भास्कर एक्सक्लूसिवक्यों मूसेवाला, ठेहट मर्डर में 1 कदम आगे थे गैंगस्टर:सिग्नल मोबाइल ऐप पर प्लानिंग, जिसे पुलिस ट्रेस नहीं कर सकती

जयपुर4 महीने पहलेलेखक: विक्रम सिंह सोलंकी
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राजस्थान के गैंगस्टर वारदातों के अंजाम देने के लिए लगातार हाईटेक तरीकों को अंजाम दे रहे हैं। इसी कड़ी में पुलिस के लिए नए चुनौती है सिग्नल (Signal) ऐप।

हाल में ही जयपुर के जी क्लब फायरिंग कांड में भी इसी मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर पूरी प्लानिंग की गई थी। इसका खुलासा वारदात में शामिल आगरा से पकड़े गए बदमाशों से पूछताछ में हुआ।

भास्कर टीम ने पुलिस के साथ मिलकर बदमाशों के नेटवर्क को खंगाला तो पता लगा कि इसी ऐप से ही रोहित गोदारा और रितिक बॉक्सर पूरी गैंग के नेटवर्क को हैंडल कर रहे।

गोदारा ही नहीं, राजस्थान के कई गैंगस्टर वारदातों को अंजाम देने के लिए सिग्नल का इस्तेमाल कर रहे हैं। राजू ठेहट मर्डर की प्लॉनिंग में भी इसी का यूज हुआ।

दरअसल, सिग्नल का प्राइवेसी सिस्टम इतना मजबूत है कि इसे तोड़ना लगभग नामुमकिन है। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में शामिल ट्‌विटर के मालिक एलन मस्क तक लोगों से इस ऐप इस्तेमाल करने की अपील कर चुके हैं।

पढ़िए, दुनिया का सबसे सिक्योर माना जाने वाला सिग्नल ऐप क्यों राजस्थान में सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है…

  • नहीं ले सकते स्क्रीन शॉट : वॉट्सऐप और सिग्नल ऐप में अंतर को एक उदाहरण से समझ सकते हैं। सिग्नल ऐप में एक फीचर है जिसे एनेबल करने के बाद आप और आप जिससे बात कर रहें हैं वो स्क्रीनशॉट नहीं ले सकेंगे। इतना ही नहीं, ये ऐप ये भी सुनिश्चित करता है कि कोई दूसरा ऐप भी आपके चैट की स्क्रीनशॉट न ले सके।
  • नहीं कलेक्ट करता डेटा : वॉट्सऐप आपकी आईडेंटिफिकेशन, यूसेज डेटा, परचेज डेटा, लोकेशन, कॉन्टैक्ट, यूजर कॉन्टैक्ट, यूजर आईडी डिवाइस आईडी, से लेकर लगभग हर तरह का पर्सनल डेटा कलेक्ट करता है, लेकिन सिग्नल इनमें से किसी भी तरह का डेटा कलेक्ट नहीं करता है।
  • सिम कार्ड की जरूरत नहीं : इंटरनेट के जरिए लोकेशन पकड़ में न आए, इसलिए गैंग के बदमाश बिना सिम वाला मोबाइल रखते हैं। सिग्नल ऐप बिना सिम ऑफलाइन भी काम कर सकती है।
  • क्या ऐप खतरनाक है : एक्सपर्ट नीलेश वैष्णव का कहना है कि सिग्नल ऐप में कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि प्राइवेसी के लिहाज से ये बहुत अच्छा ऐप है। प्राइवेसी ही इस ऐप की सबसे बड़ी ताकत है, जिसका फायदा गैंगस्टर उठा रहे हैं।

अब समझिए जी क्लब फायरिंग में कैसे हुआ ऐप का इस्तेमाल

गैंगस्टर सोशल मीडिया पर लग्जरी लाइफ के वीडियो और रील्स डालकर युवाओं को आकर्षित करते हैं। लॉरेंस बिश्नोई गैंग के खास रोहित गोदारा और रितिक बॉक्सर इंस्टाग्राम अकाउंट हैंडल करते हैं।

