राज्य सरकार ने एक संस्थान को रियायती दर पर जमीन तो दे दी लेकिन शर्तों की पालना नहीं होने पर उस संस्थान से सरकार जुर्माना ही नहीं वसूल पा रही है। सरकार अपने ही नियमों में उलझकर रह गई है कि जुर्माना वसूलें तो कितना। मामला जगतपुरा महल रोड स्थित बॉम्बे हॉस्पिटल ट्रस्ट का है। राज्य सरकार से मंजूरी के बाद जेडीए ने ट्रस्ट को 20 हजार वर्गमीटर भूमि की संस्थानिक लीज डीड 16 दिसंबर 2009 को सौंपी थी।
शर्तों के मुताबिक मौके पर 5 साल यानी 2014 तक काम पूरा करना था। इसमें 150 करोड़ का निवेश तय था लेकिन काम अब तक पूरा नहीं हुआ। ऐसे में लीज डीड की शर्तों के मुताबिक पैनल्टी वसूलने का प्रावधान है लेकिन जयपुर विकास प्राधिकरण और नगरीय विकास विभाग मिलकर इसकी राश ही तय नहीं कर पा रहे हैं।
शर्तों की उलझन में 1 करोड़ 34 लाख रुपए दांव पर लगे हैं। एक नियम से जहां पैनल्टी 1 करोड़ 64 लाख बनती है, वहीं दूसरे से यह बढ़कर 2 करोड़ 98 लाख हो जाती है। दोनों की गणना करते हुए जेडीए ने 28 सितंबर को नगरीय विकास विभाग को लिखा है। लेकिन वसूली और काम दोनों ही बाकी हैं।
जेडीए ने यूडीएच से पूछा, वह भी अब तक तय नहीं कर पाया कि नियम कौनसा लागू किया जाए
1- राजस्थान सुधार न्याय (शहरी भूमि निस्तारण) नियम 1974 के तहत संस्थागत प्रकरणों में आवंटन तिथि से 2 साल बाद विक्रय राशि की 5 प्रतिशत शास्ति लेते हुए निर्माण अवधि बढ़ाने का प्रावधान है।
2- नगरीय विकास विभाग के नोटिफिकेशन (4 जनवरी 2021) और आदेश (29 जून 2021) के तहत पब्लिक चैरिटेबल संस्थाओं व अन्य संस्थाओं के मामलों में निर्माण अवधि 4 साल निर्धारित की हुई है। उसके बाद 10 साल तक वर्तमान आरक्षित दर की एक प्रतिशत प्रति वर्ष एवं 10 साल के बाद 2 प्रतिशत प्रति वर्ष शास्ति (पुनर्ग्रहण शुल्क) लेने के आदेश हैं।
वसूली दिसंबर 2019 तक की, दोनों नियमों के बीच सख्ती और मदद... दोनों छिपी है
प्रकरण में लागू शर्त-नियमों के अनुसार 21 दिसंबर 2019 तक की पैनल्टी तय होनी है। इससे पहले जेडीए ने 29 अगस्त 2021 को बॉम्बे हॉस्पिटल ट्रस्ट जरिए निदेशक मनोज सिंगल निवासी 12 न्यू मरीन लाइंस मुंबई को लिखा कि आपने आवंटन पत्र की शर्त मुताबिक नियत अवधि में निर्माण नहीं किया। ऐसे में नवंबर 2010 से दिसंबर 2019 तक का पुनर्ग्रहण शुल्क 1.65 करोड़ रुपए जमा कराए जाने हैं। इसे अविलंब जमा कराएं ताकि नियमानुसार भवन निर्माण स्वीकृति बढ़ाई जा सके।
जमीन 99 साल की लीज पर आवंटित है
ट्रस्ट को जमीन 99 साल की लीज पर दी गई है। शर्तों के तहत संस्था को 10% बेड अलग से गरीबों के निशुल्क इलाज के लिए रखने होंगे। इन मरीजों के इलाज में 25 प्रतिशत दवाओं, 25 प्रतिशत डाइग्नोस्ट का व्यय स्वयं वहन किया जाएगा।
अस्पताल प्रबंधन का दावा, काम तेजी से करा रहे हैं
बजरी और कोविड से असर पड़ा। हाईराइज बिल्डिंग के लिए अप्रूवलें भी लेनी थी। 650 की टीम लगाकर तेजी से काम करा रहे हैं। अगले साल तक पूरा हो जाएगा। सरकार का सहयोग है। कोई बात है तो सुलझा लेंगे। हमने अपना जवाब भेजा हुआ है। - मनोज सिंघल, डायरेक्टर, प्रोजेक्ट
सरकार को लिखा है
दो अलग-अलग नियमों में वसूली का मामला है। दो-तीन महीने पहले नोटिस दिए थे। काम समय पर नहीं हुआ तो जुर्माना लगेगा। राशि तय करने के लिए सरकार को लिखा हुआ है। - विजेंद्र कुमार मीना, उपायुक्त, जोन-9, जेडीए
यूडीएच में भेजा है
टाइम एक्सटेंशन के लिए अप्लाई किया था। हमने पुराने नियम से गणना कर बकाया-पेनल्टी बता दी। नियमों का मामला यूडीएच में तय होना है, इसलिए वहां भेजा हुआ है।-गौरव गोयल, जेडीए कमिश्नर
लीगल सेल देखेगी
लीगल सेल मामले का परीक्षण करेगी कि कौनसे नियम के तहत पैनल्टी लगेगी। संबंधित को जल्द प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। - कुंजीलाल मीणा, प्रमुख सचिव, यूडीएच
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