अंग्रेजी भाषी देशों में पढ़ने, नौकरी करने और स्थायी रूप से रहने के लिए जरूरी इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम (आइलेट्स) में हिंदी भाषियों से अच्छा प्रदर्शन मराठी बोलने वालों का है। यह परीक्षा अंग्रेजी में दक्षता जांचने के लिए होती है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जिनकी पहली भाषा अंग्रेजी है, वे भी जर्मन लोगों से पीछे हैं।
इस परीक्षा में सफल होने के बाद ही ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूके सहित अन्य देशों की 11,000 कंपनियों और अमेरिका के 3400 संस्थानों में दाखिला व काम करने की पात्रता मिलती है। इन कंपनियों और संस्थानों में जाने के सारे मापदंड पूरे करने के बाद भी अगर इस टेस्ट में सफल नहीं हुए तो दाखिला और काम नहीं मिलता। ब्रिटिश काउंसिल, आईडीपी एजुकेशन और कैम्ब्रिज असेसमेंट इंग्लिश की ओर से होने वाली इस परीक्षा में अंग्रेजी का आकलन शून्य से नौ बैंड स्कोर पर होता है।
छह बैंड स्कोर में मामूली गलतियों के साथ उम्मीदवार को अच्छा माना जाता है। वैश्विक स्तर पर मेडिकल और पैरामेडिकल सेवा में जाने वाले उम्मीदवारों की सक्सेस रेट सबसे अच्छी है। बैंड सात से 8.5 स्कोर का आकलन किया जाए तो डॉक्टर्स का सफलता प्रतिशत 74, नर्सेज का 47 और डेंटिस्ट का 42 प्रतिशत है।
दो भागों में होता है यह कठिन टेस्ट
टेस्ट दो भागों में होता है। मॉड्यूल एक में 77% वेटेज एकेडमिक का होता है। शेष 23% जनरल ट्रेनिंग का होता है। इसमें पढ़ने, लिखने, सुनने, बोलने और ओवरऑल अंकों से चयन किया जाता है।
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