इंस्टाग्राम पर ही रितिक बॉक्सर की रील्स देखकर भूपेंद्र गुर्जर उर्फ थापा और प्रदीप शुक्ला उर्फ बाबा फैन हो गए थे। दोनों रितिक बॉक्सर से संपर्क करने में जुट गए।

तीनों की आपस में बातचीत हुई तो रितिक ने दोनों को अपने साथ गैंग में शामिल कर लिया। रितिक ने दोनों को जल्द ही एक बड़ा टास्क देने की बात कही थी।

पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद भूपेंद्र गुर्जर उर्फ थापा और प्रदीप शुक्ला के मोबाइल की जांच की गई तो उसमें सिग्नल ऐप डाउनलोड मिला। ऐप से पुलिस को उनके बीच हुए बातचीत का रिकॉर्ड भी मिला है।

बंदूक साथ लेकर घूमता है रितिक बॉक्सर। इसी तरह के पोस्ट डालकर सोशल मीडिया पर युवाओं का लग्जरी लाइफ का लालच देकर अपने साथ जोड़ता है।
बंदूक साथ लेकर घूमता है रितिक बॉक्सर। इसी तरह के पोस्ट डालकर सोशल मीडिया पर युवाओं का लग्जरी लाइफ का लालच देकर अपने साथ जोड़ता है।

बॉक्सर ने डाउनलोड कराया ऐप

आगरा पुलिस को जांच में पता लगा कि रितिक बॉक्सर ने पहले भूपेंद्र गुर्जर और प्रदीप शुक्ला को सिग्नल ऐप डाउनलोड कराया। इसके बाद ही दोनों को ऐप पर कॉल करके जयपुर में जी क्लब में फायरिंग का टास्क दिया गया था।

टास्क में 35 लाख रुपए दिए जाने की बात कही गई थी। बॉक्सर ने दोनों से फायरिंग करने को लेकर सिग्नल पर ही पूरा प्लान डिस्कशन किया था। तब चारों को जयपुर भेजा गया था। वहीं, दूसरे गुर्गों से भी इसी ऐप पर बातचीत की जा रही थी।

लॉरेंस गैंग को हथियार सप्लाई करती थी गोगी गैंग

आगरा के रहने वाले प्रदीप शुक्ला और भूपेंद्र दोनों गोगी गैंग से जुड़े हुए हैं। लॉरेंस गैंग को पहले गोगी गैंग ही हथियार सप्लाई करती थी। गोगी गैंग के लीडर का मर्ड़र हो गया था। तब से गोगी गैंग लॉरेंस के साथ मिल गई थी। रितिक बॉक्सर ने वारदात से कुछ दिनों पहले पंजाब से इनको हथियार दिलाए थे।

पुलिस ने तीनों बदमाशों काे यूपी से पकड़ा था, इनमें से एक नाबालिग है। का कहना है कि ज्यादातर पकड़े जा रहे आरोपियों सोशल मीडिया के जरिए मैसेज दिया जाता है।
पुलिस ने तीनों बदमाशों काे यूपी से पकड़ा था, इनमें से एक नाबालिग है। का कहना है कि ज्यादातर पकड़े जा रहे आरोपियों सोशल मीडिया के जरिए मैसेज दिया जाता है।

25 जनवरी को बीकानेर पुलिस को मिला था इनपुट

बीकानेर पुलिस को तीन दिन पहले जयपुर में फायरिंग की बड़ी वारदात का इनपुट मिल चुका था। बीकानेर पुलिस ने पुलिस मुख्यालय को भी इनपुट भेजा था, लेकिन पुलिस को पता नहीं लग सका कि आखिर लॉरेंस गैंग क्या करने वाली है।

