मंडे स्पेशलमोबाइल चार्जर के जरिए चुराए जा सकते हैं आपके पैसे:जानिए- बस स्टैंड, एयरपोर्ट पर लगे चार्जिंग पॉइंट्स कितने खतरनाक

जयपुर6 महीने पहलेलेखक: विक्रम सिंह सोलंकी

क्या आप किसी भी पब्लिक प्लेस में लगे चार्जर से अपना मोबाइल चार्ज कर लेते हैं? अगर जवाब हां है तो यकीनन ये खबर पढ़ने के बाद आप इस खतरनाक आदत को छोड़ देंगे?

सबसे पहले एक घटना के बारे में पढ़िए, जो कुछ समय पहले हैदराबाद में घटी।

हैदराबाद में एक कंपनी के सीईओ के मोबाइल को हैक कर हैकर्स ने 16 लाख रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर दिए। सीईओ के पास न कोई ओटीपी पूछने के लिए फोन आया और न ही उन्होंने किसी मैसेज या लिंक पर क्लिक किया।

फिर ये हुआ कैसे?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए पुलिस ने पूरे मामले को इन्वेस्टिगेट किया। जांच में जो सच सामने आया, वो हैरान करने वाला था।

पता चला कि मोबाइल चार्जर के जरिए फोन का डेटा चोरी किया गया। मोबाइल चार्जर में एक चिप लगाई गई थी, जिससे सारा डेटा कॉपी होकर हैकर्स के पास पहुंच गया। ठगी के इस नए तरीके को जूस जैकिंग कहते हैं।

जूस जैकिंग का खेल केवल आपके बैंक अकाउंट से पैसे चोरी करने तक ही सीमित नहीं है। इससे आपका हर तरह का डेटा चोरी हो सकता है। पर्सनल फोटो और वीडियोज तक चुराए जा सकते हैं।

राजस्थान में भी लोग जूस जैकिंग के शिकार हो रहे हैं... बीते दिनों ऐसा ही एक केस सामने आया, जिसमें एक महिला के पर्सनल वीडियोज चुराकर उसे ब्लैकमेल किया जाने लगा।

सबसे पहले जानिए- जयपुर की युविका की कहानी जो 'जूस जैकिंग' का शिकार हुई...

जयपुर की रहने वाले युविका के मोबाइल पर कुछ दिन पहले सस्पेक्टेड नंबर से फेक कॉल आई। युविका अपने पति के साथ घर पर ही थी। कॉल करने वाले ने युविका को वीडियों व अन्य डेटा वायरल करने की धमकी देकर 5 लाख रुपए मांगे। इस बात से युविका और उसका पति घबरा गए। उन्हें पता हीं नहीं लगा कि ये डेटा कैसे चोरी हुआ। घर पर काफी दिन टेंशन में बीते। आखिरकार परेशान होकर पति-पत्नी ने एक निजी साइबर एक्सपर्ट की मदद ली।

पर्सनल लेवल पर हुई इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि युविका एक सप्ताह पहले अपनी मौसी के साथ बेंगलुरु गई थी। इस सफर के दौरान उसने कई बार पब्लिक पैलेस पर लगे चार्जिंग पॉइंट्स से अपना फोन चार्ज किया था। इसको लेकर एक ऑनलाइन एफआईआर भी बेंगलुरू पुलिस को कराई गई है। हालांकि हैकर्स का अभी तक कुछ पता नहीं लगा है, लेकिन उस एक्सपर्ट ने संदेह जताया कि युविका जूस जैकिंग का शिकार हुई हैं।

सायबर एक्सपर्ट से समझें, क्या है ये जूस जैकिंग? इसका इस्तेमाल करके साइबर ठग कैसे आपकी पर्सनल लाइफ तक घुस सकते हैं? इससे कैसे बचा जा सकता है…

दो ऑप्शन : वायरस फोन में डालना और डेटा कॉपी करना
दरअसल, जब आप फोन चार्ज करने के लिए लगाते हैं तो हैकर्स दो तरीके अपनाते हैं। पहला- डिवाइस के जरिए फोन के अंदर ही मालवेयर (वायरस) डाल देते है। दूसरा ये कि तत्काल ही आपके फोन का डेटा कॉपी करना शुरू कर देते है। इसमें अहम बात ये रहती है कि जितनी देर फोन चार्जर में लगता होता है, तब तक डेटा हैकर्स के डिवाइस पर कॉपी होता रहता है।

वायरस डालकर हैक कर लेते हैं फोन
फोन के अंदर वायरस डालने के बाद जब आप फोन का इस्तेमाल करते हैं तो सारे डेटा से लेकर गैलेरी की पिक्चर व अन्य पासवर्ड सभी चीजों पर हैकर्स का कंट्रोल हो जाता है।
अगर आप पासवर्ड चेंज भी करते हैं तो नया पासवर्ड भी हैकर्स के पास चला जाता है। जब तक आप फोन कर फॉर्मेट नहीं करते हैं, तब तक ऐसा होता रहेगा।

