राजस्थान वैक्सीनेशन प्रोग्राम के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर केन्द्र सरकार को घेरा है। गहलोत ने केन्द्र पर समय पर वैक्सीन नहीं देने का आरोप लगाया है। कहा है कि इस कारण से हमें राज्य में बार-बार वैक्सीनेशन प्रोग्राम बंद करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की कमी के कारण मंगलवार को भी पूरे प्रदेश में वैक्सीनेशन प्रोग्राम बंद होने की संभावना है।
गहलोत ने बताया कि आज लगभग 70 हजार वैक्सीन की डोज बची हैं। यह आज ही लगा दी जाएंगी। वैक्सीन की कमी के कारण आज राज्य के अधिकांश जिलों में वैक्सीनेशन का काम बंद हो गया है। केन्द्र सरकार से राजस्थान को जरूरत के मुताबिक वैक्सीन नहीं मिल पा रही है, जिसके कारण बार-बार वैक्सीनेशन रुक जाता है, जबकि राजस्थान में वैक्सीन का वेस्टेज भी नेगेटिव है।
तीसरी लहर के खतरे को कम करने के लिए वैक्सीनेशन जरूरी
गहलोत ने कहा कि वैक्सीन की कमी के कारण जनता परेशान है। लोग सेंटरों पर आ तो रहे हैं, लेकिन वैक्सीनेशन नहीं होने के कारण उन्हें निराश होकर लौटना पड़ रहा है। ऐसे में गहलोत ने केन्द्र सरकार से अपील की है कि राजस्थान को जरूरी मात्रा में वैक्सीन दी जाए, जिससे जल्द से जल्द वैक्सीनेशन का काम पूरा हो सके एवं तीसरी लहर का खतरा कम कर सकें।
65 लाख वैक्सीन का कोटा है जुलाई में निर्धारित
केन्द्र सरकार ने राजस्थान के लिए जुलाई में 65 लाख 20 हजार वैक्सीन की डोज का कोटा निर्धारित किया है। जुलाई के लिए रिजर्व इस कोटे में से 25 फीसदी के हिसाब से प्राइवेट अस्पतालों को 16.30 लाख डोज दी जाएगी, जो इनके लिए रिजर्व है। जुलाई में अब तक करीब 6.49 लाख डोज आ चुकी है। राज्य में इस माह करीब 60 लाख लाभार्थी ऐसे हैं, जिनको दूसरी डोज का समय आ गया है और इन्हे वैक्सीन लगाई जानी है।
राज्यों को आवंटित की जाने वाली वैक्सीन का डेटा करें सार्वजनिक
वैक्सीनेशन के संकट को लेकर दो दिन पहले चिकित्सा मंत्री ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने वैक्सीन के आवंटन पर सवाल उठाए थे और केन्द्र सरकार से वैक्सीन का कोटा भी सार्वजनिक करने की मांग की है। दरअसल अभी ये पता नहीं चल रहा कि किस राज्य को कितनी वैक्सीन दी जा रही है। राज्य सरकार का मानना है कि राजस्थान में वैक्सीन कम दी जा रही है, जबकि यहां हर रोज ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेशन किया जा रहा है, जबकि दूसरे राज्यों में वैक्सीन जितनी दी जा रही है उस अनुपात में वहां वैक्सीनेशन नहीं हाे रहा। इसलिए केन्द्र सरकार से मांग की थी कि हर माह किस राज्य को कितनी वैक्सीन दी जाएगी यह डेटा सार्वजनिक किया जाए।
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