राजस्थान में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीद में जमकर अनियमितता हुई हैं। सरकार ने दूसरी लहर के दौरान आनन-फानन में 20 हजार कंसंट्रेटर खरीदे हैं। भास्कर ने पड़ताल की तो तीन चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
पहला- सरकार ने दलालों के माध्यम से निजी कंपनियों से खरीदा।
दूसरा- 35-40 हजार रु. वाले कंसंट्रेटर एक लाख रु. तक खरीदे गए।
तीसरा- ज्यादातर कंसंट्रेटर 2 मई को कोरोना पीक गुजरने के महीने भर बाद खरीदी गई। अब ये अस्पतालों में कबाड़ में पड़ी हुई हैं। भास्कर टीम प्रदेश के 11 जिलों के 65 स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंची। यहां हमने 1300 से ज्यादा कंसंट्रेटर का सच जाना। कीमतों की पड़ताल के लिए कंसंट्रेटर सप्लाई करने वाली कंपनियों से भी बात की। जो कंसंट्रेटर महंगी कीमत पर खरीदे गए वही कंसंट्रेटर भास्कर को कंपनियां 35-40 हजार रु. में देने को तैयार हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक निजी कंपनी ने बताया कि उस समय भी 5 लीटर क्षमता वाले कंसंट्रेटर 35-40 हजार रु. के ही आ रहे थे।
भास्कर टीम ने विधायक कोष से खरीदे गए 948 कंसंट्रेटर की भी पड़ताल की, इसमें औसतन कीमत 1.06 लाख रु. बताई गई है। ग्रामीण विकास व पंचायतराज विभाग की वेबसाइट के अनुसार भीलवाड़ा, राजसमंद, कोटा, नागौर, झुंझुनूं, अलवर, बारां और चित्तौड़ के कई विस क्षेत्रों में कंसंट्रेटर एक लाख से सवा लाख रु. तक में खरीदे गए।
कंसंट्रेटर खरीदते समय यह भी ख्याल नहीं रखा कि जिन कंपनियों से वो कंसंट्रेटर खरीद रहे हैं उनका पहले घोटालों में नाम आ चुका है। 5 साल पहले हुए एनएचएम घोटाले में कमिशन बांटने वाले व्यक्ति की फर्म के माध्यम से कंसंट्रेटर खरीदे गए हैं।
कबाड़ का फोटो
तस्वीर बांदीकुई के कोविड सेंटर की है। हम यहां पहुंचे और कंसेंट्रेटर को जांचा तो 5 लीटर प्रति मिनट पर ऑक्सीजन की शुद्धता मात्र 30% मिली। यह स्थिति हमें अन्य सेंटर्स पर मिली।
बर्बादी का बिल
ये बिल गवाह है कि कंसंट्रेटर महंगे खरीदे गए हैं। ये बिल सीएमएचओ अजमेर को भेजा गया है, जिसमें चीनी कंपनी के घटिया कंसंट्रेटर की कीमत 83 हजार रु. है। विधायक ने इन्हें लौटा दिया।
आपत्ति का पत्र
घटिया कंसंट्रेटर सप्लाई किए गए तो भरतपुर मेडिकल कॉलेज ने जयपुर को पत्र लिखकर आपत्ति जताई कि जो शर्तें बताई गई हैं यह उनपर खरे नहीं हैं।
बड़ा सवाल
सरकार का तर्क है कि ये कंसंट्रेटर संकट के वक्त खरीदे गए। लेकिन बड़ा सवाल है कि दूसरी लहर लगभग खत्म होने के बाद इनकी सप्लाई क्यों की गई? अभी भी ऐसे कंसंट्रेटर ही क्यों खरीदे जा रहे हैं?
घर में इस्तेमाल के भी लायक नहीं
मेरे विधायक कोष के 25 लाख रु. में जो कंसंट्रेटर खरीदे गए हैं उन पर न किसी कंपनी का नाम है न कोई गारंटी कार्ड। ये 10 लीटर प्रति मिनट पर 30% ऑक्सीजन बनाते हैं। ये अस्पताल में तो क्या घर पर उपयोग के भी काबिल नहीं हैं। ये कंसंट्रेटर पांच घंटे से ज्यादा नहीं चल सकते हैं। -अनिता भदेल, विधायक अजमेर (दक्षिण)
हमारे अस्पताल में मेरे विधायक कोष से जो कंसंट्रेटर भेजे गए थे वो इतने घटिया थे कि मैनें पत्र लिखकर उन्हें वापस लौटा दिया।
-सुरेश टांक, विधायक किशनगढ़
जान बचाते या कीमत देखते
कंसंट्रेटर मिल नहीं रहे थे। एक लाख में मिला तो भी खरीदा। जान बचाते या कीमत देखते। राजसमंद में 400 कंसंट्रेटर खरीदे, इनका अभी यूज नहीं हुआ है। औसतन 70-80 हजार रु. की दर से खरीद की है। -डॉ. प्रकाश शर्मा, सीएमएचओ, राजसमंद
हमने मेड इन चाइना ब्रैंड कंसंट्रेटर नहीं खरीदे, बल्कि जर्मनी और यूएसए के खरीदे हैं। कमेटी ने जो कीमत उचित लगी उसी रेट पर खरीदे हैं। यह करीब एक लाख रु. के आस-पास है।
-डॉ. संपत्तराज नागर, सीएमएचओ, बारां
सीधी बात
आरएमएससीएल के एमडी आलोक रंजन से सीधी बातचीत-
Q. कितने कंसंट्रेटर, किस माध्यम से खरीदे?
करीब 20 हजार कंसंट्रेटर आ गए हैं और भी आने वाले हैं।
Q. बाजार में सस्ते थे तो महंगे क्यों खरीदे?
लोगों की जान बच रही हो तो किमत मायने नहीं रखती। महामारी के वक्त केंद्र सरकार के वित्तीय नियमानुसार खरीद की है।
Q. क्या खरीदने से पहले कंसंट्रेटर की क्वालिटी चेक की गई?
कंसंट्रेटर अलग-अलग माध्यमों से खरीदे गए हैं। क्वालिटी के इश्यू के चलते हमने कुछ कंसंट्रेटर वापस लौटाए हैं। सभी कंसंट्रेटर वारंटी में हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.