जयपुर डिस्कॉम की विजिलेंस विंग में इंजीनियरों व कर्मचारियों की वार्षिक मूल्यांकन प्रतिवेदन (एसीआर) को भरने व रिव्यू करने की प्रक्रिया पर विवाद हो गया है। डिस्कॉम के इंजीनियर विंग के एडिशनल एसपी के बजाए डायरेक्टर (टेक्निकल) से रिव्यू करवाना चाहते है। उनका मत है कि विजिलेंस विंग के मुखिया अधीक्षण अभियंता होता है, लेकिन एसीआर रिव्यू का पावर पुलिस से डेपुटेशन पर आए एडिशनल एसपी को दे रखा है। यह परंपरा गलत है, इसे बदला जाना चाहिए।
डिस्काॅम की विजिलेंस विंग में हमेशा मुखिया पर विवाद होता है। सेंट्रल विजिलेंस में एडिशनल एसपी को लगा रखा है, ताकि बिजली चोरी की एफआईआर दर्ज हो तथा जांच के बाद में कोर्ट में चालान पेश होने के बाद सजा मिल सके। इसके साथ ही पुलिस बिजली चोरी का जुर्माना वसूल सके, लेकिन वहीं इंजीनियरों विंग की मॉनिटरिंग करने के लिए अधीक्षण अभियंता को लगा रखा है।
अधीक्षण अभियंता (विजिलेंस ) बीएल जाट और एडिशनल एसपी दिलीप सैनी को लगा रखा है। डिस्कॉम की ओर से 2013 व उससे पहले भी कई आदेश जारी कर रखे है, जिसमें विजिलेंस विंग के अधिकारियों को डायरेक्टर (टेक्निकल) के अधीन कर रखा था, लेकिन बाद में पुलिस व इंजीनियरिंग विंग में सुपरवाइजरी को लेकर पावर गेम चलता रहा। इंजीनियरों का मूल विभाग होने के कारण उनका गुट यह नहीं चाहता है कि डेपुटेशन पर आने वाले पुलिस अधिकारी उनकी एसीआर भरे।
मामले की पड़ताल करवाई जा रही है: प्रबंध निदेशक
जयपुर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक नवीन अरोड़ा का कहना है कि विजिलेंस विंग के इंजीनियरों व कर्मचारियों की एसीआर का रिव्यू करवाने के मामले की पड़ताल करवाई जा रही है। पहले के सभी आदेश दिखवाए जा रहे है। जल्दी ही इस मामले में फैसला लेंगे।
यह है विवाद : जयपुर डिस्कॉम इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव जेपी शर्मा का कहना है कि विजिलेंस विंग में विद्युत चोरी निरोधक पुलिस थानों के मुखिया एडिशनल एसपी है और विजिलेंस चैकिंग दल के मुखिया अधीक्षण अभियंता (विजिलेंस) है। पर इंजीनियर कार्यरत है। विजिलेंस चैकिंग दल के कार्य का मूल्यांकन अधीक्षण अभियंता करते है तथा उसका रिव्यू एडिशनल एसपी करते है। जो कि तर्क संगत नहीं है। इससे इंजीनियरों में असंतोष है। एसीआर का रिव्यू डायरेक्टर (टेक्निकल) से करवाया जाए।
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