राजस्थान सरकार के तीन मंत्री और एक मुख्य सचेतक की तनातनी के बीच जेडीए में दो डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (डीएफओ) का तबादला अटक गया है। दरअसल, जेडीए में आने को आतुर एक डीएफओ ने पहले परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और फिर मुख्य सचेतक महेश जोशी से डिजायर कराई।
वनमंत्री सुखराम विश्नोई तक मामला पहुंचा तो उन्होंने जेडीए में पहले से तैनात डीएफओ महेश तिवारी से उनकी इच्छा जानी और कहा कि वे वापस विभाग आ जाएं। जैसे ही महेश तिवारी को हटाकर एपीओ चल रहे डीके जोशी को जेडीए में डीएफओ लगाया तो मामला सीएमओ तक पहुंच गया।
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने यह कहकर आपत्ति जता दी कि उनके विभाग में बगैर उनकी जानकारी के अफसर को क्यों बदला गया? घूम-फिरकर मसला जेडीए आया। इसके बाद से न तो तिवारी को जेडीए से रिलीव किया गया और न ही उनकी जगह लगाए गए डीके जोशी को चार्ज सौंपा गया।
मामला फिर से मंत्री-मुख्य सचेतक तक पहुंचा है और इसका तोड़ निकाला जा रहा है। वहीं, शांति धारीवाल ने साफ कहा कि ‘तिवारी ही रहेगा वहां।’ बता दें कि महेश तिवारी पहले धारीवाल के साथ कोटा में छत्रसाल पार्क और सड़कों के किनारे प्लांटेशन को लेकर तकनीकी राय दे चुके हैं। धारीवाल उनके कामकाज की पहले भी सराहना कर चुके हैं।
नतीजा- तबादला अटका; न पहले जा पा रहे...न दूसरे को चार्ज
पीछे की कहानी... 6 महीने से एपीओ चल रहे थे डीएफओ डीके
जयपुर में वन विभाग की फील्ड पोस्टिंग में चिड़ियाघर डीएफओ के लिए भारी मशक्कत रहने लगी है। इसके पीछे झालाना और नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क का टूरिज्म है। डीके जोशी करीब 6 महीने से एपीओ चल रहे थे। इससे पहले वे जयपुर नार्थ में डीएफओ रहे। जयपुर और उसमें भी जयपुर विकास प्राधिकरण आने के लिए वे कई दिन से डिजायर की कोशिश में थे।
प्रताप सिंह खाचरियावास और महेश जोशी की डिजायर के बाद 9 सितंबर को वन विभाग की तबादला सूची में इन्हें जेडीए में सितंबर 2019 से लगे महेश तिवारी की जगह लगाया गया। मगर विवाद होने के कारण 2 सप्ताह से जोशी अब केवल साइन करके जा रहे हैं, चार्ज लेने के लिए अलग सिफारिशें चल रही हैं।
वन विभाग में खुद के खाली पदों को भरने के बजाय डिजायर और सिफारशी तबादलों पर 2 साल में कई बार विवाद हुए हैं। बता दें कि राज्य सरकार की ओर से तबादलों के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की गई है। हर डिपार्टमेंट में इसके लिए डिजायर, सिफारिश और मनचाही पोस्टिंग के लिए कई जतन किए जा रहे हैं। इसके बावजूद कोई ना कोई नाम किसी को किसी कारणवश रिप्लेस कर देता है। ऐसे में अब अंतिम सूचियां डेडलाइन के आखिरी एक-दो दिन में ही देखने को मिलेंगी। वन विभाग में भी यही होगा।
उल्टी गंगा क्यों... जरूरत 13 माह पहले हटाए सीएफ की थी, लगा रहे डीएफओ
वन मंत्री ने सिफारिश पर जेडीए में जोशी को बतौर डीएफओ भेजा है। इससे इतर जेडीए में जरूरत सीएफ यानी वरिष्ठ उद्यानविज्ञ की थी, जिस पर आईएफएस लगाते रहे हैं। इस मांग की भरपाई के लिए जेडीए ने 3-4 बार वन विभाग को लिखा भी। चूंकि आईएफएस सुनील चिद्री के अगस्त 2020 में हुए ट्रांसफर के बाद किसी को नहीं लगाया गया।
जेडीए क्यों खास... शहर का सुख तो है ही, साथ ही 5-8 करोड़ का बजट भी
इंजीनियरिंग से लेकर आरएएस व डेपुटेशन पर आने वाले हर अफसर की ख्वाहिश जेडीए में पोस्टिंग की है। वजह शहरी सुख के साथ सरकारी नियमावली में प्राधिकरण की वजह से कुछ शिथिलता और 5-8 करोड़ का बजट है। वन विभाग की कई डिवीजन में जितना बजट नहीं मिलता, उतना जेडीए में सालाना प्लांटेशन व पार्कों के रखरखाव आदि का होता है।
वन मंत्री बोले...1-2 दिन में जयपुर आऊंगा, तब कुछ किया जाएगा
वनमंत्री सुखराम विश्नोई ने कहा कि वह फिलहाल सांचौर में हैं। 1-2 दिन में जयपुर पहुंचेंगे। इसके बाद ही इस मसले पर कुछ किया जाएगा। इस मसले पर जब भास्कर ने महेश जोशी से बात की, तो उन्होंने कहा कि इस पर पूरी जानकारी लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी। वहीं, प्रताप सिंह खाचियावास ने इस मुद्दे पर आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
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