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शुद्ध के लिए यह कैसा युद्ध:नकली दवा सैंपल फेल तो तत्काल अलर्ट मिलेगा; मिलावटी दवाएं के 2.77 लाख विक्रेता, जांच करने वाले 20 ही

जयपुरएक वर्ष पहलेलेखक: शिव प्रकाश शर्मा/नरेश वशिष्ठ
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अशुद्ध चीजें खाकर बीमार पड़ो, फिर शुद्ध दवाएं खाकर ठीक हो जाओ - Dainik Bhaskar
अशुद्ध चीजें खाकर बीमार पड़ो, फिर शुद्ध दवाएं खाकर ठीक हो जाओ

यह खबर आपकी सेहत से जुड़े दो पहलुओं पर है। एक अच्छा और दूसरा चिंताजनक। अच्छा यह कि औषधि नियंत्रक संगठन ऐसा एप तैयार कर रहा है, जिससे कोई भी दवा अमानक या नकली मिलने पर तुरंत दवा विक्रेताओं को मोबाइल पर सूचना मिल जाएगी। इससे ऐसी दवाओं की बिक्री तत्काल रुक सकेगी। पहले सभी विक्रेताओं तक सूचना पहुंचने में समय लगने से बड़ी मात्रा में ऐसी दवाएं बिक जाती थीं। अब ऐसा नहीं होगा।

लेकिन चिंताजनक पहलू यह है कि मिलावटी खाद्य पदार्थों पर लगाम नहीं है। ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ का 90 दिन का अभियान शुरू हुए 40 दिन बीत गए लेकिन जिले में जांच के लिए 258 सैम्पल ही लिए हैं। इनमें भी 75 की जांच नहीं हो पाई है। ऐसे में जनता की सेहत पर खतरा बरकरार है।

यह व्यवस्था अच्छी है: तुरंत रोक सकेंगे स्टॉक

  • लैब की जांच में दवा का सैम्पल फेल होने पर औषधि नियंत्रक संगठन हर माह अलर्ट जारी करता रहा है।
  • विक्रेताओं के पास अलर्ट पहुंचे तब तक खराब दवाएं बड़ी मात्रा में बिक जाती हैं। इसके मद्देनजर औषधि नियंत्रक संगठन सिस्टम सुधार रहा है।
  • ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि अलर्ट के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी फील्ड अधिकारियों की है लेकिन फील्ड में दवा दुकानों की संख्या के मद्देनजर ऑनलाइन सूचना तंत्र विकसित करने की जरूरत महसूस हो रही थी। ऐसे में डीओआईटी के सहयोग से ऐसा एप बना रहे हैं, जिसमें प्रदेश के सभी दवा विक्रेताओं के मोबाइल नंबर होंगे।
  • विभाग के पास सभी दवा कारोबारियों के मोबाइल नंबर उपलब्ध हैं। लैब से जैसे ही रिपोर्ट आएगी कि दवा अमानक या नकली है तो एप में डाल दी जाएगी। इससे तत्काल सभी दवा विक्रेताओं के मोबाइल पर मैसेज के जरिए अलर्ट पहुंच जाएगा। दुकानदारों को दवा और बैच की जानकारी मिलेगी तो स्टॉक तत्काल हटा सकेंगे।

यह ढर्रा चिंताजनक: माैके पर सैंपल जांचने के लिए मोबाइल लैब नहीं
सरकार ने 1 जनवरी से ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान शुरू किया है, जो 31 मार्च तक (90 दिन) चलेगा।। लेकिन 40 दिन में खाद्य पदार्थों की जांच के लिए 260 सैम्पल ही लिए जा सके हैं। जिले में खाद्य पदार्थ निर्माता और थाेक-खुदरा विक्रेता 2.77 लाख हैं जबकि जांच के लिए 5-5 अफसरों की मात्र 4 टीमें बनाई हैं। हर टीम काे 2-2 उपखंड दिए हैं। अभियान में टीमों काे 72 कार्य दिवस मिलेंगे।

एक टीम 1 दिन में 10 संस्थानों से सैम्पल ले तो भी आंकड़ा 3000 के पार नहीं होगा। मौके पर हाथों हाथ सैम्पल की जांच के लिए मोबाइल लैब वैन तक नहीं हैं। लैब टेक्नीशियन स्टाफ कम होने से सैंपल की जांच की गति भी धीमी है। जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने से संबंधित उत्पाद बिक जाता है और लोग उसका उपयोग भी कर लेते हैं।

गत 2 साल में हुई जांच
नवंबर 2021 में 6 टीमों ने 20 दिन में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र से 170 नमूने लिए। अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक दूध, मावा, पनीर, मिठाई, आटा, बेसन, सूखे मेवे, कोल्ड ड्रिंक्स सहित 877 सेंपल लिए थे। अक्टूबर 2021 तक इनमें से 200 काे अनसेफ पाया गया और 583 की जांच ही नहीं हा़े पाई थी।

4 टीमें और जांच का भार
व्यापार संघ के अनुसार जिले में तेल मिल 60, दाल-तिलहन मिल 70, आटा, बेसन, मेदा, दलिया मिल 200, मसाला मिल 40, खाद्य पदार्थ व मसाला थाेक विक्रेता 9000, खुदरा विक्रेता 2.5 लाख, मिष्ठान भंडार 1500, गैस एजेंसियां 50, पेट्रोल पंप 160, मेडिकल स्टाेर की संख्या लगभग 7000 है।

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