायलट खेमे के कांग्रेस विधायक रमेश मीणा ने विधानसभा की सिटिंग व्यवस्था को लेकर बड़ा आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि विधानसभा में बैठने की व्यवस्था में एससी, एसटी और माइनॉरिटी के विधायकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
'किसी विधायक के साथ भेदभाव नहीं किया'
महेश जोशी ने कहा- रमेश मीणा खुद कह रहे हैं कि एससी, एसटी और माइनॉरिटी कांग्रेस की बैकबोन है। तो आप समझ सकते हैं बैकबोन को कैसे नाराज कर सकते हैं। सीट आवंटन में चाहे कांग्रेस हो चाहे भाजपा, किसी विधायक के साथ भेदभाव नहीं किया। कोविड के कारण विधानसभा में करीब 33 फीसदी सीटें खाली रखी गई हैं। इस वजह से 50 से ज्यादा विधायकों को बिना माइक वाली सीटों पर बैठना पड़ रहा है।
'किसी न किसी विधायक को तो बिना माइक के बैठना होगा'
जोशी ने कहा कि अब विधानसभा के बजट सत्र की 7 या 8 बैठकें ही और होनी हैं। बीच में सिटिंग व्यवस्था बदलने से बाकी लोग विरोध करेंगे। अब जब 33 फीसदी सीटें खाली रखकर बैठने की व्यवस्था की है तो किसी न किसी विधायक को तो बिना माइक के बैठना ही पड़ेगा। आगे कोविड खत्म हो जाएगा तो फिर किसी भी विधायक को बिना माइक बैठने की नौबत ही नहीं आएगी।
कल स्पीकर से भिड़ गए थे विधायक मीणा
विधानसभा में कल कांग्रेस विधायक रमेश मीणा माइक नहीं होने के मुद्दे पर स्पीकर से भिड़ गए थे। मीणा बिना माइक वाली सीट का मुद्दा उठाना चाहते थे लेकिन स्पीकर ने उनकी बात नहीं सुनी। इस पर वे स्पीकर से भिड़ गए थे। बाद में बाहर मीडिया से बातचीत में उन्होंने एससी, एसटी और माइनॉरिटी के विधायकों की आवाज दबाने के लिए जानबूझकर बिना माइक वाली सीटें देने का आरोप लगाया था।
स्पीकर ने सदन में कहा था कि चीफ व्हिप और संसदीय कार्यमंत्री के कठोर फैसले नहीं लेने के वजह से उन्हें वह सब करना पड़ता है। स्पीकर की इस बात पर महेश जोशी ने कहा कि अध्यक्ष सर्वोच्च हैं। सदन चलाने के लिए कई बार उन्हें हमारे जिम्मे जो काम होते हैं उन अधिकारों का भी इस्तेमाल करना होता है।
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