वल्लभनगर और धरियावद उपचुनावों में बीजेपी को करारी हार मिली। इस हार के बाद अब पार्टी में कलह शुरू हो गई है। इसके साथ ही वसुंधरा राजे खेमा सक्रिय हो गया है। राजे खेमे के नेता अब वसुंधरा राजे को नेतृत्व सौंपने और उन्हें चेहरा बनाने की मांग उठाने लगे हैं। पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल और भवानी सिंह राजावत ने पार्टी की करारी हार पर सवाल उठाते हुए वसुंधरा राजे को कमान सौंपने की मांग उठाई है।
प्रहलाद गुंजल ने भास्कर से कहा कि करारी हार से हमारा कार्यकर्ता हताश और निराश है। हमारे पास बूथ लेवल तक कार्यकर्ता बैठा है। पन्ना प्रमुख तक हमारा नेटवर्क होने के बावजूद एक जगह हमारा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा और एक जगह जमानत जब्त हो गई। ऐसे हालात क्यों बने? इस सच्चाई के नजदीक जाकर चिंतन करना चाहिए।
प्रहलाद गुंजल ने कहा कि कांग्रेस के पास तीन बार के सीएम अशोक गहलोत का बड़ा नेतृत्व था। हमारे पास प्रदेश में इतने बड़े नेतृत्व का अभाव रहा। इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। इसके मुकाबले में एकमात्र वसुंधरा राजे ही हैं, जिनका चमत्कारिक नेतृत्व है। वे ही मुकाबला कर सकती हैं।
गुंजल ने कहा कि वसुंधरा राजे को आगे लाना ही चाहिए। यह मैं ही नहीं नीचे तक का कार्यकर्ता कह रहा है। जमीनी कार्यकर्ता से यह आवाज आने लगी है कि 2023 की नैया पार करने के लिए राजे को लाया जाए। इस हार से कार्यकर्ता विचलित और निराश है। कांग्रेस के पास तीन बार के सीएम अशोक गहलोत का नेतृत्व है, गहलोत का बड़ा कद है। उनके मुकाबला राजे ही कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेशाध्यक्ष हार के बाद कह रहे थे कि सरकार में रहते हुए भी तीन उपचुनाव हारे थे। इस हार के बाद तो सरकार चली गई थी। अब हम विपक्ष में हैं और हमें सरकार लानी है। वापस विपक्ष में नहीं बैठना है। पार्टी के संगठन के पदों पर बैठे लोगों को इस पर सोचना चाहिए। सरकार लानी है तो गंभीरता से चिंतन करना होगा। संगठन के पदों पर बैठे लोगों के अलावा भी बहुत लोग हैं। सबल नेतृत्व को आगे लाना होगा। हार के लिए जिम्मेदारी के सवाल पर गुंजल ने कहा कि बीजेपी में हमेशा सामूहिक नेतृत्व की बात होती है, एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
राजावत ने कहा- वसुंधरा राजे को आगे नहीं किया तो चुनावों में ऐसे ही दुर्गति होती रहेगी
पूर्व संसदीय सचिव भवानी सिंह राजावत ने कहा कि वसुंधरा राजे को कमान नहीं दी गई तो चुनावों में इसी तरह दुर्गति होती रहेगी। इस उपचुनाव में पार्टी टक्कर में भी नहीं आ पाई। उसी तरह आगामी चुनावों में भी पार्टी की ऐसी दुर्गति होगी कि वह पिछड़ती चली जाएगी। जो संगठन और कार्यकर्ता दोनों के लिए घातक होगा।
बीजेपी जहां विजय पताका फहराती थी, वहां पर भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। क्या कारण रहे कि जनता का पार्टी से मोह भंग हो गया है। यह वसुंधरा राजे का चमत्कारिक नेतृत्व ही था, जिससे हम हर चुनाव में जीते। विधानसभा चुनावों में एक बार 200 में से 120 और दूसरी बार 200 में से 163 सीटें जीतने का रिकाॅर्ड हमने कायम किया और लगभग हर चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता रहा। जीत के लिए वसुंधरा राजे को बागडोर सौंपना अब जरूरी हो गया है।
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