रिजर्व बैंक के मुद्रा वितरण काउंटर दाे साल से बंद है, जिससे आमजन काे शादियों के लिए नए नाेटाें की गड्डियां ही उपलब्ध नहीं हाे रही हैं। काेराेना काल के दाे साल बाद शादियों में राैनक लाैटी है। ऐसे में नए नाेटाें की मांग भी बढ़ गई है। लाेगाें की शिकायत है कि राजधानी के बैंकों में नए 10, 20, 50 और 100 रुपए के नाेटाें की गड्डियां नहीं हैं। जिन बैंकों में उनके खाते हैं वहां भी नए नाेट की गड्डी नहीं दे रहे हैं।
इसके बाद रिजर्व बैंक पहुंचते हैं। रिजर्व बैंक के मैन गेट पर सुरक्षा गार्ड मुद्रा वितरण काउंटर दाे साल से बंद हाेना बताकर लाैटा देते हैं। शहर में मानसराेवर,गाेपालपुरा बाईपास, न्यू सांगानेर राेड साेढाला, हवा सड़क एसबीआई, पीएनबी, बैंक ऑफ बडाैदा, आईसीआईसीआई बैंकों के प्रबंधकों का कहना है कि उनके पास 20,50,100 रुपए के आरबीआई से नए नाेटाें की गड्डियां नहीं आ रही है।
इधर, रिजर्व बैंक में मुद्रा वितरण काउंटर खाेलने काे लेकर भास्कर ने बैंक अधिकारियों पूछा ताे काेराेना संक्रमण के चलते मुद्रा वितरण काउंटरों काे बंद करना बताया। अधिकारियों का कहना है कि अब फिर से आमजन की सुविधा के लिए काउंटर खाेलने के प्रयास किए जा सकते हैं।
आमजन का कहना है
1. सांगानेर निवासी शंकर यादव का कहना है कि घर में बहन की शादी है 20,50,100 रुपए के नाेटाें की गड्डियां लेने के लिए 15 दिन से बैंकाें के चक्कर काट रहे हैं। शादी का कार्ड दिखाकर सांगानेर, प्रताप नगर, मानसरोवर के बैंकाें में फ्रेश नाेट मांगे लेकिन किसी बैंक ने फ्रेश नाेट की गड्डी नहीं दी। आखिर में रिजर्व बैंक में गए ताे मेन गेट पर गार्ड ने मुद्रा वितरण काउंटर 2 साल से बंद हाेना बताया।
2. मानसरोवर निवासी रितेश चावला का कहना है दाे साल बाद शादियों में उत्साह हाेने से मेहमान पहुंच रहे हैं। मेहमानों काे लिफाफों में नए नाेट देने के लिए बैंक से नाेटाें की गड्डी लेने गए लेकिन नहीं मिली। रिजर्व बैंक ने भी काउंटरों से वितरण बंद कर रखा है।
रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने चेताया
रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने चेताया कि नाेट उड़ाना, नत्थी कर माला बनाना अपराध है। रिप्लेस हाेने वाले नाेटाें में मालाओं में लगाए गए नए नाेट भी फटे हुए आते हैं। लाेगाें काे नए नाेट की जरूरत काे बैंक में स्पष्ट करना हाेगा। बैंक अधिकारियों काे नए नाेट लेने की सही वजह लगेगी तभी नए नाेट की गड्डी दी जाएगी, वह भी सीमित संख्या में दी जाएगी।
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