मेट्रो के सेकंड फेज-सीतापुरा से अंबाबाड़ी की डीपीआर 12 साल में तीन बाद बदली जा चुकी है। अब चौथी बार डीपीआर दिल्ली मेट्रो से तैयार की जा रही है। इस पर अब तक सरकार 16 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। भास्कर ने तीन बार बदली डीपीआर की पड़ताल की तो सामने आया कि किसी डीपीआर में मेट्रो काे अंबाबाड़ी से वीकेआई तक ले गए, मेट्रो का रूट यादगार की जगह महारानी कॉलेज से ले जाने का सुझाव दिया। पहली डीपीआर 343 पन्नों की तैयार की गई।
इसके बाद दूसरी डीपीआर में 53 पन्ने जोड़कर इसे 396 पन्नों की कर दी गई। तीसरी बार बनी डीपीआर में 73 पन्ने कम करके 323 पन्नों की भेज दी। किसी डीपीआर में पन्नों में बढ़ोतरी की है तो किसी में घटा गए। इतनी राशि खर्च होने के बाद भी नतीजा शून्य है। हर बार बदली गई डीपीआर में किसी जगह रूट कम कर दिया, किसी जगह रूट काे बदल कर लागत कम की गई। अब चौथी बार डीपीआर बदली जा रही है। इस पर करीब 4 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। शुरुआती डीपीआर में मेट्रो सीतापुरा से अंबाबाड़ी तक जानी थी। इसके बाद दूसरी कंपनी ने इसे बढ़ाकर वीकेआई तक करने का सुझाव दिया। तीसरी ने रूट में फेरबदल करके लागत आधी से भी कम करके मेट्रो को सौंप दी।
बीटू बाइपास चौराहा के आसपास कुछ मंत्रियाें, विधायकों की जमीन
पड़ताल में सामने आया कि बीटू बाइपास चौराहा के आसपास कुछ मंत्रियाें, विधायकों और रसूखदारों की जमीन है। अगर टाेंक राेड से एलिवेटेड मेट्राे बनती है ताे इन की जमीन की काॅमर्शियल वैल्यू खत्म हाे जाती। इस वजह से बार-बार सेकंड फेज की डीपीआर बदली जा रही है। इसमें एक प्रभावशाली मंत्री की भी जमीन शामिल है। मंत्री ने ही 2020 में बनी डीपीआर काे बाेर्ड से मंजूरी मिलने से पहले ही आपत्ति जता कर रूकवा दी थी।
पहली डीपीआर 2011 में, अब 2023 में बनेगी नई DPR
सरकार अब चौथी बार तैयार कराएगी डीपीआर, चार करोड़ रुपए होंगे खर्च
तीन बार बन चुकी डीपीआर सरकार के लिए उपयोगी साबित नहीं हुई। अब फरवरी में बजट में सरकार ने चौथी बार सेकंड फेज की डीपीआर बनाने का ऐलान किया है। वापस से दिल्ली मेट्रो से डीपीआर तैयार कराई जाएगी। इसमें 4 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
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