मां के स्पर्श से ही बच्चे को नया जीवन मिल जाता है। ऐसा ही स्पर्श ‘कंगारू मदर केयर’ है। प्री-मेच्योर (समय से पूर्व पैदा होना) बच्चे को लेकर कई जटिलताएं रहती हैं। ऐसे में मां अपने कलेजे के टुकड़े को 30 दिन तक सीने से लगाकर रखती है। इस थेरेपी से 90 फीसदी बच्चों को जीवन दान मिल जाता है। महिला चिकित्सालय सांगानेरी गेट में जयपुर निवासी एक महिला ने एक महीने पहले कम वजनी और प्री-मेच्योर बच्चे को जन्म दिया।
बच्चे के फेफड़ों में दिक्कत थी। उसे गंभीर हालत में वेंटिलेटर और सी-पेप पर रखा गया लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। ऐसे में डॉक्टरों ने कंगारू मदर केयर का निर्णय लिया। मां के सीने से लगकर तपिश से बच्चे का वजन 750 ग्राम से बढ़कर 1500 ग्राम हो गया और बच्चे को नई जिंदगी मिल गई।
ऐसी केयर भी
1. गर्भ से ही शिशु मां की आवाज और धड़कन पहचानता है। कंगारू केयर में बच्चा ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है।
2. बच्चे को गहरी नींद आती है। यह वजन बढ़ाने में मददगार। इसमें स्वस्थ पोषण मिलता है।
4.कंगारू केयर में अपनापन होने से बच्चे कम रोते हैं।
5.यह थेरेपी उन बच्चों में कारगर है जिनका जन्म 8 माह से पहले हुआ हो और वजन दो किलो से कम हों। साथ ही, वह फीडिंग नहीं कर पा रहे हों।
शिशु की धड़कन, ब्रीदिंग, टेंपरेचर को रेगुलेट करने में मदद मिलती है
मां और शिशु के बीच स्किन-टु-स्किन कान्टेक्ट कंगारू केयर कहलाता है। मां शिशु को सीने से लगाए रहती है। इस स्पर्श से न केवल मां और बच्चे में स्नेह बढ़ता है बल्कि शिशु की सेहत को भी फायदा होता है। शिशु की धड़कन, ब्रीदिंग और बॉडी टेंपरेचर को रेगुलेट करने में मदद मिलती है। मां की ब्रेस्ट का टेंपरेचर जरूरत के हिसाब से खुद को ढाल लेता है। बच्चा गर्म है, तो ब्रेस्ट ठंडी हो जाती है। मां के नजदीक रहने से बच्चे के दिल की धड़कन रेगुलेट होना सीख लेती है। शिशु को डायपर के अलावा और कुछ नहीं पहनाया जाता। ठीक तरह से सांस आती रहेगी, तो ऊतकों और अंगों तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन में भी बढ़ोतरी होती है। -डॉ.आर.एन.सेहरा और डॉ.सुनील गोठवाल
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( आंकड़ा सितंबर 2016 से अप्रेल-2022 तक)
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