आरएसी एडीजी ने विजिलेंस को कार्रवाई के लिए लिखा, इससे पहले दिव्या का ट्रांसफर
हरिद्वार की फार्मा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की घूस मांगने वाली एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) की एएसपी दिव्या मित्तल को बचाने के लिए ‘ऊपरवाले’ मेहरबान रहे। परिवादी से घूस की राशि कम करने के बाद दिव्या ने कहा था कि ये बनिए की दुकान नहीं, ऊपर तक देने हाेते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि ये ‘ऊपरवाले’ आखिर हैं कौन?
भास्कर पड़ताल में सामने आया है कि आरएसी टाेंक में सहायक कमांडेंट रहते हुए दिव्या मित्तल 149 दिन तक बिना पुलिस मुख्यालय व अधिकारियाें काे सूचना दिए अनुपस्थित रही। दिव्या के खिलाफ विभाग ने प्राथमिक जांच की ताे सामने आया कि 54 दिन तक ताे डाॅक्टर्स से उपचार संबंधी दस्तावेज दिए, लेकिन 95 दिन तक अनुपस्थित रहने संबंधी दस्तावेज नहीं दिए। इस पर एडीजी आरएसी ने विजिलेंस काे कार्रवाई के लिए लिखा। आरएसी की विभागीय जांच चल ही रही थी कि दिव्या काे एसआेजी लगा दिया गया। तब दिव्या की आरएसी टाेंक में 149 दिन अनुपस्थिति रहने संबंधी मामले में एटीएस एंड एसआेजी एडीजी अशाेक राठाैड़ ने अवकाश स्वीकृत कर दिया। पुलिस अफसरों के अनुसार, ऐसा नहीं किया जा सकता।
भास्कर ने एडीजी एसओजी अशाेक राठाैड़ का पक्ष जानने के लिए फाेन किया लेकिन उन्हाेंने फाेन रिसीव नहीं किया।
आरएसी एडीजी ने जून 2021 काे एडीजी विजिलेंस काे अनुपस्थित रहने के संबंध में विभागीय कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। कहा- कमांडेंट की प्राथमिक जांच में सामने आया कि दिव्या की 149 िदन में से 54 दिन की मेडिकल लीव सही मिली। 95 दिन की अनुपस्थिति के संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं दिया।
विभागीय जांच के बीच ही एसओजी एडीजी अशाेक राठाैड़ ने 25 मई 2021 काे आदेश निकाला। इसमें दिव्या मित्तल की अनुपस्थिति अवधि का निस्तारण कर दिया। इसमें 13 अगस्त 2019 से 6 िसतंबर 2019 तक मेडिकल लीव, सात सितंबर 2019 से पांच अक्टूबर 2019 तक 29 अर्न्ड लीव (ईएल) तथा 6 अक्टूबर 2019 से 8 जनवरी 2020 तक 95 ईएल स्वीकृत किए।
रिसॉर्ट में मैरिज पार्टी होती थी, किराया साढ़े 3 लाख
उदयपुर के चिकलवास स्थित नेचर हिल पैलेस रिसॉर्ट की एएसपी दिव्या अकेली मालकिन नहीं है। फार्म हाउस की आड़ में बने इस 50 कमरे के रिसॉर्ट में दलाल सुमित कुमार भी हिस्सेदार है। दिव्या के नाम से फार्म हाउस की कुछ जमीन का म्यूटेशन 2016 में खुला था, जबकि दलाल सुमित के नाम पर 2022 में। कृषि भूमि का फार्म हाउस में कन्वर्जन हुआ था, लेकिन इसका बेरोकटोक कमर्शियल उपयोग हो रहा था। यहां एक मैरिज पार्टी के नाम पर करीब साढ़े तीन लाख रुपए तक किराया लिया जाता था। इसके बदले पार्टी को किसी तरह की रसीद भी नहीं दी जाती थी। जीएसटी जैसी चोरियां भी यहां खुले में होती थी। यूआईटी के म्यूटेशन रिकॉर्ड के अनुसार दिव्या मित्तल ने 20 जुलाई को 25,499 वर्ग फीट जमीन चिकलवास में खरीदी थी। अंतिम खातेदार दो भाई माधौलाल और संतोष थे।
दोनों भाइयों से खसरा संख्या 1647/2, 1648/2, 1649, 1650 मिन, 1651, 1652 मिन और 1656 मिन को यहां दिव्या के नाम पर ट्रांसफर किया गया था।
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