कॉन्स्टेबल भर्ती, रीट, पटवारी, जेईएन, लाइब्रेरियन, फार्मासिस्ट, चिकित्सा भर्ती…हर एग्जाम से पहले पेपर लीक रोकने के लिए कई दावे किए गए। इंटरनेट बंद किया। एग्जाम से पहले महिला अभ्यर्थियों के कपड़ों की बाहें काटी गईं। मंगलसूत्र और दुपट्टे उतरवाए गए। ड्रेस कोड में नहीं आए पुरुष अभ्यर्थियों को बनियान में एग्जाम देनी पड़ी।
….लेकिन सारे दावे और इंतजाम फेल साबित हुए। एग्जाम से पहले पेपर माफिया तक पेपर पहुंच गया।
हाल ये है कि अब बिना किसी गड़बड़ी के एग्जाम कराना सरकार के लिए साख का सवाल बन गया है। पेपर लीक के दाग को धोने के लिए इसे रोकने का मास्टर प्लान बनाने के लिए सरकार ने रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया। कमेटी ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें पेपर लीक रोकने के लिए 85 सुझाव दिए हैं।
भास्कर ने एक्सपट्र्स की मदद से इस रिपोर्ट का एनालिसिस किया। रिपोर्ट में कई खामियां सामने आई। सबसे बड़ी खामी तो यही है कि कमेटी ने जो 81 सुझाव दिए हैं, उनमें से 54 तो ऐसे हैं जो पहले से भर्ती परीक्षाओं में अपनाए जा रहे हैं। महज 31 सुझाव नए हैं।
इसके अलावा इंटरनेट बंदी, जो स्टेट के लिए सबसे बड़ा इश्यू है, उसे लेकर भी कमेटी ने कोई सुझाव नहीं दिया है कि कैसे बिना इंटरनेट बंद किए एग्जाम करा सकते हैं। रिपोर्ट में न प्रश्न लीक होने पर बात है और न ही प्रिंटिंग प्रेस और एग्जाम सेंटर से पेपर लीक रोकने के लिए फूलप्रूफ प्लान।
पढ़िए- पेपर लीक रोकने के लिए बनाई गई रिपोर्ट का एक्सपर्ट एनालिसिस...
पुलिस लाइन और बैंक के स्ट्रॉन्ग रूम में रखें पेपर
भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के अधिकतर मामलों की जांच में सामने आया कि पेपर स्ट्रॉन्ग रूम से लीक हुए थे। ऐसे में अब पेपर पुलिस लाइन या बैंक के स्ट्रॉन्ग में रखे जाएंगे।
परीक्षा संबंधी सारे काम भर्ती संस्था खुद करवाए
भर्ती संस्थान को पेपर बनाना, परीक्षा कराना और रिजल्ट निकालने का काम खुद करवाने चाहिए। अगर भर्ती संस्था सारे काम खुद नहीं करवा सके और किसी एक्सपर्ट निजी संस्थान की मदद लेनी पड़े तो भी पेपर बनाने और परीक्षा कराने के दोनों काम एक संस्था से नहीं करवाने चाहिए। इसमें (IBPS) की प्रक्रिया को अपना सकते हैं, जिसमें परीक्षा कराने की जिम्मेदारी निजी संस्था को दी जाती है और पेपर व रिजल्ट तैयार करने का काम भर्ती संस्थान स्वयं करता है।
ओएमआर शीट में 4 की जगह 5 ऑप्शन
ओएमआर शीट में प्रत्येक प्रश्न के लिए 4 के स्थान पर 5 विकल्प उत्तर के रूप में दिए जाने चाहिए। पांचवां विकल्प "ज्ञात नहीं (dnt know)" होना चाहिए। अभ्यर्थी को पांचों विकल्प में एक विकल्प को भरना अनिवार्य होना चाहिए। पेपर समाप्त होने पर अभ्यर्थी कितने सवाल किए, इसका टोटल होना चाहिए। इसके लिए अभ्यर्थियों को अतिरिक्त 15 मिनट का समय भी दें। ड्यूटी कर रहे ऑब्जर्वर सभी अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट चेक करने के बाद शीट पर अपने हस्ताक्षर करें।
