राजस्थान पुलिस मुख्यालय की ओर से पुलिस कार्यालय, थानों व चौकियों में धार्मिक पूजा स्थल नहीं बनाने के आदेश चर्चा में है। एडीजी हाउसिंग ए.पोन्नूचामी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है- राजस्थान धार्मिक भवन एवं अधिनियम 1954 के तहत सार्वजनिक स्थानों का धार्मिक उपयोग नहीं किया जा सकता। आस्था के नाम पर पुलिस दफ्तर, थानों में जन सहभागिता से धार्मिक स्थलों का निर्माण करने की प्रवृत्ति कानूनी रूप से सही नहीं है।
दैनिक भास्कर ने थानों में धार्मिक स्थल को लेकर पड़ताल की तो सामने आया है कि राजस्थान में 30 से ज्यादा थाने और चौकियां तो वर्षों से मंदिर परिसर में ही चल रहे हैं। भीलवाड़ा की सवाईपुर, भरतपुर की गहनोली मोड चौकियां मंदिरों में ही हैं। दौसा कोतवाली में स्थित मंदिर का तो नाम ही थानेश्वर महादेव है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार राजस्थान में करीब 750 पुलिस थाने ऐसे हैं जिनमें धार्मिक स्थल बना हुआ है। थानों में धार्मिक स्थलों के निर्माण पर लाखों रुपए खर्च हुए हैं। इनमें अधिकतर धार्मिक स्थल जन सहयोग से बनाए गए हैं। थानों में धार्मिक स्थलों के निर्माण पर रोक संबंधी परिपत्र का प्रतिपक्षी भाजपा सहित कई हिंदुवादी दलों ने विरोध किया है वहीं मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल जैसे कई संगठनों ने इसका समर्थन किया है।
एक कमरे में पुलिस चौकी, दूसरे में जीणमाता मंंदिर; भीलवाड़ा जिले की कोटड़ी तहसील के अंतर्गत आने वाली सवाईपुर पुलिस चौकी कई वर्षों से जीणमाता मंदिर में ही चल रही है।
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