बीकानेर जेल से एक शूटर 25 जनवरी को बाहर जमानत पर निकल कर आया था। शूटर को जेल के अंदर ही पहले से ही मैसेज भेज दिया गया था। जेल से बाहर आने के तीन दिनों के बाद ही 28 जनवरी की रात को लॉरेंस गैंग के शूटर्स ने जी क्लब फायरिंग की थी।

नाबालिग स्टूडेंट्स को बना रही सेफ हथियार

लॉरेंस गैंग ने पिछले एक साल में काफी स्टूडेंट्स को गैंग में शामिल किया है। इसकी वजह है कि नाबालिग होने के कारण इन पर बड़ी कार्रवाई नहीं हो सकती। पकड़े जाने पर इन्हें बाल सुधार गृह भेजा जाता है, जहां से इन्हीं जल्द ही जमानत मिल जाती है।

जी क्लब में फायरिंग में भी गैंग ने नाबालिग स्टूडेंट्स को शामिल किया था। इससे पहले रामनगरिया में भी दो नाबालिग स्टूडेंट्स को पकड़ा गया था। इन्हें कुछ रुपयों को लालच देकर दो से तीन दिनों के लिए कमरे में शूटर्स को रहने और खाने पीने का टारगेट दिया जाता है।

फायरिंग के बाद रितिक बॉक्सर ने फेसबुक पोस्ट कर इसकी जिम्मेदारी ली थी और धमकी दी।
फायरिंग के बाद रितिक बॉक्सर ने फेसबुक पोस्ट कर इसकी जिम्मेदारी ली थी और धमकी दी।

ऑनलाइन रुपए देकर स्टूडेंट्स से ही ट्रांसफर कराते

जी क्लब फायरिंग में शूटर्स के अलावा कुछ स्टूडेंट्स भी शामिल थे। इन स्टूडेंट्स को सिग्नल ऐप से ही अलग-अलग टास्क दिए गए थे। किसी को रुपए ट्रांसफर कराने तो किसी को शूटर्स के रुकने की व्यवस्था करने का मैसेज दिया गया।

पुलिस ने रामचंद्र सिंह, रोहन पासवान, रविंद्र सिंह, हरिभजन व अनीता को भी पकड़ा है। इन्होंने बदमाशों की मदद की थी।

जोधपुर के हरिभजन ने उम्मेद के कहने पर रुपए लेकर ट्रांसफर कराए थे। उम्मेद के कहने पर ही रविंद्र ने बिना आईडी के शूटरों को होटल में किराए पर कमरा दिलाया था।

आर्मी से बर्खास्त हुआ तो लॉरेंस गैंग से जुड़ा

जी क्लब फायरिंग में आर्मी से बर्खास्त उम्मेद सिंह का भी नाम सामने आ चुका है। उम्मेद सिंह बर्खास्त होने के बाद लॉरेंस गैंग से जुड़ गया था।

इसके साथ रविंद्र भी शामिल हो गया था। रविंद्र जिम ट्रेनर है और रोहन का दोस्त है। उम्मेद के कहने पर ही उसने रोहन को बोलकर बिना आईडी के होटल में कमरा दिला दिया था।

नाबालिग शूटर से बाल सुधार गृह में हुई पहचान

जी क्लब में फायरिंग में शामिल एक शूटर केवल 16 साल का ही है। 10 जनवरी को एंटी गैंग के बदमाशों पर उसने फायरिंग की थ, तब उसे पुलिस ने पकड़ा था। वहां से बाल सुधार गृह भेज दिया था।

वहीं पर उसकी मुलाकात रितिक बॉक्सर गैंग के गुर्गें से हुई थी। उसने ही रितिक बॉक्सर से उसकी सिग्नल ऐप पर पहली बार बात करवाई थी। रितिक ने उसे बोला कि जल्दी ही एक बड़ा काम दूंगा।

मेरा काम करेगा तो बड़ा नाम हो जाएगा। बहुत रुपए भी मिलेंगे। तब वह जमानत मिलने पर जयपुर आ गया था। उसका दोस्त ऋषभ बीकानेर में ही रहता था। जमानत पर आने के बाद ऋषभ को बोला कि बड़ा काम मिला है। उसे बाइक पर लेकर गया था।