ओएमआर शीट पर अभ्यर्थी के थंब प्रिंट ले
परीक्षा के आवेदन के समय अभ्यर्थी का थंब प्रिंट लें। परीक्षा के दौरान भी ओएमआर शीट पर थंब प्रिंट लिया जाए।
गवाह के लिए 2 अभ्यर्थियों के साइन
परीक्षा के बाद वीक्षक(invigilator) अभ्यर्थियों से ओएमआर शीट कलेक्ट करने के बाद गवाह के लिए दो अभ्यर्थियों के हस्ताक्षर लेकर ओएमआर शीट को लिफाफे में बंद कर दे। इसके बाद केंद्राधीक्षक की मोहर लगाई जाए।
चैक करें…किसी सेंटर से सबका सलेक्शन तो नहीं हुआ
परीक्षा के बाद परीक्षा केंद्रों पर गलत उत्तर मैचिंग, परीक्षा में सभी परीक्षार्थियों के औसत अंक, असामान्य औसत अंक की तुलनात्मक एनालिसिस होना चाहिए। जैसे एक सेंटर पर सभी अभ्यर्थियों ने गलत उत्तर भरे या सभी अभ्यर्थियों का सलेक्शन हो गया हो। द इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (IBPS) मुंबई ने आंसर शीट चेक करने के लिए साइकोमेट्रिक टेस्ट टेक्निक बना रखी है। बोर्ड इस टेक्निक का अपना सकता है। भर्ती कराने वाली संस्था को इसका विज्ञापन जारी कर अभ्यर्थियों को बताना भी चाहिए।
एक ओएमआर शीट 5 एग्जामिनर से चैक कराएं
लिखित परीक्षा में एक अभ्यर्थी की कॉपी एक एग्जामिनर की बजाय अलग-अलग एग्जामिनर से चैक करानी चाहिए। इसके लिए उत्तर पुस्तिका चैक करने की बजाय प्रश्नों के समूह की चैकिंग होनी चाहिए। जैसे किसी प्रश्न पत्र में कुल 25 प्रश्न है तो इसे 5 भागों में बांटकर 5 एग्जामिनर से चेक कराना चाहिए। इसको लेकर केरल लोक सेवा आयोग ने नवाचार किया है, जिसे आयोग अपना सकता है।
मतदान केंद्र की तरह बनाएं एग्जाम सेंटर
जिला कलेक्टर के निर्देशन में चुनाव कराने के लिए मतदान केंद्रों का चयन किया जाता है। चुनाव की तरह एग्जाम करवाने के लिए होने वाली सभी बैठकें जिला कलेक्टर के निर्देशन में होनी चाहिए। जिला कलेक्टर के निर्देशन में एग्जाम सेंटर का चयन किया जाए। मतदान केंद्रों की तरह एग्जाम सेंटर का भी हर वर्ष फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाए।
सीसीटीवी कैमरे वाली बिल्डिंग में एग्जाम हो
अभी भर्ती परीक्षाएं जिन बिल्डिंग में आयोजित होती है। उनमें अधिकतर बिल्डिंग में सीसीटीवी कैमरे नहीं होते है। ऐसे में जिले में जहां एग्जाम होने वाले हो, वहां ऐसी बिल्डिंग को चिह्नित किया जाए जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हो। इन बिल्डिंग को एग्जाम सेंटर के लिए प्राथमिकता दी जाए।
एग्जाम सेंटर की ग्रेडिंग हो
प्रदेश के ऐसे सेंटर जहां परीक्षाएं होती है, वहां दी जाने वाली सुविधाएं और सुरक्षा के लिहाज से ग्रेडिंग होनी चाहिए। ग्रेडिंग के लिए हर साल ऑडिट होनी चाहिए। इसी ग्रेडिंग के अनुसार एग्जाम सेंटर का चयन होना चाहिए।
एग्जाम सेंटरों का पुलिस वेरिफिकेशन
किसी भी बिल्डिंग या परिसर को परीक्षा केंद्र के रूप में चयन करने से पहले उसकी विश्वसनीयता और सुरक्षा को लेकर जिला कलेक्टर, पुलिस और जिला शिक्षा अधिकारी से लिखित में रिपोर्ट ली जाए। तीनों डिपार्टमेंट से वेरिफिकेशन के बाद ही एग्जाम सेंटर का चयन होना चाहिए।
