दीपावली से ठीक पहले कॉर्निया ट्रांसप्लांट से कई लोगों के अंधेरे जीवन में रोशनी लौटी है। कुछ ऐसे भी हैं, जो पहली बार दूसरों की आंखों की बदौलत दुनिया देखेंगे। कोरोना के चलते 100 दिन तक कॉर्निया ट्रांसप्लांट का काम ठप रहने के बावजूद दूसरों की आंखों से 73 लोग पहली बार दिवाली की रोशनी देख सकेंगे। ये वे लोग हैं, जिनके जन्म से ही नेत्रज्योति नहीं थी। इन्हें रोशनी का तोहफा मिला है।
आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान की ओर से जनवरी से अब तक 1217 कॉर्निया कलेक्शन में से 929 का ट्रांसप्लांट हुआ। इनमें से 73 लोग जन्म से ही देख नहीं सकते थे। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के तहत कोरोना के दौरान कारण संक्रमण की आशंका के चलते 3 माह तक कॉर्निया कलेक्शन पर रोक थी। अब फिर से यह काम प्रारंभ हो गया है। नेत्रदान के लिए मोबाइल नंबर 8559900955 पर संपर्क किया जा सकता है।
घर-परिवार में खुशी का माहौल है, आत्मविश्वास बढ़ गया है
केस 1 - डॉक्टर बनने के इच्छुक जयपुर निवासी विकास की क्रिकेट खेलते समय गेंद से आंख का कॉर्निया फट गया था। इससे एक आंख की रोशनी चली गई, दूसरी भी प्रभावित हुई। कॉर्निया ट्रांसप्लांट के बाद अब उन्हें फिर से दिखने लगा है।
केस 2 - अलवर निवासी सुशील कुमार दोनों आंखों से नहीं देख पाते थे। बोले, जीवन में निराशा के अलावा कुछ नहीं बचा था। अब पहली बार दिवाली की रोशनी देख सकूंगा। घर-परिवार में खुशी का माहौल है। आत्म विश्वास और जीने की इच्छा बढ़ गई है।
कैंसर मरीजों का रजिस्ट्रेशन होगा, पॉलिसी बनेगी
प्रदेश के सरकारी और निजी लैब पर जांच के दौरान कैंसर पीड़ित मरीजों का अब रजिस्टर बनेगा। इसमें नाम, पता, मोबाइल नंबर, कैंसर का प्रकार, बीमारी की अवधि आदि डेटा एकत्र किया जाएगा। इसके लिए राज्य व केन्द्र सरकार के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) नई दिल्ली से जल्द करार होगा। विभाग में स्वास्थ्य तथा मेडिकल शिक्षा विभाग को शामिल किया गया है।
सरकार का मानना है कि लंग्स, ओरल जैसे कैंसर के आंकड़ों और क्षेत्र का पता चलने से पॉलिसी बन सकेगी। क्षेत्र और बीमारी के हिसाब से इलाज का इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा सकेगा। चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा का कहना है कि करार होने के बाद कैंसर मरीजों का डेटा तैयार होगा, फिर पॉलिसी बनेगी।
प्रदेशभर में इस साल अब तक 1217 कॉर्निया कलेक्शन हुआ। इनमें से 929 लोगों के ट्रांसप्लांट हुआ। यह 76 फीसदी है, जो राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है। - बी. एल. शर्मा, अध्यक्ष, आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान
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