हिंदू धर्म, धर्म, राजनीति और इतिहास पर बीस से अधिक किताबें लिखने वाले और हिंदुत्व पर मुखर होकर बोलने वाले बेल्जियम के कोएनराड एल्स्ट ने कहा कि भारतीय खुद नहीं कहें कि भारत विश्व गुरु है, दूसरे देशों के लोगों को कहने दें। मुगलों ने भारतीयों का धर्म परिवर्तन किया और अंग्रेजों ने भारत को गरीब बना दिया। फिर भी भारत जिंदा है और हिंदू भी जिंदा हैं। एल्स्ट ने यह बात मंगलवार को यहां विश्वगुरुदीप आश्रम शोध संस्थान सभागार में सनातन संस्कृति के वैश्विक स्वरूप विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में कही।
उन्होंने भारतीय संस्कृति के वैश्विक स्वरूप पर अपने विचार व्यक्त किए। व्याख्यान का आयोजन विश्वगुरुदीप आश्रम शोध संस्थान, जयपुर और राजस्थान संस्कृत अकादमी एवं जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध के तत्वावधान में किया गया। यह आयोजन रामानंद जयंती और बसंत पंचमी पर्व के उपलक्ष्य में हुआ। संस्कृत भारती, जयपुर प्रांत अध्यक्ष हरिशंकर भारद्वाज ने सनातन संस्कृति का अर्थ व नैतिक मूल्यों को बताया।
व्याख्यान में रामानंद दर्शन पर प्रो. राजेंद्र शर्मा ने विचार व्यक्त किए। डाॅ. ओमप्रकाश पारीक ने सरस्वती के स्वरूप को बताया। मेजर एसएन माथुर ने वैश्विक सभ्यता की भारतीय संस्कृति से एकरूपता सिद्ध की। कपिल अग्रवाल ने विश्वगुरु महेश्वरानंद के आदर्शों पर चलने का संदेश दिया। महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानेश्वरपुरी ने सभी का आभार प्रकट किया। संचालन डाॅ. रघुवीर शर्मा ने किया।
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