परीक्षा केंद्र पर मोबाइल की जगह लैंडलाइन
परीक्षा केंद्र पर ड्यूटी करने वाले किसी भी स्तर के अधिकारियों को मोबाइल अंदर ले जाने की अनुमति नहीं हो। परीक्षा केंद्र पर लैंडलाइन टेलीफोन की व्यवस्था हो, जिसकी सूचना का आदान-प्रदान किया जा सके।
रिटायर्ड अधिकारियों को न लगाएं
एग्जाम कराने के लिए रिटायर्ड अधिकारियों और निजी कंपनी के लोगों को नोडल ऑफिसर नहीं लगाया जाए। इसके बजाए सरकारी अधिकारियों को भर्ती परीक्षा कराने के लिए कोर्डिनेटर, डेप्यूटी कोर्डिनेटर और नोडल ऑफिसर के पदों पर लगाया जाए। इन पदों पर भी बड़े सरकारी अधिकारी को लगाने के निर्देश दिए जाएं।
एक दिन पहले लगाएं सुपरवाइजर की ड्यूटी
सभी परीक्षा केंद्रों पर सरकारी अधिकारियों को ही पर्यवेक्षक (सुपरवाइजर) लगाया जाए। सुपरवाइजर की रेंडमाइजेशन प्रक्रिया से परीक्षा से एक दिन पहले ही लगाई जाए।
एक दिन पहले एग्जाम सेंटर की तलाशी लें
प्रत्येक परीक्षा केंद्र से एक दिन पूर्व और परीक्षा के दिन सुरक्षा और गोपनीयता की दृष्टि से पूरे परीक्षा केंद्र की जांच हो और तलाशी ली जाए। परीक्षा केंद्र पर चेक करें कि पहले से किसी ने मोबाइल फोन या कोई डिवाइस कहीं छिपाकर तो नहीं रखा है।
अन्य विभागों के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाएं
वर्तमान में सभी भर्ती परीक्षाओं में केंद्र अधीक्षक, पर्यवेक्षक एवं अन्य कर्मचारी भी शिक्षा सेवा के अधिकारी होते है। भर्ती परीक्षाओं में अन्य विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाना चाहिए, ताकि किसी प्रकार के गठजोड़ की संभावना समाप्त हो जाए।
अभ्यर्थी की एग्जाम सेंटर पर दो बार फोटो लें
कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं में परीक्षा केंद्र में प्रवेश और परीक्षा के पश्चात निकलते समय दोनों बार अभ्यर्थियों की फोटो ली जाए। अभ्यर्थी को परीक्षा से तीन दिन पहले ही परीक्षा केंद्र की सूचना दी जाए। गृह जिले के अलावा अन्य जिले में सेंटर होने पर परीक्षा केंद्र के मुख्यालय (शहर) की जानकारी 7 से 10 पहले दी जाए। परीक्षा केंद्र कौन सा है, इसकी जानकारी परीक्षा से महज तीन दिन पहले ही दें।
अभ्यर्थी को एक सेंटर दोबारा अलॉट न हो
परीक्षा के लिए अभ्यार्थियों को यथा सम्भव जिले में या उसके निकटतम स्थान का परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाए।अभ्यार्थियों को आवंटित होने वाले परीक्षा केंद्रों का रिकॉर्ड रखना चाहिए। ताकि एक बार किसी अभ्यर्थी को परीक्षा केंद्र आवंटित होने के बाद दूसरी बार वही परीक्षा केंद्र आवंटित नहीं हो। भर्तियों में एक अभ्यर्थी एक मोबाइल नंबर और एक मेल आईडी केवल एक ही आवेदन पत्र भरने में उपयोग करने का प्रावधान हो।
नकल करने वालों के नाम अखबारों में पब्लिश हो
