रवीन्द्र मंच के मुख्य सभागार में आयाम संस्था की ओर से प्रस्तुत ऐतिहासिक नाटक राजा दाहिर का मंचन किया गया। यह नाटक सिंध के प्रसिद्ध के प्रतापी अंतिम हिंदु राजा दाहिर के जीवन पर आधारित है। इसका निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी संदीप लेले ने किया। इस नाटक को छह माह की अभिनय कार्यशाला के दौरान तैयार किया गया है। इस नाटक के लेखक उदय शंकर भट्ट हैं। इस नाटक को तत्कालीन पंजाब गवर्नमेंट की ओर से पुरस्कृत किया गया था। यह संभवतया पहला ही मंचन है जो 2023 में आयाम संस्था द्वारा जयपुर में किया जा रहा है।
यह कथा राजा दाहर और उसके वीर पुत्र व पुत्रियों के संबंध में है। उच्च कोटि के साहित्यकार उदयशंकर भट्ट ने इस नाटक में राजा दाहिर की बहादुर पुत्रियां किस प्रकार अपने अपने पिता का बदला लेती हैं उस घटना का बहुत ही रोमांचक वर्णन किया है। नाटक में संगीत राकेश दीक्षित और मयंक शर्मा ने दिया है इसके साथ ही रंगभूषा रवि बांका और प्रकाश संचालन शहजोर अली का है।
अभिनय- इस नाटक में प्रकाश दायमा, पल्लवी कटारिया, विपुल वशिष्ट, सक्षम, धीरज, विशाल, अभिषेक, भव्य, अंकित, विक्रम, राहुल, दिलीप, अपूर्वा, अनामिका अग्निहोत्री, दीपक अर्काय, इंद्रपाल सिंह, गौरव, अनुराग, महेंद्र, पंकज, महेश व सुयश ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं
नाटक की शैली यह नाटक वियोगांत शैली में लिखा गया है। पाश्चात्य साहित्य में लिखे गए वियोगांत नाटक दर्शकों को अधिक आकृष्ट कर सके। शेक्सपियर ने भी बेहतरीन वियोगाअंत नाटक लिखे। ऐसे नाटकों का दर्शकों पर प्रभाव देर तक रहता है। पात्रों की विवशता उन्हें अपनी ओर खींचे रहती है। नाटक कला का जो वास्तविक तत्व है वियोगांत नाटकों में ही प्रतिफलित होता है। यद्यपि भारतीय नाटकों में वियोगांत शैली के नाटक कम मिलते हैं परंतु श्री उदयशंकर भट्ट ने काल और परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए इस नाटक की रचना वियोगांत शैली में की और उसके सभी पात्र दाहिर, हैजाज, जयशाह, कासिम, खलीफा, सूर्यदेवी, परिमला, ज्ञानबुद्ध जीवन के अलग-अलग रसों को प्रतिध्वनित करते हुए दर्शकों के मन में अपना स्थान बना लेते हैं। आयाम संस्था द्वारा इस नाटक को इसके कैनवस की विशालता देखते हुए छह मास की कार्यशाला में तैयार किया गया है। जिसमें विभिन्न नवोदित एवं अनुभवी कलाकारों ने अपने दमदार अभिनय से जान डाली है।
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