बेरोजगारी के मुद्दा प्रदेश की गहलोत सरकार के लिए भी गलफांस बना हुआ है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का ध्यान आकर्षित करने के लिए राजस्थान के बेरोजगार उत्तरप्रदेश जाकर धरना दे रहे हैं। वहीं गहलोत सरकार के मंत्री हेमाराम चौधरी और विधायक वेद प्रकाश सोलंकी संविदाकर्मचारियों को नियमित करने के मुद्दे को लेकर सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कांग्रेस ने चुनाव में सरकार बनने पर संविदाकर्मियों को नियमित करने का वादा किया था। सरकार भी बन गई। सरकार बनते ही संविदाकर्मियों को लेकर कमेटी का भी गठन कर दिया, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आज तक नहीं आई है।
अब महिलाओं के लिए ‘बैक टू वर्क’ योजना
शादी के बाद घर-परिवार संभालने एवं अन्य कारणों से कामकाजी महिलाओं को कई बार जाॅब छोड़ना पड़ता है। नौकरी छोड़ने वाली इन कामकाजी महिलाओं को निजी क्षेत्र के सहयोग से फिर से जाॅब दिलाने या वर्क फ्राॅम होम का अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ‘बैक टू वर्क’ योजना लेकर आई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना में आगामी 3 वर्षों में 15 हजार महिलाओं को निजी क्षेत्र के सहयोग से फिर से जाॅब दिलाने का लक्ष्य तय किया गया है।
जो ऑफिस नहीं जा सकती, उनके लिए वर्क फ्रॉम होम
विधवा, परित्यकता, तलाकशुदा एवं हिंसा से पीड़ित महिलाओं को इसमें प्राथमिकता दी जाएगी। जो महिलाएं कार्यस्थल पर जाने में सक्षम नहीं होंगी, उन्हें वर्क फ्राॅम होम का अवसर उपलब्ध कराया जाएगा। रोजगार से जुड़ने की इच्छुक महिलाओं को महिला अधिकारिता निदेशालय एवं सीएसआर संस्था के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की सुविधा विकसित की जाएगी।
इसके अलावा आरकेसीएल के माध्यम से स्किल ट्रेनिंग भी दी जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में योजना के क्रियान्वयन के लिए सहयोगी संस्था/सीएसआर संस्था के पोर्टल अथवा एप्लीकेशन साॅफ्टवेयर पर लक्षित श्रेणी की महिलाओं से आवेदन लिए जाएंगे। आॅनलाइन पोर्टल पर रजिस्टर्ड महिलाओं को श्रेणीवार डाटाबेस के आधार पर निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ने का कार्य सीएसआर संस्था द्वारा किया जाएगा।
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