आप नेता बोले- कांग्रेस की लापरवाही से जनता परेशान:देवेंद्र यादव ने कहा- राइट टू हेल्थ बिल में करें संशोधन, राज्यपाल से मिलेंगे हम

जयपुर2 महीने पहले
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आम आदमी पार्टी के नेता देवेंद्र यादव कहा कि हमारी पार्टी की स्वास्थ्य योजनाओं की नकल से राइट टू हेल्थ नहीं दिया जा सकता है। - Dainik Bhaskar
आम आदमी पार्टी के नेता देवेंद्र यादव कहा कि हमारी पार्टी की स्वास्थ्य योजनाओं की नकल से राइट टू हेल्थ नहीं दिया जा सकता है।

राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में डॉक्टरों का धरना 12वें दिन भी जारी है। बीजेपी के बाद अब आम आदमी पार्टी ने भी इस मुद्दे पर गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बुधवार को जयपुर आप मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र यादव ने कहा कि गहलोत सरकार अपनी जिद छोड़े और डॉक्टरों से बैठकर बातचीत कर उनकी समस्या का समाधान करें। अगर यह गतिरोध खत्म नहीं हुआ। तो आम आदमी पार्टी राज्यपाल से मुलाकात करेगी और सरकार की कार-गुजारियों को बेनकाब करेगी।

यादव ने कहा कि इस मुद्दे पर सीएम सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। क्या उन्हें आम जनता के स्वास्थ्य की चिंता नहीं है। लोग अस्पतालों में इलाज के लिए तड़प रहे हैं। लेकिन कांग्रेस सरकार अपने हठधर्मिता पर अड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि SMS अस्पताल में एक मरीज का आधार कार्ड ना होने की वजह से 1 घंटे तक भर्ती नहीं किया गया। वहीं दूसरी ओर इलाज ना मिलने से एक 3 साल की मासूम की मौत हो गई। आखिरकार इसका जिम्मेदार कौन ह। जिस तरह की राजस्थान में स्थिति पैदा हुई है। वह बहुत ही चिंताजनक है।

देवेंद्र ने कहा कि हम राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन बिल में कुछ ना कुछ ऐसा जरूर रहा होगा। जिसके निजी डॉक्टर्स खिलाफ हैं। इसलिए ही वह इतने लम्बे वक्त से विरोध कर रहे हैं। भले ही सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं। लेकिन डॉक्टर्स के इस प्रदर्शन से तो लग रहा है कि सरकार डॉक्टरों को समझाने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 12 दिनों से प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था लड़खड़ा चुकी है। लाखों की संख्या में डॉक्टर सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस सरकार उनसे बात तक नहीं कर रही है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से सीधा संवाद करना चाहिए। जब राइट टू हेल्थ बिल को बिना तैयारी के लाए। तब उन्हें यह सोच लेना चाहिए था कि इसके आगे के अंजाम क्या होंगे। उन्होंने ना ही डॉक्टरों से ना ही आम जनता से इसके लिए सुझाव लिए थे। जबकि अशोक गहलोत डॉक्टरों से सहमति लेने की बात करते हैं। लेकिन जब हमने इस बारे में जानकारी जुटाई, तो पता चला कि जिन्हें बातचीत के लिए बुलाया था। उन निजी अस्पतालों के 3 संस्थान के प्रतिनिधि गए थे। उन्होंने भी बिल पर सहमति नहीं जताई थी। बावजूद इसके अशोक गहलोत ने बिल को विधानसभा में पारित करवा दिया। जिसको लेकर अब विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में आम आदमी पार्टी की मांग है की गहलोत सरकार डॉक्टर्स की मांग के मुताबिक राइट टू हेल्थ बिल में संशोधन कर फिर से विधानसभा में पेश कर पारित करवाए।

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