7 साल में बसाने को एक भी गरीब नहीं मिला
देश की राजधानी दिल्ली में गत 1 नवंबर को झुग्गियों में रहने वाले 3024 लोगों को पीएम आवास अलॉट हुए, लेकिन राजस्थान की राजधानी जयपुर में सरकार को झुग्गियों में रहने वाले लोग नहीं मिल रहे। ऐसी ही स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों में भी है। राज्य में पीएम आवास के 6000 से अधिक फ्लैट/मकान 7 साल से खाली हैं और खंडहर हो रहे हैं।
भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि अकेले जयपुर शहर में ही 3.75 लाख लोग 300 से अधिक कच्ची बस्तियों में हैं। यहां 4766 आवास इन बस्ती वालों के लिए तैयार हुए थे, जिनमें जेडीए की 17 और निगम क्षेत्र की 14 बस्तियां शिफ्ट होनी थीं। आज आवासों की स्थिति यह है कि इनके खिड़की-दरवाजे, नल-टूटियां उखाड़ चुके हैं। कई पर तो कब्जे हो गए हैं।शेष | पेज 4
प्रदेश में 6000 पीएम आवास, 7 साल में बसाने को एक भी गरीब नहीं मिला...
हमने केंद्र को प्रस्ताव भेजा था गरीबों से प्रतिमाह ₹500 रुपए तक किराया लेकर 10 साल में उन्हें मकान मालिक बनाएंगे। 2 रिमाइंडर भी भेजे। -कुंजीलाल मीणा, प्रमुख सचिव, यूडीएच
हम एक बार फिर से फैक्ट चेक करते हैं। इसके बाद ही आगे कुछ स्थिति क्लियर करेंगे। -मनोज जोशी, सेक्रेटरी, मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स
क्योंकि... झुग्गी दोनों पार्टियों के लिए वोटों की बस्ती है
दोनों तस्वीरें जयपुर की हैं। पहली- रामपुरा रोड स्थित बस्ती का दौरा करते सांगानेर से भाजपा विधायक अशोक लाहोटी। दूसरी- बस्सी सीतारामपुरा पानी पेच के पास नेहरू नगर में कच्ची बस्ती का दौरा करते मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास।
सिर्फ चित्तौड़गढ़ में टेंडर पास हुआ... पर कंपनी एमओयू के लिए 6 माह बाद भी नहीं आई
जयपुर में बिल्डिंगों को किराए पर देने के लिए 4 बार टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई। किसी ने रुचि नहीं दिखाई।
पाली व प्रतापगढ़ में भी दो-दो बार टेंडर हुए, लेकिन सफल नहीं हुए।
केवल चित्तौड़ में दूसरी बार टेंडर में एक फर्म ने भाग लिया, वह पास हुई। लेकिन अब 6 माह से ज्यादा हो गए वह इस पर एमओयू करने को तैयार नहीं है।
पहले 31 कच्ची बस्तियों को शिफ्ट करने की योजना असफल हुई, अब अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम में 4 बार टेंडर फेल।
राज्य के अफसरों ने गलत जगह निर्माण किया, केंद्र प्रस्तावों का जवाब नहीं देता फ्लैट के लिए स्थान का चयन कैसे हुआ? 11 साल पहले जहां खाली जगह देखी वहां प्रशासनिक स्तर पर जगह का चयन हुआ। स्थान चयन को लेकर दावे-आपत्ति आए? फ्लैट बनाने के लिए कच्ची बस्ती वालों से कोई राय तक नहीं ली गई। इसलिए उनके दावे-आपत्तियां आए ही नहीं। वहीं, दिल्ली में कालकाजी स्थित भूमिहीन शिविर, नवजीवन शिविर और जवाहर शिविर नाम के तीन झुग्गी-झोपड़ी वाली बस्तियों का पुनर्वास किया जा रहा है। इसके लिए बस्तियों के पास की ही खाली कमर्शियल सेंटर साइट पर फ्लैट बनाए गए हैं। फ्लैट न बिकने पर अब तक क्या किया? दिसंबर 2020 में अफॉर्डेबल रेंटल पॉलिसी के तहत 25 साल किराए पर देने के प्रस्ताव दिया गया, पर केंद्र सरकार ने इसे माना नहीं। मार्च 2022 में ‘रेंटल टू ओनरशिप’ योजना के तहत फ्लैट किराए पर लेने वाले को 10 साल में मालिक बनाने का प्रस्ताव भेजा गया। इस पर भी कोई फैसला नहीं हुआ। अब कंसेशनर के बजाय जिन लोकल बॉडीज (जेडीए, यूआईटी आदि) ने बिल्डिंग बनाई हैं, अब उन्हीं के जरिए लोगों को फ्लैट किराए पर देने की योजना का प्रस्ताव तैयार करने पर विचार किया जा रहा है।
भुतहा हो रहे इन फ्लैट्स की सरकारी रेंटल स्कीम इसलिए हो रही फेल
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