सरकार के बिल को पूर्व जस्टिस ने बताया गैर जरूरी:बोले- कानून में पहले से ही प्रावधान, अलग से एक्ट की जरूरत नहीं

जयपुर2 महीने पहलेलेखक: अवधेश आकोदिया
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वकील को खतरा होने पर पुलिस को उसे सुरक्षा भी देनी होगी। - Dainik Bhaskar
वकील को खतरा होने पर पुलिस को उसे सुरक्षा भी देनी होगी।

प्रदेश के 1.20 लाख वकीलों की सुरक्षा से जुड़ा एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट का बिल विधानसभा में पेश करने की तैयारी चल रही है। सरकार ने इसे 21 मार्च को पारित करवाने का वादा किया है।

बिल के प्रावधानों के अनुसार वकीलों से अभद्रता करने या उन्हें धमकी देने को संज्ञेय व गैर जमानती अपराध माना जाएगा। वकील को खतरा होने पर पुलिस को उसे सुरक्षा भी देनी होगी।

भास्कर से विशेष बातचीत में सुप्रीम काेर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू व राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व सीजे सुनील अंबवानी ने इस एक्ट को गैरजरूरी बताया है।

वहीं, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष बीरी सिंह सिनसिनवार व संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक कमल किशोर शर्मा का कहना है कि वकीलों को धमकी देने और उन पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं इसलिए सुरक्षा के लिए एक्ट जरूरी है।

वकील भी नागरिक, उन्हें स्पेशल प्रोटेक्शन क्यों मिले
कानून में जो प्रोटेक्शन नागरिकों को मिलता है वही वकीलों को भी है। उन्हें स्पेशल प्रोटेक्शन क्यों मिलना चाहिए? देश में बीसों पेशे हैं। कल को मेडिकल, मीडिया, अकाउंट्स, बिजनेस आदि से जुड़े पेशेवर कहेंगे कि हमें भी स्पेशल प्रोटेक्शन दो। इसका कहां अंत होगा? वकील यदि गलत काम नहीं करेंगे तो कोई क्यों हमला करेगा? कोई क्यों धमकी देगा? कोई क्यों नुकसान पहुंचाएगा? मैंने भी 20 साल तक वकालत की है। मेरे साथ इस तरह की कोई घटना नहीं हुई। - मार्कंडेय काटजू, पूर्व जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट

वकील दूसरों को प्रोटेक्ट करते हैं, उन्हें जरूरत क्यों है
वकीलों के लिए प्रोटेक्शन एक्ट का औचित्य समझ से परे है, क्योंकि वो तो दूसरों को प्रोटेक्ट करते हैं। उन्हें प्रोटेक्शन की क्या जरूरत है? यदि वकील को कोई धमकी देता है या हमला करता है तो ऐसा करने वाले के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए आईपीसी में पहले से प्रावधान हैं। इसके लिए अलग से एक्ट बनाने की जरूरत क्या है? प्रोटेक्शन एक्ट बनाने से पहले यह आंकड़ा सामने रखना जरूरी है कि वकीलों पर अब तक कितने हमले हुए हैं और कितनी धमकियां मिली हैं। - सुनील अंबवानी, पूर्व सीजे, राजस्थान हाईकोर्ट

खुलेआम धमकियां मिलती हैं, वकीलाें की सुरक्षा जरूरी
पहले वकील को इज्जत दी जाती थी, लेकिन अब दुर्व्यवहार किया जाता है और धमकियां दी जाती हैं। यहां तक कहा जाता है कि आप फलां पार्टी के वकील नहीं बनोगे। कई बार हमला तक हो जाता है। इस माहौल से वकील इतने भयभीत हैं कि ठीक से काम नहीं कर पाते। परिवार वाले भी डरे हुए रहते हैं। इसलिए वकीलों की सुरक्षा के लिए अगल से एक्ट होना जरूरी है। हमने दो साल पहले ही एक्ट का ड्राफ्ट सरकार को सौंप दिया था। इसे अब तक तो अस्तित्व में आ जाना चाहिए था। - बीरी सिंह, पूर्व अध्यक्ष, बार काउंसिल ऑफ इंडिया

हमले की घटनाएं बढ़ीं, इस माहौल में काम करना मुश्किल
वकीलाें पर हमले की घटनाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। कोर्ट के भीतर तक हमले हो चुके हैं। हार्डकोर अपराधी खुली धमकी देते हैं। ऐसे माहौल में वकालत करना मुश्किल होता जा रहा है। काम करने के लिए भयमुक्त वातावरण होना जरूरी है और इसके लिए एक्ट जरूरी है। यदि कोई वकील इस एक्ट का दुरुपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए करता है और झूठी शिकायत करता है तो उसे भी तीन साल तक की सजा या 50 हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों से दंडित करने का प्रावधान है। - कमल किशोर, संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक

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