बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों को दलबदल कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से जवाब मांगे जाने के बाद सियासी हलचल बढ़ गई है। ये विधायक सदस्यता जाने के डर से अब कानूनी और राजनीतिक विकल्प तलाशने में जुट गए हैं। 6 में 4 विधायक दिल्ली चले गए हैं, दो विधायक सुबह जाएंगे। ये विधायक अब दिल्ली जाकर सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश करने पर कानूनी राय लेने के अलावा वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा, वाजिब अली, संदीप कुमार, लाखन सिंह एक ही गाड़ी में दिल्ली गए हैं। विधायक जोगिन्द्र सिंह अवाना और दीपचंद खैरिया दिल्ली नहीं गए हैं, इन दोनों विधायकों ने रात को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की। बसपा से सुप्रीम कोर्ट में दलबदल कानून के तहत विलय को चुनौती दे रखी है। दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों से फाइनल जवाब पेश करने को कहा है। अब इन्हें सदस्यता जाने का डर सता रहा है।
हमारी प्राथमिकता सदस्यता बचाने की
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने भास्कर से कहा, 'हम सदस्यता बचाने के कानूनी उपाय तलाशने दिल्ली जा रहे हैं। हमारे तीन साथी पहले से दिल्ली में थे। हमारा तो अब न घर बचेगा न ठिकाना। हमारी प्राथमिकता अब सदस्यता बचाने की है। राहुल जी सहित जो भी मिलेंगे सबसे मिल लेंगे।'
डूबते को तिनके का सहारा चाहिए
विधायक संदीप यादव और वाजिब अली ने कहा, 'हमें तो तिनके का सहारा चाहिए। मायावती, अमित शाह या राहुल गांधी जो भी सहारा देगा, हम उन सबसे मिल लेंगे। इनमें से जो हमारी सदस्यता बचाएगा, हम उसके पास चले जाएंगे। सदस्यता बचाना हमारी प्राथमिकता है। जनता ने विकास के लिए चुनकर भेजा है। हम किसी भी कीमत पर सदस्यता नहीं खोएंगे।'
गहलोत पर बढ़ेगा दबाव
इन 6 विधायकों की सदस्यता चली भी जाती है तो गहलोत सरकार गिरने के आसार नहीं है। 200 विधायकों की संख्या वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए। अभी कांग्रेस के 106 विधायकों के अलावा गहलोत सरकार को 13 निर्दलीय विधायकों, 1 आरएलडी विधायक, 2 सीपीएम विधायकों का समर्थन हासिल है। दो सीट खाली हैं, जिन पर उपचुनाव होने हैं। गहलोत सरकार के पास अभी 122 विधायकों का समर्थन है। हालांकि, कांग्रेस विधायकों की संख्या मौजूदा हालत में केवल 100 रह जाएगी। जब तक कांग्रेस में बगावत नहीं होती और निर्दलीय इधर-उधर नहीं होते तब तक गहलोत सरकार को खतरा नहीं होगा। हांलाकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा, क्योंकि सभी छह विधायक गहलोत समर्थक हैं।
छह में से दो विधायकों के सुर अलग, अवाना बोले- मेंबरशिप जाने का डर सबको है लेकिन मैं सीएम के साथ
बसपा से कांग्रेस में आए छह में से दो विधायकों के सुर दिल्ली जाने वाले चार विधायकों से अलग हैं। छहों विधायिक एकमत नहीं हैं। जोगिंद्र सिंह आवाना ने भास्कर से कहा- मेंबरशिप जाने का डर सबको है लेकिन इसके लिए प्रभारी पैरवी की जा रही है। किसने क्या कहा इस पर नहीं जाना चाहता, मुझे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पूरा विश्वास है। कुछ साथी दिल्ली गए हैं, मेरे क्षेत्र में कल कार्यक्रम है इसलिए मैं क्षेत्र में रहूंगा।
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