लेखिका सुधामूर्ति ने कहा कि पावर और मनी इंसान की जिंदगी बदल सकते हैं। अगर आप जिंदगी को समझेंगे तो आपको कोई भी डिस्ट्रेक नहीं कर पाएगा। इसके लिए आप में मजबूत इच्छाशक्ति होनी चाहिए। अगर आप अच्छा काम कर रहे हैं तो पावर और मनी के पीछे मत भागिए। सुधामूर्ति रविवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में एक सेशन में बोल रही थीं।
उन्होंने कहा- हमेशा छोटी-छोटी खुशियों को इंजॉय करें। ईमानदारी और मेहनत के साथ काम करें। यह आपको तुरंत नहीं, लेकिन जीवन में सफलता जरूर देगी। हालांकि इस दौरान सुधामूर्ति ने राजनीति और JLF के मुगल टेंट विवाद पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
प्रधानमंत्री की सास के नाम से जानते हैं लोग
सुधामूर्ति ने दामाद ऋषि सुनक के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने पर कहा- इससे मेरे जीवन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। ये जरूर है कि लोग अब उन्हें ब्रिटेन पीएम की सास के नाम से भी जानते हैं। उनका नजरिया भी बदला है। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने बताया कि उनकी ऋषि से सिर्फ हाल-चाल पूछने तक ही बातचीत होती है।
भारत में रहना और भारतीय होना गर्व की बात
भारतीय स्टूडेंट्स के विदेश में पढ़ने और नौकरी के सवाल पर सुधामूर्ति ने कहा- मैं इस मामले में कुछ नहीं कह सकती। क्योंकि मेरे खुद के बच्चे भी विदेश में सेटल है। कोई बच्चा विदेश जाकर पढ़े या नौकरी करे। इस मामले में उनके परिवार को ही फैसला लेना होता है।
उन्होंने कहा कि बस यह कहना चाहती हूं कि बच्चे जहां भी हों, उन्हें भारतीय कल्चर की जानकारी होनी चाहिए। अगर विदेश में बच्चे होंगे। तो मुश्किल होता है। यही जीवन चक्र है। मेरे लिए भारत में रहना और भारतीय होना गर्व की बात है।
कोरोना ने बदली आम लोगों की आदत
सुधामूर्ति ने कहा कि कोरोना के बाद इंसान की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। छोटे बच्चों की जिंदगी सबसे ज्यादा डिस्ट्रेक हो रही है। ऑनलाइन क्लास और गैजेट्स की वजह से उनकी आंखों पर भी इसका असर पड़ रहा है। यह हालात पूरे देश में हैं।
पिछले कुछ वक्त से आम लोगों की पढ़ने की आदत छूट गई है। हम लोग किताब नहीं पढ़ते, लेकिन किंडल पर जानकारी ढूंढते हैं। जो किंडल पर नहीं ढूंढते वह विकिपीडिया पर ढूंढते हैं। आम लोगों की नॉलेज इकट्ठा करने की आदत अब भी बरकरार है। तरीका बदल गया है।
14 साल तक के बच्चों को गैजेट्स से दूर रखें
सुधामूर्ति ने कहा- पिछले कुछ वक्त से बच्चों की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। छोटे बच्चे भी मोबाइल और गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं। उनकी पढ़ने में रुचि भी कम होने लगी है। ऐसे में 14 साल तक के बच्चों को मोबाइल और गैजेट्स से दूर रखते हुए उन्हें किताब पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। हालांकि 14 साल बाद वह किताब पढ़े या नहीं पड़े यह उन पर ही छोड़ देना चाहिए।
सुधामूर्ति ने कहा कि वो 45 साल से लिख रही हैं। 2002 में पहली इंग्लिश की बुक आई थी। तब से इंग्लिश में लिख रही हैं। इससे पहले कन्नड़ में ही लिखा करती थी। किताबें लिखने की सीमा और सोच बहुत ज्यादा है। एक लेखक के तौर पर लगता है कि जेएलएफ बड़ा प्लेटफॉर्म है।
ये भी पढ़ें
साहित्य के साथ फैशन का भी प्लेटफॉर्म JLF, देखें- PHOTOS:'कबीर कैफे' की धुन पर थिरके यंगस्टर्स; आज इरशाद कामिल को द्वारका प्रसाद अवॉर्ड
मुगल टेंट विवाद के साथ ही जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन की शुरुआत हो चुकी है। आज होटल क्लार्क्स आमेर में अलग-अलग सेशंस में वरुण गांधी, नंदन नीलेकणी, वीर सांघवी, सिद्धार्थ सेठिया, हरिप्रसाद चौरसिया अपनी बात रखेंगे। (पूरी खबर पढ़ें)
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.