खाचरियावास, संयम, दिव्या के बाद अब राजेंद्र गुढ़ा ने भी उठाया एसीआर का अधिकार मंत्रियों को मिलने का मामला
प्रदेश में अफसरों एवं मंत्रियों के बीच खींचतान रह-रह कर बाहर आ रही है। राजस्थान में मंत्रियों और अफसरों के बीच खींचतान अब जगजाहिर हो चुकी है। यहां तक बात सामने आ रही है कि सीएम की समीक्षा मीटिंग के बाद विभागीय अफसर अपनी बैठकों में मंत्री तक को नहीं बुला रहे हैं। एक नया ट्रेंड सामने आ रहा है, जिसमें अफसर सीधे मीटिंग्स लेकर दिशा-निर्देश जारी कर रहे हैं। हालांकि, सीनियर मंत्रियों को लेकर ऐसा नहीं है।
उधर, एसीआर के अधिकार मंत्रियों को दिए जाने जैसे बड़े मुद्दे में अब ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा की भी एंट्री हो गई है। प्रदेश में गरीब कल्याण को मिलने वाले कोटे के 46000 मीट्रिक टन गेहूं लेप्स होने के लिए सीधे तौर विभागीय सचिव की लापरवाही बताते हुए खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने आईएएस की एसीआर भरने का अधिकार मंत्रियों को देने का मामला उठाया था। सीएम के सलाहकार संयम लोढ़ा व विधायक दिव्या मदेरणा इसे जायज ठहरा चुके हैं। खाचरियावास ने मंत्रियों का समर्थन हासिल करने के लिए चाय पर चर्चा की बात कही है। ऐसे में यह विवाद अभी थमने वाला है नहीं।
जिन अफसरों से मंत्री नाराज उनको मिला तोहफा
खेल मंत्री अशोक चांदना हो या खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास या फिर कोई और मंत्री। जिन्होंने भी अफसरों की शिकायतें कीं, उन्हें अच्छी पोस्टिंग मिली या फिर उनका कुछ भी नहीं हुआ। यही नहीं, मंत्रियों से नाराज अफसरों ने केंद्र सरकार का रास्ता पकड़ लिया। इनमें भाजपा सरकार के समय प्राइम पोस्टिंग पर रहे अफसर शामिल हैं। पिछले दिनों शिकायतों पर कुछ अफसरों को हटाया गया, लेकिन उन्हें प्राइम पोस्टिंग दी गई।
इससे भी मंत्रियों में नाराजगी है। यही नहीं, अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार को खाद्य के अलावा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग का जिम्मा दिया गया। यानी दो कैबिनेट मंत्रियों के विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। मंत्री और अफसर इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं और विभाग अलग।
नियम फॉलो करें अफसर
मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास का कहना है कि प्रत्येक विभाग के अपने बिजनेस रूल बने हुए हैं। उनका पालन करना और कराना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री सभी के अधिकार भारत के संविधान के अनुसार तय हैं। देश में लोकसभा और विधानसभा और चुने जनप्रतिनिधि सर्वाधिक संवैधानिक शक्तियां प्राप्त हैं। उनके आदेशों की पालना करना प्रत्येक विभाग के अधिकारी की जिम्मेदारी है।
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