बीकानेर में बना गैंग का बड़ा नेटवर्क

बीकानेर में रोहित ने नए युवाओं को गैंग से जोड़कर बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया है। रोहित गोदारा खुद बीकानेर का रहने वाला है। राजू ठेहट की मर्डर की प्लॉनिंग भी रोहित ने की थी।

ठेहट के मर्डर के लिए बीकानेर से रुपए ट्रांसफर और हथियार पहुंचाने की प्लानिंग करके युवाओं को शामिल किया था। जी क्लब फायरिंग मामले में भी बीकानेर से जेपी उर्फ जयप्रकाश, ऋषभ को शामिल किया गया।

आगरा से पकड़े गए थे शूटर

जी क्लब में फायरिंग के बाद सारे शूटर सीधे ही जयपुर से भरतपुर होते हुए आगरा पहुंच गए थे। वहां पर सारे शूटर छिपे हुए थे। पुलिस को जैसे ही लोकेशन मिली तो आगरा पुलिस से संपर्क किया।

आगरा के जैतपुरा से बीकानेर की एमपी कालोनी निवासी जयप्रकाश उर्फ जेपी, बीकानेर की रामपुरा बस्ती निवासी ऋषभ उर्फ यशचंद्र रजवार, डिफेंस कालोनी निवासी प्रदीप शुक्ला उर्फ बाबा शुक्ला और बड़ा गांव आगरा निवासी भूपेंद्र गुर्जर उर्फ थापा को गिरफ्तार किया था।

भूपेंद्र को फिलहाल आगरा पुलिस ने गिरफ्तार कर रखा है। जेपी, ऋषभ, प्रदीप शुक्ला तीनों को जयपुर पुलिस जयपुर लेकर आ गई थी।

रास्ते में तीनों ने टॉयलेट जाने के बहाने हथियारा छीन कर भागने की कोशिश की थी। मुठभेड़ के दौरान तीनों को गोली लग गई थी। तीनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

पुलिस ने फायरिंग की वारदात में सहयोग करने वाले कई लोगों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने फायरिंग की वारदात में सहयोग करने वाले कई लोगों को गिरफ्तार किया है।

वीपीएन नेटवर्क से लोकेशन हाइड कर धमकी देते

एडिशनल पुलिस कमिश्नर (फर्स्ट) अजयपाल लांबा ने बताया कि रितिक बॉक्सर की फेसबुक पर हुई पोस्ट के आधार पर सायबर टीम ने एनालिसिस किया था।

उसकी कई पोस्ट से अपराधियों के नेटवर्क का पता लगा था। पुलिस को सायबर एनालिसिस में पता लगा कि रोहित और रितिक फर्जी सिम व मोबाइलों का प्रयोग करते हैं।

इनसे वीपीएन नेटवर्क यूज कर अपनी लोकेशन को हाइड़ करके जयपुर व अन्य शहरों में व्यापारियों को धमकी देकर फिरौती मांगते हैं। इसकी वजह से इनकी लोकेशन का पता नहीं लग पाता है कि ये कहां से फोन कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर ही वारदात की जिम्मेदारी

सिद्धू मूसेवाला की हत्या हो या चाहे राजू ठेहट का मर्डर। पिछले कुछ समय से बदमाश सोशल मीडिया पर ही वारदात करने के बाद पूरी जिम्मेदारी लेते हैं।

रोहित गोदारा ने राजू ठेहट मर्डर की प्लानिंग की पूरी जिम्मेदारी करते हुए पोस्ट की थी। ऐसे ही जयपुर में जी क्लब में फायरिंग करने के बाद रितिक बॉक्सर ने पोस्ट करके जिम्मेदारी ली थी। इतना ही नहीं जब पुलिस ने बदमाशों को पकड़ा तो नई चुनौती दे दी थी।