फोन चार्जिंग या डेटा ट्रांसफर का ऑप्शन नहीं आता
नॉर्मली जब आप यूएसबी केबल से फोन को कनेक्ट करते हैं तो मोबाइल पर मैसेज आता है, जिसमें दो ऑप्शन होते हैं- फोन चार्ज या डेटा ट्रांसफर।
हैकर्स डिवाइस में ऐसी सेटिंग करते हैं कि जैसे ही चार्जिंग केबल से मोबाइल कनेक्ट होता है, कोई मैसेज नहीं आता और डेटा ट्रांसफर होना शुरू हो जाता है।

क्या आप USB CONDOM के बारे में जानते हैं?
चार्जिंग के दौरान आपके मोबाइल से डेटा चोरी रोकने के लिए बाजार में कई कंपनियों ने यूएसबी डेटा ब्लॉकर्स उतारे हैं, जिन्हें 'यूएसबी कंडोम' का नाम दिया गया है। ये 'कंडोम' वास्तविक कंडोम की तरह लेटेक्स के नहीं होते हैं, लेकिन यह आपके मोबाइल को 'जूस जैकिंग' से बचाते हैं।

क्या होता है यूएसबी कंडोम?
'यूएसबी कंडोम' USB एडॉप्टर की तरह एक छोटी सी डिवाइस होते हैं। इसमें एक तरफ इनपुट और दूसरी तरफ आउटपुट पोर्ट होता है। इसे डेटा केबल या यूएसबी केबल के आगे लगाया जाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह डिवाइस प्लग से मोबाइल को पावर सप्लाई तो करता है, लेकिन डाटा एक्सचेंज को पूरी तरह रोक देता है। यह इतना छोटा होता है कि आप इसे कहीं भी ले जा सकते हैं। भारत में यह 500 से 1,000 रुपए में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

साइबर एक्सपर्ट भी यह सलाह देते हैं कि अगर आप कहीं बाहर हैं और किसी अज्ञात चार्जिंग पॉइंट पर अपना मोबाइल चार्ज करना चाहते हैं तो उससे पहले 'यूएसबी कंडोम' का इस्तेमाल करें।

सिंगल केबल सबसे सेफ
सिंगल वायर केबल: ये केबल केवल फोन को चार्ज करने के काम आती है। इससे मोबाइल डेटा चोरी नहीं हो सकता है, क्योंकि ये केवल फोन चार्जिंग के लिए होती है।

डबल वायर केबल: लैपटॉप से फोन का डेटा ट्रांसफर करने और चार्ज करने के लिए डबल वायर केबल इस्तेमाल की जाती है। इसमें एक तरफ यूएसबी पोर्ट और दूसरी तरफ सी टाइप या फिर अन्य जैक लगा होता है। पब्लिक प्लेस में लगी इस तरह की केबल से फोन या लैपटॉप चार्ज करना खतरनाक साबित हो सकता है।

फोर वायर केबल: ये केबल मल्टीपल यूज के लिए होती है। इसमें काफी रिस्क होता है। चार्जिंग पाइंट में डिवाइस लगी हुई होती है तो तुरंत मोबाइल को हैक किया जा सकता है। डेटा चोरी कर सकते हैं। वायरस भी मोबाइल में डाला जा सकता है।

उड़ीसा पुलिस को जारी करना पड़ा अलर्ट
साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए हाल ही में उड़ीसा पुलिस ने एक ट्ववीट किया। जिसमें लिखा था- अपने फोन सार्वजनिक स्थानों जैसे मोबाइल चार्जिंग स्टेशन, यूएसबी पावर स्टेशन आदि पर चार्ज ना करें। साइबर ठग आपके मोबाइल फोन से निजी सूचनाएं चुराना चाहते हैं और आपके फोन में मालवेयर इंस्टाल करना चाहते हैं।

पांच सालों में तेजी से साइबर क्राइम का पैटर्न बदला
एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले पांच सालों में साइबर क्राइम का पैटर्न बदलता जा रहा है। हर दिन देश में बैंक अकाउंट हैक करने व रुपए निकाले जाने के 136 मामले दर्ज हो रहे हैं, जबकि कई मामलों को पुलिस दर्ज ही नहीं करती है।

20 प्रतिशत बढ़े साइबर क्राइम
एनसीआरबी के आंकडों के मुताबिक पिछले चार सालों की तुलना करें तो 20 प्रतिशत साइबर क्राइम के मामले बढ़े हैं। रिकॉर्ड देखें तो 2021 में 52974, 2020 में 50035, 2019 में 44735, 2017 में 21796, 2018 में 27248 मामले दर्ज हुए हैं।

1970 में सबसे पहले हुई साइबर क्राइम की शुरुआत
भारत में सबसे पहले 1970 में सायबर क्राइम की शुरुआत हुई थी। तब टेलीफोन लाइनों के जरिए साइबर क्राइम शुरू हुआ। इसे फ्रीकर्स कहते थे। 1981 में सायबर क्राइम करने वाला पहला आरोपी लेन मर्फी था जोकि कैप्टन जैफ के नाम से काफी मशहूर हुआ था। उसने इंटरनल ब्लॉक में हेरफेर कर अमेरिकी टेलीफोन कंपनी को हैक कर लिया था।

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