जेईसीआरसी विश्वविद्यालय ने नैतिक मूल्यों की एहमियत समझते हुए एक अनूठी पहल “स्वयंसिद्ध” की शुरवात की, इसके माध्यम से बच्चों में नैतिक मूल्यों को हैबिट में डालने का प्रयास किया जाएगा जो एक कुशल समाज की नीव स्थापित करेगा।जेईसीआरसी विश्वविद्यालय का “स्वयंसिद्ध” सुहासिनी क्लब, नेशनल सर्विस स्कीम और उन्नत भारत अभियान की पहल है। इस श्रंखला की शुरुवाती प्रवक्ता रही एडिशनल डीसीपी. सुनीता मीना,जयपुर नोडल ऑफिसर और हेड निर्भया स्क्वाड।
डीसीपी सुनीता ने लड़कियों से बातचीत की, उन्हें निर्भया स्क्वाड से रूबरू कराते हुए उनसे मुसीबत के समय सीधे संपर्क करने के तरीके बताए। आगे उन्होंने बच्चियों को ज़रूरी धाराओं से अवगत करवाया जिसके माध्यम से वो अपने खिलाफ हुए जूर्म का सामना कर सकते है। उन्होंने बच्चियों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी।
इस कार्यक्रम का मुख्य पहलू रहा निर्भया स्क्वाड द्वारा सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग जिसके जरिए उन्होंने जरुरी बचाव के गुण सिखाए। (वाइस चांसलर,जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी) विक्टर गंभीर ने इस आइडिया के पीछे का प्रेरणा स्त्रोत, वाइस चेयरपर्सन अमित अग्रवाल की बात “शिक्षा में नैतिक मूल्य जुड़ जाए तो कम हो सकते हैं अपराध” को बताया, साथ ही उन्होंने उस समाज को श्रेष्ठ बताया जहा महिलाओं का सम्मान होता है।प्रो.रुचि सेठ और पी.शिवानी सिंह ने बताया कि " आजकल के जीवन में नैतिक मूल्यों का पतन होते जा रहा हैं जिसके कारण समाज में अपराध बढ़ रहे हैं, इसीलिए नैतिक मूल्य समझने की जिम्मेदारी माता पिता के साथ सैक्षिणक संस्थाओं की भी है ।"
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