नकल करने वाले और पेपर लीक करने वाले आरोपी का दोष साबित होने पर ऐसे अभ्यर्थियों के नाम बोर्ड की वेबसाइट के प्रमुख पृष्ठ पर प्रदर्शित करने चाहिए। इसके साथ ही समय-समय पर परीक्षाएं आयोजित होने पर इनके नाम अखबारों में पब्लिश करने चाहिए। इसके लिए भर्ती संस्थानों को आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान करना चाहिए।
वो जरूरी बातें, जिनका जिक्र रिपोर्ट में नहीं
इंटरनेट बंदी को लेकर कोई सुझाव नहीं
राजस्थान में कोई भी भर्ती परीक्षा होने पर आमजन को नेटबंदी की परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसे अभ्यर्थी के साथ-साथ व्यापार पर भी असर पड़ता है। भर्ती परीक्षा के दौरान आमजन के लिए नेटबंदी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। थेले वाले से लेकर दुकानदार, सब्जी वाला, टेक्सी के लिए लोग ऑनलाइन पेमेंट करते है। लेकिन नेटबंदी से पूरे प्रदेश के व्यापार पर असर पड़ता है।
प्रश्न लीक होने से कैसे रोकेंगे
किसी भी भर्ती परीक्षा में पेपर बनाने से पहले यह तय किया जाता है कि पेपर बनाने वाले प्रोफेसर का सिलेक्शन कौन करेगा? आरपीएससी में पेपर बनवाने का काम आयोग का अध्यक्ष या उनके मेंबर करते हैं।
प्रोफेसर पेपर बनाने से पहले एफिडेविट देते हैं, जिसमें विश्वसनीयता की शपथ लेनी होती है। किसी भी भर्ती परीक्षा के लिए अलग-अलग प्रोफेसर से पांच से ज्यादा पेपर बनवाए जाते हैं। आयोग पांचों पेपर के सवालों को मिक्स कर एक पेपर बनाता है।
प्रिंटिंग प्रेस के लिए कोई भी नई गाइडलाइन नहीं
आरपीएससी के नियमों के अनुसार आयोग अध्यक्ष ही प्रिंटिंग प्रेस का चयन करते हैं। गोपनीयता के कारण इसका ओपन टेंडर नहीं निकलता है। पेपर छपते समय कर्मचारियों की तलाशी ली जाती है। नजरबंद करके ही पूरे पेपर छपवाए जाते हैं।
पेपर प्रिंट से स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंचने की कड़ी
प्रिंटिंग प्रेस से पेपर ट्रेजरी या स्ट्रॉन्ग रूम में जमा होता है। प्रिंटिंग प्रेस में पेपर छपने के बाद जिला मुख्यालयों में जाते हैं। पेपरों को सील बंद लिफाफों में लोहे के बॉक्स में बंद करके दो लॉक लगाए जाते हैं। फिर इन बक्सों को भी सील किया जाता है।
REET पेपर लीक होने के बाद से जीपीएस लगी गाड़ियों में ही पेपर स्ट्रॉन्ग रूम तक भिजवाया जाता है। गाड़ी में भी कैमरे लगाए जाते हैं और पुलिस सुरक्षा के साथ पेपर को स्ट्रॉन्ग रूम तक ले जाया जाता है।
स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर भी दो लॉक लगाए जाते हैं। दो अलग-अलग अधिकारियों के पास लॉक की चाबी होती है, दोनों के एक साथ खोलने पर लॉक खुलता है। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी करवाई जाती है, ताकि बाद में जांच में दोषी का पता लगाया जा सके।
एग्जाम सेंटर के स्ट्रॉन्ग रूम
ट्रेजरी से पेपर को एग्जाम सेंटर के स्ट्रॉन्ग रूम में पहुंचाया जाता है। पुलिस सुरक्षा में पेपर ट्रेजरी के स्ट्रॉन्ग रूम से एग्जाम सेंटर में पहुंचाया जाता है। एग्जाम सेंटर में भी स्ट्रॉन्ग रूम बनाया जाता है। जहां सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में पेपर रखते हैं।
