देश में अपनी खास मिठाई पेड़े के जायके के लिए मशहूर झुंझुनू का चिड़ावा कस्बा इन दिनों नगरपालिका चुनाव में वंशवादी राजनीति और बगावत की वजह से चर्चा में है। नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए राजस्थान में सबसे ज्यादा 6 उम्मीदवार एकमात्र इसी जगह से हैं। चिड़ावा में निर्दलीय पार्षदों की संख्या सबसे ज्यादा है। लेकिन यहां वंशवादी सियासत के रोचक उदाहरण सामने आए हैं।
चिड़ावा में कांग्रेस के कुल 8 पार्षद जीते हैं। इन 8 में से 6 पार्षद दो परिवारों के हैं। अब दोनों ही परिवार बागी हैं। दोनों परिवारों की महिला पार्षद अध्यक्ष पद पर पार्टी से बगावत करके चुनाव लड़ रही हैं। अध्यक्ष पद पर बागी उम्मीदवार के पति सुरेश भूकर ने कांग्रेस से बागी होकर पार्षद का चुनाव लड़ा था। पार्षदी हार गए तो खुद ने हाईब्रिड फॉर्मूल के तहत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया और पत्नी को भी नामांकन करवाया। हालांकि, बाद में भूकर ने नामांकन वापस ले लिया और अब उनकी पत्नी कांग्रेस से बागी उम्मीदवार के तौर पर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रही हैं।
चिड़ावा में 40 वार्ड हैं। इनमें कांग्रेस और बीजेपी 8- 8 पार्षदों के साथ बराबरी पर हैं। यहां सबसे ज्यादा संख्या निर्दलियों की है। 24 पार्षद निर्दलीय हैं। कांग्रेस ने यहां सुमित्रा सैनी को अध्यक्ष का टिकट दिया है।
कांग्रेस की माया मिली न राम वाली हालत, दो परिवारों में ही 6 टिकट दे दिए अब वे ही साथ नहीं
कांग्रेस ने यहां केवल दो परिवारों में ही पार्षद के 6 टिकट बांट दिए। छहों जीत भी गए। लेकिन नगरपालिका अध्यक्ष चुनाव में अब बागी हैं और कांग्रेस के पास संबल पर जीते दो पार्षद रह गए। कांग्रेस से राजेंद्र पाल सिंह कोच अध्यक्ष पद पर दावेदारी कर रहे थे। राजेंद्र पाल सिंह कोच खुद पार्षद हैं। कोच की पत्नी सम्पत देवी, बेटा मनजीत और भतीजी कांग्रेस से पार्षद है।
कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर राजेंद्र पाल सिंह कोच की पत्नी सम्पत देवी पार्टी से बगावत कर नगरपालिका अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ रही हैं। दूसरा परिवार भूकर परिवार है, इसमें सास और बहु दोनों पार्षद हैं। अब बहु सरिता भूकर कांग्रेस से बागी होकर अध्यक्ष का चुनाव लड़ रही है और सास संतोष भूकर कांग्रेस की पार्षद हैं।
कांग्रेस पर्यवेक्षक ने कहा-जिताऊ थे तो पार्टी ने टिकट दिया
कांग्रेस में भले ही बगावत चरम पर हो लेकिन पार्टी को अब निर्दलियों के समर्थन का भरोसा है। कांग्रेस उम्मीदवार सुमित्रा सैनी ने निदलीय पार्षदों की बाड़ेबंदी कर रखी है। हालांकि, कांग्रेस में अब पार्टी सिंबल पर जीते हुए दो ही पार्षद हैं। क्योंकि, 6 बगावत कर चुके हैं। कांग्रेस के पर्यवक्षेक हरिसंह रुंडला ने कहा कि चिड़ावा में कांग्रेस का बोर्ड बनना तय है। निर्दलीय पार्षदों ने कांग्रेस की नीतियों में विश्वास जताया है, जो बागी हो गए हैं। उन्हें भी मनाने का प्रयास है। हमें कांग्रेस का बोर्ड बनने का पूरा विश्वास है। वंशवाद पर पर्यवेक्षक रुंडला ने कहा कि जनता ने जिताया है, राजनीति में जिताऊ होना सबसे बड़ी योग्यता है, फिर चाहे वह किसी परिवार का हो।
बीजेपी के कुल आठ पार्षदों में से, कोई बागी नहीं, लेकिन क्रॉस वोटिंग का डर बरकरार
बीजेपी के पास यहां 40 में से 8 पार्षद हैं। यहां अनूप बीजेपी के अध्यक्ष पद के दावेदार हैं। अभी तक बीजेपी में यहां बगावत नहीं है। लेकिन क्रॉस वोटिंग का डर बीजेपी को भी है। बीजेपी ने बाड़ेबंदी नहीं की है।
जिस संभाग प्रभारी के अधीन चिड़ावा आता है वे खुद विधायक, उनका बेटा प्रधान, बेटी पूर्व प्रधान, बहु-बेटी जिला परिषद सदस्य
कांग्रेस में भाई भतीजावाद की सियासत का चिड़ावा नगरपालिका चुनाव में तो अनूठा उदाहरण सामने आया ही है। इस क्षेत्र के कांग्रेस के संभाग प्रभारी गोविंद मेघवाल का उदाहरण भी रोचक है। गोविंद मेघवाल खाजूवाला से विधायक और कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। उनके बेटे गौरव चौहान पूगल से प्रधान हैं। मेघवाल की बहु आशा और बेटी सरिता चौहान बीकानेर जिला परिषद की सदस्य हैं। आशा ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के बेटे रवि शेखर को हराया था। गोविंद मेघवाल की बेटी सरिता चौहान पिछली बार खाजूवाला से प्रधान थीं ।
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