• Hindi News
  • Local
  • Rajasthan
  • Jaipur
  • Mother Died After 6 Days Of Pre Exam, Went To Village For One Night Only, Came Back To Jaipur And Started Preparing For Mains

शादी के 14 साल बाद RAS TOPPER बनी मुक्ता राव:प्री एग्जाम के 6 दिन बाद ही मां का निधन हुआ, एक रात के लिए ही गांव गई, जयपुर में वापस आकर मेंस की तैयारी में जुट गई

जयपुर2 वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती है, मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। ये कहना है राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) में टाॅपर बनी मुक्ता राव का। जो महिलाएं ये कहती है कि शादी के बाद पढ़ाई नहीं हो सकती है। उनके लिए ये बड़ी चुनौती है क्योंकि शादी के 14 साल के बाद उन्होंने मेहनत कर RAS में सिलेक्शन किया है। इतना ही नहीं एग्जाम के 6 दिन बाद ही मां का निधन हो गया था। तब भी वे केवल एक रात के लिए ही गांव गई थी। खुद को संभाला और मां के सपने को पूरा करने का संकल्प लिया। RAS में चयन होने के बाद से सुबह से ही उनके घर पर लोगों के बधाई संदेश आ रहे है। मोबाइल लगातार व्यस्त चल रहा है। मिठाई बांटी जा रही है। परिवार के लोग काफी खुश है।

दैनिक भास्कर ने RAS टाॅपर मुक्ता राव से परीक्षा से लेकर पढ़ाई को लेकर बातचीत की। उन्होंने घर-परिवार को संभालते हुए पढ़ाई के लिए समय कैसे निकाला। आइए जानते हैं। वे बताती है कि उनकी 2007 में शादी हो गई थी। आईटी इंडस्ट्रीज में जॉब करती थी। 10 साल तक आईटी सेक्टर में नौकरी की। इसके बाद पति ने मोटिवेट किया और वे RAS की तैयारी में जुट गई। ससुर-सास के अलावा पूरे परिवार से काफी सहयोग मिला। पढ़ने के साथ-साथ लिखने पर भी फोकस किया। 80 से ज्यादा पेपर तैयार किए। आज जब 90 साल की स्कूल प्रिंसीपल ने फोन कर शाबाश बोला तो सब कुछ भूल गई। ऐसा लगा कि उनकी गोद में बैठी हूं।

ras एग्जाम में टाॅपर बनने का पता लगने पर बहन ज्योति आसूं नहीं रोक सकी
ras एग्जाम में टाॅपर बनने का पता लगने पर बहन ज्योति आसूं नहीं रोक सकी

2015 में RAS की तैयारी शुरू की

वे बताती है कि 10 साल आईटी सेक्टर में नौकरी करने के बाद जॉब छोड़ दी। उन्होंने मोहाली, गुरूग्राम व मैसूर के साथ कई जगहों पर काम किया। नौकरी छोड़ कर उन्होंने 2015 में पहला नेट का एग्जाम दिया। RAS की तैयारी शुरू कर दी। 2016 में पहले प्रयास में उनकी 848वीं रैंक आई थी। तब फिर से तैयारी में जुट गई। लगातार 5 घंटे तक वे पढ़ाई करती है। उनका 10 साल का बेटा ओजस है। अभी पांचवीं कक्षा में है। बेटा स्कूल चला जाता है तो उन्हें काफी समय पढ़ने के लिए मिल जाता है। घर के काम के साथ पढ़ने के लिए समय को मैनेज करना पड़ता है। उनके पति के साथ बेटे ने भी उन्हें काफी मोटिवेट किया है। स्कूल से आने के बाद बेटा यहीं पूछता था कि मम्मी आज कितने घंटे पढ़ाई की है। वह अपना होमवर्क भी खुद ही कर लेता था।

परिवार के सदस्य मिठाई खिलाते हुए।
परिवार के सदस्य मिठाई खिलाते हुए।

फैमिली प्रोग्राम भी मिस किए

वे बताती है कि 2018 में RAS प्री एग्जाम दिया था। इसके 6 दिनाें के बाद ही मां के निधन का समाचार मिली। सुनकर काफी धक्का लगा। पर खुद को संभाला और गांव पहुंची। केवल एक रात ही रूक कर वापस जयपुर आ गई। अब बस मां का सपना पूरा करने की जिद थी। आकर तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि परिवार के कई प्रोग्राम मिस कर देती थी। फैमिली प्रोग्राम में भी नही जाती थी। कई बार लोग घर पर मिलने आ जातेे थे। तब उनसे पति विजयपाल घर पर नहीं होने की बात बोलकर मना कर देते थे। यहां तक कमरे में बाहर से कुंडी बंद कर देते थे और सैंडल भी छुपा देते थे। ऐसे में परिवार के साथ काफी लोगों ने सपोर्ट किया है। वे मिलने के लिए बुलाने लोगों से तबीयत ठीक नहीं होने का भी बहाना बना देती थी। सफलता के लिए खुद ही मेहनत करनी पड़ती है। बाकि सभी आपके सपोर्ट में रहते है तो मेहनत का ज्यादा फल मिलता है।

आरएएस टापर मुक्ता राव पति विजयपाल के साथ।
आरएएस टापर मुक्ता राव पति विजयपाल के साथ।

दादा स्वतंत्रता सेनानी रहे

मुक्ता के दादा रक्षपाल सिंह स्वतंत्रता सेनानी रहे थे। उन्होंने आजादी की जंग लड़ी थी। वे कई बार आजादी के लिए जेलों में भी रहे थे। उनके पिता महेंद्र सिंह खेती करते है और वे झुुंझुनूं के चिड़ावा में रहते है। उनकी मां मंजू देवी का निधन हो चुका है। वे बताती है कि शुरूआती प्रारंभिक शिक्षा चिड़ावा में डालमिया स्कूल में ही हुई थी। इसके बाद चिड़ावा कॉलेज से BSC की है। उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से MCA किया है और वे टॉपर रही थी। उनका ससुराल सीकर जिले के नेतडवास गांव में है। वे परिवार के साथ काफी समय से जयपुर में ही रहती है। उनके पति डाॅ. विजयपाल मणिपाल यूनिवर्सिटी में कम्प्यूटर साइंस विभाग में निदेशक है।

खबरें और भी हैं...