यहां कमरे के बाहर दो लॉक लगाए जाते हैं। रूम के बाहर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है। एग्जाम सेंटर में परीक्षा से महज 1 घंटे पहले पेपर केंद्र पर अधीक्षक के सामने बॉक्स से लिफाफे निकाले जाते हैं।
परीक्षा कराने वाली कंपनी के कर्मचारी और स्कूल संचालक मिलीभगत कर सकते हैं। सबसे ज्यादा पेपर यहीं से आउट होते हैं। कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर जयपुर के झोटवाड़ा स्थित दिवाकर पब्लिक स्कूल के स्ट्रॉन्ग रूम से ही आउट हुआ था। आरोपियों ने स्ट्रॉन्ग रूम में बक्से को काटकर पेपर निकालकर पेपर आउट कर दिया था।
एग्जाम हॉल तक नकल गिरोह की नजर
जिस रूम में परीक्षा होती है, वहां पर्यवेक्षक लिफाफा कोई भी दो अभ्यर्थियों के सामने खोलते हैं। दोनों अभ्यर्थी उनके सामने लिफाफा खोलने के लिए हस्ताक्षर भी करते हैं।
पर्यवेक्षक को दोनों अभ्यर्थियों को बताना होता है कि लिफाफा उनके सामने ही खुला उसे पहले नहीं खुला था। इसके बाद सभी अभ्यर्थियों को पेपर बांटे जाते हैं।
एक्सपर्ट की राय : कई सुझाव अच्छे, लेकिन फायदा तभी जब क्रियान्वयन सही हो
RPSC के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शिवसिंह राठौड़ का कहना है कि चारू रूप से एग्जाम कंडक्ट कराने के लिए जो सुझाव दिए गए हैं, उनमें कई खामियां हैं। कमेटी ने नेटबंदी को लेकर कोई सुझाव नहीं दिया। एग्जाम में नेट को बंद करना कोई सॉल्यूशन नहीं है। इसी तरह पेपर बनाने और स्टॉन्ग रूम से पेपर को एग्जाम सेंटर पहुंचाने के लिए और सख्त नियम होने चाहिए थे। शिक्षा संस्थान, प्रेस और जिला प्रशासन की अकाउंटेबिलिटी तय करनी होगी। अगर पेपर लीक होता है तो कहां से हुआ और उसके बाद सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
हालांकि कमेटी के कुछ सुझाव अच्छे और प्रभावशाली भी हैं, जैसे ओएमआर शीट में प्रश्नों के चार की जगह पांच विकल्प। इसके अलावा पेपर पुलिस लाइन और बैंक के स्टॉन्ग रूम में रखना, शिक्षा विभाग की बजाय दूसरे विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाना भी पेपर लीक और नकल राेकने की दिशा में अच्छे कदम हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि राज्य सरकार, बोर्ड और जिला प्रशासन इस सुझावों को सही तरीके से अमल में लाए।
रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनाई थी कमेटी
राज्य सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक जैसी घटनाओं को रोकने और परीक्षाओं के सुचारू आयोजन के लिए 30 जनवरी 2022 को एक कमेटी का गठन किया। पूर्व न्यायाधीश विजय कुमार व्यास की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। कमेटी ने पेपर लीक जैसी घटनाओं को रोकने के लिए 84 सुक्षावों की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी। राज्य सरकार ने इन सुक्षावों की पालना के लिए यह रिपोर्ट भर्ती परीक्षा आयोजित कराने वाले बोर्डों को भेज दी।
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