अधिकारियों की लापरवाही और भष्ट्राचार की वजह से राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। गोविंदगढ़ दूध प्लांट, मालपुरा पैकिंग प्लांट और सात नई लैब में हुई गड़बड़ियों का मामला अभी थमा नहीं है। तीनों में हुए भ्रष्टाचार की जांच सहकारिता के अतिरिक्त रजिस्ट्रार की ओर से धारा-55 के तहत जांच की जा रही है। जांच पूरी होने से पहले ही आरसीडीएफ अफसर डेयरी समितियों की चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी करने वाले एमडी को निलंबित करने की अपेक्षा जवाब लेकर बचाने में लगे हुए हैं।
मामला सीकर डेयरी एमडी लगे केसी मीना का है। एमडी को सहकारिता रजिस्ट्रार ने निलंबित करने के लिए आरसीडीएफ एमडी को दो महीने पहले पत्र लिखा है, ताकि कोर्ट से निस्तारण होने के बाद चुनाव निष्पक्ष तरीके से कराए जा सकें। इसे लेकर दो महीने से सहकारिता रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल और आरसीडीएफ एमडी विश्राम मीना में टकराव चल रहा है। एमडी ने कार्रवाई करने की अपेक्षा जिस अफसर के खिलाफ शिकायत थी, उसी से जवाब तलब करके सहकारिता रजिस्ट्रार को भेजा है।
चुनाव में ये गड़बड़ी की एमडी ने...चुनाव अधिकारी ने बताया कि सहकारिता अधिनियम के तहत एमडी को चुनाव के दौरान कुछ सूचना देनी होती है। एमडी ने इस दौरान गलत सूचना दी और वार्ड गठन में सही प्रक्रिया नहीं अपनाई। एमडी से शुरुआत में चुनाव अधिकारी ने मतदाताओं की लिस्ट मांगी तो 172 लोगों की सूची सौंप दी।
कोरोना की दूसरी लहर की वजह से चुनाव पांच महीने के लिए टाल दिए गए। पांच महीने बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू की तो मतदान करने वाले मात्र 40 लोगों की सूची दी गई। इतना ही नहीं, नियमों के तहत चुनाव के लिए वार्डों का गठन संचालक मंडल को करना होता है, लेकिन एमडी ने संचालक मंडल की अपेक्षा कर्मचारियों की समिति बनाकर वार्डों का गठन कर दिया।
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