जयपुर मेयर सौम्या गुर्जर ने चौंकाया, सीएम से मिलीं:​​​​​​​पहले गहलोत के सामने रखी अपनी पूरी बात, फिर भेजा अपना जवाब

जयपुर6 महीने पहले
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जयपुर नगर निगम ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर ने गुरुवार को सरकार को अपना जवाब पेश कर दिया है। उन्होंने डीएलबी डायरेक्टर को जवाब देने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने अपनी पूरी बात रखी। इसके बाद देर शाम को लिखित जवाब डीएलबी डायरेक्टर को भिजवाया।

जवाब देने के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा- मैंने अपना सारा रिप्रजेटेंशन सीएम को दे दिया है। मुख्यमंत्री ने भी मेरी पूरी बात को सुना है। मुझे उम्मीद है कि न्याय मिलेगा। सौम्या के इस चौंकाने वाले कदम से अब कयास लगाए जा रहे हैं कि ये मामला ठंडे बस्ते में जा सकता है।

सरकार अब लेगी लीगल राय
राज्य सरकार सौम्या के जवाब का अब कानूनी अध्ययन करवाएगी। कानूनी अध्ययन के बाद अगर सरकार को जवाब संतोषजनक लगेगा तो सौम्या को बरी भी किया जा सकता है। सूत्रों की माने तो इससे पहले सितम्बर में जब सौम्या को मेयर के पद से निलंबित किया था, तब इसका निर्णय UDH मंत्री शांति धारीवाल के स्तर पर किया गया था। इस बार इस मामले को मुख्यमंत्री के स्तर पर भिजवाने के कयास लगाए जा रहे थे।

बर्खास्तगी को दोबारा दे सकती है चुनौती
सरकार अगर सौम्या को दोबारा पद से बर्खास्त करती है तो सौम्या के पास दोबारा हाईकोर्ट जाने का विकल्प रहेगा। सौम्या की तरफ से इस मामले की राजस्थान हाईकोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ता महेन्द्र सारण की माने तो सरकार के किसी भी अंतिम निर्णय को ज्यूडिशरी रिव्यू करने का अधिकार हर किसी के पास है। फिर चाहे नगर पालिका अधिनियम में सरकार ने ये प्रावधान क्यों न कर रखा हो कि सरकार की ओर से एक बार पद से बर्खास्त करने के बाद कोर्ट में उसे चुनौती नहीं दे सकते।

चुनाव की जगह सौम्या ने हाईकोर्ट में लड़ी लड़ाई
27 सितंबर को सौम्या गुर्जर को सरकार ने बर्खास्त किया था। वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट चली गई। सौम्या गुर्जर की याचिका पर हाईकोर्ट के जस्टिस महेंद्र गोयल ने मेयर को बर्खास्त करने का सरकार का आदेश रद्द कर दिया। 10 नवंबर को उपचुनाव के बीच हाईकोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी का ऑर्डर रद्द कर दिया था। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया रोक दी थी। इससे सौम्या के एक बार फिर मेयर बनने का रास्ता साफ हो गया था।

भले ही सौम्या ने तीसरी बार मेयर की कुर्सी संभाल ली है, लेकिन उनसे जयपुर शहर के विधायक अब भी नाखुश हैं। यही कारण रहा कि जयपुर शहर के किसी भी विधायक की हाईकोर्ट के आदेश या उनके चार्ज संभालने पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

हालांकि, संगठन की तरफ से प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने जरूर कहा था- हाईकोर्ट के आदेश से राजस्थान की कांग्रेस सरकार के चेहरे पर तमाचा पड़ा है। सरकार ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम की चुनी हुई मेयर को हटाने की साजिश की।

12 नवंबर को मेयर पद दोबारा जॉइन किया
आपको बता दें कि हाईकोर्ट के आदेशों के बाद सौम्या ने 12 नवंबर को मेयर पद दोबारा जॉइन किया था। उसी दिन राज्य सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस देते हुए 7 दिन में जवाब पेश करने का समय दिया था। 18 नवंबर को जब सौम्या अपना जवाब देने पहुंची तो उन्होंने सरकार से एक महीने का अतिरिक्त समय मांगा था, लेकिन सरकार ने एक महीने का समय न देकर एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया था, जो आज पूरा हो गया।

सौम्या को टिकट देने के खिलाफ थे जयपुर के विधायक
10 नवंबर 2020 को जब जयपुर नगर निगम ग्रेटर में मेयर का चुनाव हुआ था, तब सौम्या को टिकट देने पर जयपुर के मौजूदा और पूर्व विधायकों ने विरोध जताया था। पति राजाराम की आरएसएस में अच्छी पकड़ होने और भाजपा के पदाधिकारियों का सपोर्ट मिलने के बाद उन्हें विधायकों के विरोध को नजरअंदाज करते हुए मेयर का टिकट दिया गया।

सरकार ने नोटिस में क्या कहा था
सौम्या को जो नोटिस जारी किया गया था उसमें उनसे पूछा था कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार की ओर से क्यों न नगर निगम ग्रेटर जयपुर के वार्ड संख्या 87 की सदस्यता और महापौर नगर निगम ग्रेटर जयपुर के पद से हटाने और अगले 6 साल तक पुर्ननिर्वाचन के लिए निर्योग्य घोषित कर दिया जाए। अत: इस संबंध में आप अपना जवाब 18 नवंबर तक पेश करें।

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सौम्या गुर्जर ने शनिवार को तीसरी बार नगर निगम जयपुर (ग्रेटर) का मेयर पद संभाल लिया है। 10 नवंबर को उपचुनाव के बीच हाईकोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी का ऑर्डर रद्द कर दिया था। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया रोक दी थी। इससे सौम्या के एक बार फिर मेयर बनने का रास्ता साफ हो गया था। 2 साल में यह तीसरा मौका है, जब सौम्या ने आधिकारिक तौर पर मेयर का चार्ज लिया है। (पूरी खबर पढ़ें)