राजू ठेहट मर्डर की प्लॉनिंग भी सिग्नल ऐप से

सीकर पुलिस ने राजू ठेहट की हत्या में शामिल कुलदीप उर्फ केडी को अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल से गिरफ्तार किया था। जेल में मोबाइल पहुंचाने वाले दो जेल प्रहरी भी पकड़े गए। चौंकाने वाली बात है कि रोहित गोदारा ने ही सिग्नल ऐप डाउनलोड करवा कर राजू ठेहट की हत्या की प्लानिंग रची थी। राेहित ने हथियार पहुंचाने वाले से लेकर मर्डर करने वाले, रुपए देने वाले हर एक आदमी के फोन में सिग्नल ऐप डाउनलोड करवाया था। पूरे प्लान में शामिल हर आदमी को ऑर्डर रोहित ही देता था। प्लानिंग से पहले और काम होने के बाद पूरा अपडेट ले रहा था।

खास बात है कि कई लोगों को ये भी नहीं पता होता था कि कौन हथियार देने आ रहा है और कौन रुपए देगा। कौन किससे मिलेगा और कहां पर मिलेगा। ये सारी प्लानिंग रोहित ही सिग्नल ऐप के जरिए उन्हें बात कर बताता था। बीकानेर में रुपए ट्रांसफर कराए गए और मेडिकल स्टोर पर हथियार छिपाए गए। यहां तक नीमकाथाना में हथियार कौन देने आएगा। आगे कहां पर जाएंगे, किसी को ज्यादा कुछ नहीं पता था। यहीं वजह है कि आज भी पुलिस के पास कई कड़ी जांच में मिसिंग चल रही है। रोहित ही अलग-अलग नेटवर्क में सभी की प्लानिंग करता था।

राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर राजू ठेहट का सीकर में उसके घर के बाहर मर्डर किया गया था।
राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर राजू ठेहट का सीकर में उसके घर के बाहर मर्डर किया गया था।

पंजाब से सिग्नल ऐप पर कॉलिंग कर शूटर को भेजा

डेरा प्रेमी प्रदीप की हत्या में शामिल राज हुड्‌डा उर्फ रमजान खान को पंजाब से जयपुर भेजा गया था। विदेश में बैठे गोल्ड़ी बराड़ ने सिग्नल ऐप पर प्लॉनिंग की। ज्ञानविहार यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों को कॉलिंग कर बोला कि दोस्ता राज आएगा। उसे कुछ दिन कमरे में ही रोकने की बात कहीं थी। तभी दोनों भाई रमजान को कमरे पर लेकर आए थे। गोल्ड़ी ने ही राज को कॉलिंग करके जयपुर में युवकों के पास पहुंचने के लिए बोला था। पंजाब और जयपुर पुलिस ने तीनों को पकड़ लिया था।

अमेरिका में भी गैंगस्टर यूज कर रहे ऐप

अमेरिका में भी गैंगस्टर सिग्नल ऐप को काफी यूज कर रहे हैं। पकड़े जाने के बाद अपराधियों ने कबूल किया था कि वे सिग्नल ऐप पर ही पूरा नेटवर्क चलाते हैं।

साल 2022 में करीब 1000 और 2021 में 800 अपराधियों को पकड़ा गया था, जिन्होंने ऐप यूज करने की बात कही थी। ऐप के मालिक ने पिछले दिनों भारत से ऐप को एग्जिट करने की बात कही थी।

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जी क्लब पर फायरिंग करने वाले बदमाश जयप्रकाश, संदीप और ऋषभ को जयपुर कमिश्नरेट पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। देर रात पुलिस की टीम तीनों को जयपुर लेकर पहुंची। इस दौरान खो नागोरियां थाना इलाके के पास इन बदमाशों ने भागने की कोशिश की। इस दौरान फायरिंग में तीनों घायल हो गए। (पूरी खबर पढ़ें)