राज्यपाल कलराज मिश्र की जीवनी पर हुए विवाद के बाद राजभवन ने पूरे मामले में एक्शन लिया है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने पूरे विवाद पर नाराजगी जाहिर करते हुए दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। राज्यपाल ने बिना ऑर्डर विश्वविद्यालयों को जीवनी की 19-19 किताबों के 68-68 हजार के बिल थमाने पर नाराजगी जताई है। राज्यपाल के निर्देशों के बाद अब किताब के प्रकाशक और लेखक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।
किताब के कुछ कंटेंट को लेकर हुए विवाद से भी राज्यपाल नाराज हैं। ऐसे में अब किताब के प्रकाशक और लेखक के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। प्रकाशक संस्था ने किताब में खुद को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की संस्था बताया जो औद्योगिक और वैज्ञानिक शोध करती है। यह जानकारी तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह गलत थी जिसका किताब में दावा किया गया है। राज्यपाल की जीवनी में भाजपा जॉइन करने की अपील भी शामिल की गई, जिस पर भारी विवाद हुआ है।
राज्यपाल कलराज मिश्र की जीवनी कलराज मिश्र : निमित्त मात्र हूं मैं, का 1 जुलाई को राजभवन में विमोचन किया गया था। राज्यपाल कलराज मिश्र के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी और सीएम अशोक गहलोत के अलावा सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपति भी शामिल हुए। समारोह के बाद प्रदेश के सभी 27 सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को बिना ऑर्डर किताबों के 68-68 हजार के बिल थमा दिए गए।
विवाद पर राजभवन ने सफाई दी थी
राज्यपाल की जीवनी पर विवाद होने के बाद राजभवन ने ट्वीट कर सफाई दी थी। राजभवन ने लिखा- 1 जुलाई को राजभवन में लोकार्पित ‘कलराज मिश्र-निमित्त मात्र हूं मैं’ पुस्तक के विपणन के संबंध में कतिपय समाचार प्रसारित हुए हैं। यह मुख्य रूप से प्रकाशक आईआईएमई, शोध संस्थान और खरीदने वाले के मध्य की निजी जानकारियां हैं। प्रकाशक ने पुस्तक प्रकाशित कर राजभवन में उसके लोकार्पण की अनुमति मांगी थी, जो उन्हें दी गई, लेकिन पुस्तक के विपणन की व्यावसायिक गतिविधियों में राजभवन की कोई भूमिका, किसी प्रकार की संबद्धता नहीं है।
जानिए क्या है पूरा विवाद
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