राजस्थान में प्रॉपर्टी को लेकर पिछले दो साल में ट्रेंड बदल रहा है। अब तक श्राद्ध में प्रॉपर्टी और नए काम से लोग दूरी बना रहे थे, वे अब श्राद्ध में प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। पिछले दो साल के मुद्रांक एवं पंजीयन विभाग राजस्थान (रजिस्ट्री डिपार्टमेंट) की रिपोर्ट को देखे तो ये आंकड़ा चौंकाने वाला है। इस बार भी रजिस्ट्री से सरकार को श्राद्ध में करीब 270 करोड़ रुपए की आय हुई।
मुद्रांक एवं पंजीयन विभाग के महानिरीक्षक महावीर प्रसाद ने बताया कि शारदीय नवरात्र और उससे पहले श्राद्ध पक्ष में हुई रजिस्ट्री के आंकड़ों को देखे तो श्राद्ध पक्ष में हर दिन होने वाली रजिस्ट्रियों की संख्या नवरात्र में होने वाली रजिस्ट्रियों की संख्या की तुलना में या तो बराबर है या उससे ज्यादा। साल 2020 में तो नवरात्र की तुलना में श्राद्ध पक्ष में हर रोज औसतन 900 संपत्तियों की रजिस्ट्री ज्यादा हुई है। वहीं मौजूदा साल 2021 की स्थिति देखे तो नवरात्र और श्राद्ध पक्ष में हर रोज औसतन 3443 संपत्तियों की रजिस्ट्री पूरे प्रदेश में हर रोज हुई है।
कोरोनाकाल में हुई सबसे ज्यादा रजिस्ट्री
दो साल का रिकॉर्ड देखे तो पिछले साल कोरोना काल में श्राद्ध पक्ष में सबसे ज्यादा रजिस्ट्री हुई। साल 2020 में श्राद्ध पक्ष के सभी 16 दिन पूरे राज्य के अंदर कुल 56,580 से ज्यादा संपत्तियों की रजिस्ट्रियां हुईं, जिससे राज्य सरकार को करीब 220 करोड़ रुपए की इनकम हुई। वहीं इसी साल 9 दिन के शारदीय नवरात्र में 23,400 से ज्यादा रजिस्ट्री हुई, जिससे सरकार को करीब 119.51 करोड़ रुपए की आय हुई। इस साल 2021 की स्थिति देखे तो 17 दिन चले श्राद्ध पक्ष में पूरे राज्य में 58,540 से ज्यादा रजिस्ट्री हुई, जिनसे करीब 270.46 करोड़ का रेवेन्यू सरकार को मिला। वहीं नवरात्र के 8 दिन में कुल 27,540 से ज्यादा रजिस्ट्री हुई, जिससे 110.38 करोड़ रुपए की इनकम हुई।
ये भी कारण श्राद्ध पक्ष में प्रॉपर्टी खरीदने के
विशेषज्ञों की माने तो श्राद्ध पक्ष में संपत्तियां खरीदने के पीछे दो बड़े कारण है। पहला कारण नवरात्र में लोग हर काम की शुरुआत अच्छे के साथ करना चाहते हैं। जैसे नये घर में प्रवेश, नया वाहन लाने समेत अन्य कई चीजें। नये घर में गृह प्रवेश तभी संभव है जब रजिस्ट्री सहित अन्य औपचारिकताएं पहले पूरी हो जाती है। ऐसे में लोग घरों की खरीद करने के बाद रजिस्ट्री श्राद्ध पक्ष में करवा लेते हैं, ताकि नवरात्र के पहले या अन्य दिनों में गृह प्रवेश किया जा सके। वहीं एक कारण श्राद्ध पक्ष में मार्केट की स्थिति कमजोर होने पर मकान या सम्पत्ति खरीद में डेवलपर कई तरह की रियायतें भी देते हैं, जिसका लाभ उठाने के लिए लोग श्राद्ध पक्ष में भी संपत्तियां खरीदना पसंद करते हैं।
श्राद्ध पक्ष में शुभ और पवित्र काम पर पाबंदी नहीं
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ का कहना है कि श्राद्ध पक्ष में खरीदारी करना अशुभ नहीं होता है। इन दिनों में पितरों की पूजा करना शुभ बताया गया है। सालभर में सिर्फ श्राद्ध पक्ष में ही नहीं कुछ खास दिनों और पर्व पर पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है। श्राद्धपक्ष मृत्यु या शोक से जुड़ा समय नहीं है। बल्कि पूजा-पाठ, दान और नियम-संयम से रहने का समय होता है। पूर्वज की संतुष्टि के लिए किया गया दान और पूजा-पाठ ही श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध के दिनों में हर तरह के गलत काम से बचना चाहिए ना कि शुभ और पवित्र कामों से।
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